मनुष्य जीवन की प्रतिलिपि है कहानी : मालचंद तिवाड़ी

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राजस्थानी कहानी पर आधारित दो दिवसीय संगोष्ठी संपन्न

बीकानेर, (समाचार सेवा) वरिष्ठ साहित्यकार मालचंद तिवाडी ने कहा कि कहानी मनुष्य जीवन की प्रतिलिपि है।

श्री तिवाड़ी मंगलवार को  महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय बीकोनर व साहित्य अकादमी दिल्ली द्वारा राजस्थानी कहानी : परंपरा की दृष्टि और आधुनिकता की पहचान विषयक दो दिवसीय संगोष्ठी के समापन सत्र को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि भाषा में परंपरा का बहुत बड़ा योगदान है। आयोजन की स्थानीय समन्वयक डॉ. मेघना शर्मा ने बताया कि समारोह की अध्यक्षता करते हुए अजमेर के साहित्यकार लक्ष्मीकांत व्यास ने बदलते परिवेश में कहानी विधा में भी परिवर्तनशीलता का गुण समाहित होने की आवश्यकता पर बल दिया।

उन्होंने कहा कि कहानी वही लिखी जानी चाहिए जो समाज चाहता है। समारोह के दौरान अतिथियों ने डॉ. नमामि शंकर आचार्य की अनुदित पुस्तक भारत रो अकीकरण का लोकार्पण किया। इस पुस्तक के मूल लेखक डॉ. राजशेखर पुरोहित हैं।

महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय बीकानेर में राजस्थानी विभाग की प्रभारी डॉ. मेघना शर्मा ने समापन सत्र का संयोजन करते हुए कहा कि उत्तर आधुनिकता को प्रतिबिंबित करता स्त्री विमर्श आधारित साहित्य आज वक्त की जÞरूरत बन चुका है। 

समारोह में राजस्थानी भाषा परामर्श मण्डल के संयोजक मधु आचार्य आशावादी ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

संगोष्ठी के दौरान देवकिशन राजपुरोहित री टाळवी कहानियों पर डॉ. नीरज दइया द्वारा संपादित पुस्तक का भी लोकार्पण किया गया।

साहित्य की उम्र सूचना से होती है लंबी : भाटिया

इससे पूर्व संगोष्ठी के दूसरे दिन डॉ. नमामि शंकर आचार्य के संयोजन में डॉ. नीरज दइया व कृष्ण कुमार आशु  ने जहां राजस्थानी कहानी के शिल्प, प्रयोग-प्रभाव पर बात की तो वहीं

इक्कीसवीं सदी की राजस्थानी कहानियों पर प्रकाश डालते हुए ओमप्रकाश भाटिया ने कहा कि सूचना की उम्र कम होती है जबकि साहित्य की उम्र लंबी होती है। 

राजस्थानी कहानी में युगबोध : कमल रंगा

चौथे सत्र में डॉ गौरीशंकर प्रजापत के संयोजन में व मारवाड़ रत्न देवकिशन राजपुरोहित की अध्यक्षता में कमल रंगा ने राजस्थानी कहानी में युगबोध की बात कही।

बुलाकी शर्मा ने कहानी विधा की संभावनाओं पर प्रकाश डाला तो रामकुमार घोटड़ ने लघुकथा परंपरा पर अपने पत्रों के माध्यम से विचार साझा किए।