खत्म होने का नाम नही  ले रही  “सर्वर डाउन” की समस्या

BIKANER KA RTO OFFICE

बीकानेर परिवहन विभाग बीकानेर के बीछवाल स्थित कार्यालय में “सर्वर”डाउन”की समस्या खत्म होने का नाम नही  ले रही हैं। इससे लाइसेंस आवेदको एवं वाहन संचालको को खासा परेशान होना पड़ रहा हैं।

पिछले शुक्रवार को परिवहन भवन बीकानेर में बिजली गुल होने के कारण वाहन एवं लाइसेंस सम्बन्धी काम अटक गये थे, तो सोमवार को विभाग में संचालित सरकारी ‘इंटरनेट सेवा” लाइन में बड़ा फाल्ट आने के कारण सभी काम अटक गये।

इसके कारण लाइसेंस-शाखा सहित सभी शाखाओं में प्रतिदिन तैयार होने वाले परमिट,फिटनेस,वाहन रजिस्ट्रेशन जैसे महत्वपूर्ण कार्य रुक गए। शुक्रवार को बिजली गुल और सर्वर डाउन की समस्या से परेशान लोग शनिवार एवं रविवार के अवकाश के बाद आज इस आशा से परिवहन कार्यालय पहुंचेध्‍।

शुक्रवार को अटका लाइसेंस, फिटनेस,परमिट आदि का काम आज जरूर पूरा होगा। लेकिन पहुंचने पर पता चला कि आज बीएसएनएल की ‘इंटनरनेट सेवा”ही बंद हैं और अधिकारियो एवं कार्मिको द्वारा शुक्रवार एवं सोमवार के आवेदन वाले फॉर्म लौटाने शुरू कर दिए।

परिवहन विभाग जनता से जुड़ा हुआ और राजस्व प्राप्ति की दृष्टि से संभाग का सबसे बड़ा विभाग है। जहाँ क्षैत्रिय परिवहन अधिकारी बैठता हैं। जिसके क्षेत्राधिकार में बीकानेर, हनुमानगढ़, श्री गंगानगर, नोहर, भादरा, नोखा जैसे जिला परिवहन कार्यालय शामिल हैं और उनके राष्टीय परमिट,अंतराष्ट्रीय ड्राइविंग लाइसेंस,एनओसी जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेज बीकानेर कार्यालय के मार्फत ही बनते हैं।

लेकिन कभी बिजली गुल तो कभी इंटरनेट की धीमी गति अथवा सर्वर डाउन होने से आम जन को बार-बार परेशान होना पड़ता हैं। ग्रामीण,शहरी क्षैत्रो तथा अन्य जिलों से लोग लंबी दूरी तय करके आते हैं।  इन समस्याओं के कारण शारीरिक,मानसिक, और आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता हैं।

इस संदर्भ में यातायात अधिवक्ता संघ के एडवोकेट हनुमान शर्मा,शिव कुमार विश्नोई, गौरीशंकर सांखला, पूनमचंद पुनियाँ, राजेश मोटसरा, धीरज सिडाना, प्रताप सिंह आदि ने जिला-प्रशासन को पत्र लिखा है।

परिवहन विभाग में आये दिन बिजली गुल एवं “सर्वर डाउन” की समस्या का स्थायी समाधान करने के लिए कहा। एडवोकेट हनुमान शर्मा ने बताया कि एक तरफ तो कागजातों के अभाव में मुख्य मार्गो पर वाहन चालकों को पुलिस एवं आरटीओ उड़नदस्ते वाले परेशान करते हैं।

दूसरी तरफ विभाग फिटनेस, ड्राइविंग लाइसेंस, जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेजों के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था तक नही करता जिससे उन्हें चालान बनने के दौरान पांच हजार से दस हजार तक जुर्माना भरना पड़ता हैं।

एडवोकेट गौरीशंकर सांखला ने बताया कि विभाग के पास उच्च क्षमता वाले दो-दो जनरेटर हैं। वे रख-रखाव के अभाव में नकारा पड़े हैं। सर्वर डाउन की स्थिति में विभाग द्वारा जनता को राहत देने के लिये इंटरनेट हेतु निजी  कंपनियों के इंटरनेट-डोंगल की सेवाएं ली जा सकती हैं।

लेकिन विभाग इसमें भी बजट की कमी का हवाला देकर टाल-मटोल कर देता हैं। जबकि विभाग प्रति वर्ष करोड़ो का राजस्व जनता के टेक्स से वसूलता हैं।