सीकर के रमेश जोशी को साहित्यश्री व बीकानेर के शंकरसिंह राजपुरोहित को मिलेगा राजस्थानी सृजन पुरस्कार 

Ramesh Joshi of Sikar will receive Sahityashree and Shankar Singh Rajpurohit of Bikaner will receive Rajasthani srijan Award
Ramesh Joshi of Sikar will receive Sahityashree and Shankar Singh Rajpurohit of Bikaner will receive Rajasthani srijan Award

बीकानेर, (samacharseva.in)। सीकर के रमेश जोशी को साहित्यश्री व बीकानेर के शंकरसिंह राजपुरोहित को मिलेगा राजस्थानी सृजन पुरस्कार , श्री मलाराम माली स्मृति साहित्यश्री सम्मान और राजस्थानी साहित्य सृजन हेतु  दिए जाने वाले  राजस्थानी साहित्य सृजन पुरस्कार की घोषणा कर दी गई है। इस वर्ष साहित्यश्री सम्मान सीकर के शिक्षाविद,  साहित्यकार,  संपादक  रमेश जोशी को और राजस्थानी साहित्य सृजन पुरस्कार बीकानेर के लोकप्रिय व्यंग्यकार कवि शंकरसिंह राजपुरोहित को उनकी चर्चित व्यंग्य पुस्तक ‘म्रित्यु रासौ’ के लिए घोषित किया गया है। पुरस्कार श्रीडूंगरगढ में आयोज्य भव्य समारोह में अर्पित किए जायेंगे।  

सम्मान व पुरस्कार स्वरूप 11 हजार रूपये नगद राशि के साथ सम्मान-पत्र, स्मृति-चिह्न, शॉल अर्पित किए जायेंगे। डॉ. नंदलाल महर्षि स्मृति हिन्दी साहित्य सृजन पुरस्कार मनोहरपुर के कैलाश मनहर को पूर्व में ही घोषित किया जा चुका है। ये पुरस्‍कार राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति, श्रीडूंगरगढ द्वारा भाषा, साहित्य व संस्कृति के क्षेत्र में सुदीर्घ सेवा के लिए श्री मलाराम माली स्मृति में प्रदान किए जाते हैं।

संस्थाध्यक्ष श्याम महर्षि ने बताया कि 20 वर्ष से अधिक समय तक की सेवा के लिए  प्रतिवर्ष दिया जाने वाला और राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध श्री मलाराम माली स्मृति साहित्यश्री सम्मान और राजस्थानी के मौलिक साहित्य सृजन के लिए प्रतिष्ठित पं. मुखराम सिखवाल स्मृति राजस्थानी साहित्य सृजन पुरस्कार प्रदान किया जाता है।

विडंबनाओं के सृजन के लिए चर्चित रमेश जोशी 

अपने सृजनकाल में उदारीकरण के बाद की विडंबनाओं के सृजन के लिए खासे चर्चित रहे  रमेश जोशी का जन्‍म 18 अगस्त 1942  को चिड़ावा में हुआ। केन्द्रिय विद्यालय संगठन से जुड़े रहे जोशी की कर्जे के ठाठ, रामधुन, बेगाने मौसम, कौन सुने इकतारा और पिता शीर्षक से काव्य कृतियां प्रकाशित हैं।

अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी समिति अमेरिका की प्रसिद्ध त्रैमासिकी ‘विश्वा’ के संपादक जोशी कई राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय साहित्यिक संस्थानों व विश्वविद्यालयों से समादृत हो चुके हैं।  रास्ते में अटकी उपलब्धियां, कुड़क मुर्गियों का लोकतंत्र,  निर्गुण कौन देस को बासी,  देवता होने का दुःख,  झुमका खोने की स्वर्ण जयंती, मूर्तियों से बंधे पशु,  लोकतंत्र का ब्लू व्हेल गेम,

जगदुरु जी टॉयलेट में हैं,  ईश्वर के साथ सेल्फी,  माई लेटर्स टू जार्ज बुश,  लीला का लाइसेंस,  ज्यों की त्यों धर दीनी चदरिया,  इश्क का एन्साइक्लोपीडिया और एक गधे का धर्म परिवर्तन जैसी रचनाओं से चर्चा में रहे जोशी पत्र-पत्रिकाओं के लिए स्तम्भ लेखन लेखन से भी निरंतर जुड़े रहे हैं।

कवि, व्यंग्यकार, संपादक व अनुवादक शंकर सिंह राजपुरोहित   

कवि, व्यंग्यकार, संपादक व अनुवादक के रूप में ख्यात स्वर्ण पदक विजेता शंकर सिंह राजपुरोहित का जन्‍म 12 सितम्बर 1969 को हुआ। राजपुरोहित अपने रचनात्मक शिल्प वैशिष्ट्य के लिए जाने जाते हैं।

व्यंग्य की तीखी धार और हास्य कविताओं से मंचों पर बेहद पसंद किए जाने वाले शंकरसिंह साहित्य अकादमी, दिल्ली के अनुवाद पुरस्कार, राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर के पैली पोथी पुरस्कार व भत्तमाल जोशी महाविद्यालय पुरस्कार, नगर विकास न्यास, राव बीकाजी संस्थान, नेम प्रकाशन, डेह  सहित अनेक पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके हैं।

सुण अरजुण, आभै रै उण पार, म्रित्यु रासौ जैसी मौलिक कृतियों के साथ गणनायक, कितने पाकिस्तान, उपरवास कथात्रयी, गांधी’ज आउटस्टैंडिंग लीडरशिप और बाइबल के न्यू टेस्टामेंट के अनुवाद लोकप्रिय रहे हैं।