मोहरे लड़ते रहे खिलाड़ी बढ़ते रहे

The players kept on fighting the MOHARE kept on increasing copy
The players kept on fighting the MOHARE kept on increasing copy

बीकानेर में शतरंज के अंतरराष्‍ट्रीय आयोजनों ने शहर को हर बार नए खिलाड़ी दिए

NEERAJ JOSHI बीकानेर, (समाचार सेवा) मोहरे लड़ते रहे खिलाड़ी बढ़ते रहे, पंद्रह देशों से आए ग्रांडमास्‍टर्स को लेकर एक अक्‍टूबर से शुरू हो रही शतरंज प्रतियोगिता अपनी तरह की पहली प्रतियोगिता है, लेकिन बीकानेर में शतरंज का यह तीसरा अंतरराष्‍ट्रीय टूर्नामेंट है।

हर टूर्नामेंट के बाद शहर में शतरंज के प्रति दीवानगी बढ़ी ही है। पहली बार एशियन चैंपियनशिप में 115 खिलाडि़यों ने शिरकत की थी, इसके बाद 1999 में हुए कॉमनवैल्‍थ टूर्नामेंट में 125 खिलाड़ी थे,

इस बार ग्रांडमास्‍टर टूर्नामेंट में 15 देशों के ‘ए’ श्रेणी यानी फीडे रेटिंग वाले 65 खिलाडि़यों सहित देश के विभिन्‍न कोनों से आए 275 ‘बी’ श्रेणी यानी निम्‍न फीडे रेटिंग अथवा बिना रेटिंग के 275 खिलाड़ी शरीक हो रहे हैं।

एशियन टूर्नामेंट से पहले बीकानेर में शतरंज एक खास वर्ग तक ही सीमित रही थी, लेकिन एशियन टूर्नामेंट ने मोहरों की बिसात को गली मोहल्‍लों और पाटों तक पहुंचा दिया।

हर्षों के चौक, कीकरिया क्‍लब और रतनसागर कुआं क्षेत्रों में बने चैस क्‍लबों ने अब तक 15 फीडे रेटिंग वाले खिलाड़ी दिए हैं। इनमें से एसएल हर्ष, उम्‍मेद सिंह, अनिल बोड़ा और संदीप जैन तो 2000 से ऊपर की फीडे रेटिंग वाले खिलाड़ी हैं, वहीं 12 खिलाड़ी 1300 से 1800 फीडे रेटिंग लेकर खेल में बने हुए हैं।

ऑफीशियल एकेडमी के रूप में सादुलगंज में कर्नल मोहनसिंह एकेडमी ने भी कई वर्ष तक शतरंज खिलाडि़यों को तराशने का काम किया, उस दौर में प्रशिक्षण प्राप्‍त करने वाले खिलाडि़यों में से आठ खिलाडि़यों में बाद में राष्‍ट्रीय स्‍तर पर बीकानेर और राजस्‍थान का नेतृत्‍व किया और फीडे रेटिंग भी प्राप्‍त की।

कैसे मिलती है फीडे रेटिंग

अंतरराष्‍ट्रीय शतरंज संघ द्वारा मान्‍यता प्राप्‍त टूर्नामेंट में दस राउण्‍ड के दौरान अगर एक बिना फीडे रेटिंग वाला खिलाड़ी आधा प्‍वाइंट भी अर्जित कर लेता है तो उसे फीडे रेटिंग मिल जाती है, शुरूआती तौर पर यह रेटिंग 900 के करीब होती है।

अगर नया खिलाड़ी 1800 रेटिंग तक के खिलाड़ी को मात दे दे तो उस नए खिलाड़ी की एक ही टूर्नामेंट में रेटिंग बढ़कर 1800 के करीब आ सकती है। पूर्व में फीडे रेटिंग के नियम बहुत कड़े थे, ऐसे में फीडे रेटिंग वाले खिलाडि़यों की संख्‍या बहुत कम होती थी। अब नियमों में कुछ ढील देने के बाद फीडे रेटिंग मिलनी आसान हो गई है।

बीकानेर में हाल ही में हो रहे ग्रांडमास्‍टर टूर्नामेंट अंतरराष्‍ट्रीय शतरंज संघ द्वारा मान्‍यता प्राप्‍त टूर्नामेंट है, इस प्रतियोगिता में अगर बिना फीडे रेटिंग वाले नए खिलाड़ी आधा प्‍वाइंट भी हासिल कर लेते हैं तो उन्‍हें फीडे रेटिंग मिलने की गुंजाइश है।

आने वाले दिनों में हो सकता है बीकानेर को कुछ नए रेटिंग वाले खिलाड़ी मिल जाएं।

देखने से बढ़ती है रुचि

शतरंज खिलाड़ी अनिल बोड़ा बताते हैं कि ऐसे अंतरराष्‍ट्रीय टूर्नामेंट में ग्रांडमास्‍टर और दूसरे आला दर्जे के खिलाडि़यों को करीब से खेलते हुए देखने से नए खिलाडि़यों में रूचि बढ़ती है।

एक और जहां बुद्धि के इस खेल से मानसिक विकास होता है, वहीं सरकारी और कॉर्पोरेट नौकरियों की संभावना भी बढ़ती है। ऐसे हर टूर्नामेंट के बाद बीकानेर में शतरंज के प्रति जबरदस्‍त क्रेज देखने को मिलता है।