हिजड़ा शब्द बना गाली, थर्ड जेंडर के प्रति समाज में संवेदना का अभाव-डॉ. भटनागर

Nehru Sharda Peeth PG College 3
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एनएसपी कॉलेज में हुई लिंग संवेदीकरण व संबंधित पहलू-वर्तमान परिदश्‍य राष्ट्रीय संगोष्ठी

बीकानेर, (samacharseva.in)। पीपुल्‍स यूनियन फॉर सिविल लिबरटीज राजस्‍थान के जनरल सेक्रेटरी डॉ. अनन्‍त भटनागर ने कहा कि आज हिजड़ा शब्द गाली के रूप में प्रयोग में लिया जाता है इससे बार-बार यह चिंतन उभरता है कि थर्ड जेंडर के  प्रति समाज में संवेदना का अभाव है।

डॉ. भटनागर रविवार को महाराजा गंगासिंह विश्‍व विश्वविद्यालय बीकानेर के सेंटर फॉर वूमेन स्टडीज व नेहरू शारदा पीठ पीजी महाविद्यालय की और से एनएसपी कॉलेज परिसर में में हुई लिंग संवेदीकरण व संबंधित पहलू-वर्तमान परिदश्‍य राष्ट्रीय संगोष्ठी को बीज वक्ता (की-नोट स्‍पीकर) के रूप में संबोधित कर रहे थेत्र उन्‍होने कहा कि ऐसा माना जाता है स्त्री को सुरक्षा की जरूरत है, परिवर्तन का दौर है लेकिन आज आवश्यकता है उस खुलेपन की जिसमें स्त्री पुरूष का सम्बन्ध एक व्यक्ति के रूप में पहचाना जाए।

सफल स्त्री को अक्सर समाज अपने बूते पर सफल न मानकर अक्सर उसके पीछे किसी पुरूष के सहारे की बात उठाता है जो कि चिंतनीय है। संगोष्‍ठी के मुख्य अतिथि ज्योतिष जोशी ने कहा कि आज इस देश में अचानक ऐसा क्या  हो गया जो मनुष्यता और मानव संवेदना पर सवालिया प्रश्न तेजी से उभर रहे है महिला के आत्मनिर्भरता उसकी आर्थिक स्वतत्रंता पर आधारित है महिला तभी सशक्त कहलायेगी जब समाज उसके निणर्य लेने की स्वत्रतंता को मानयता देगा।

सेमिनार डायरेक्टर डॉ. मेघना शर्मा ने अपनी बात रखते हुए समाज में सभी लिंगों को समानता से देखे जाने की आवश्यकता पर बल दिया। कार्यक्रम अध्यक्ष कुलपति डॉ. भगीरथ सिंह ने कहा कि मंचों पर अक्सर सभी कृत्रिम व्यक्तितव लेकर बात करते हैं। उन्होंने चिंता जताई कि निर्भया एक्ट बनने के बाद व शिक्षा का अत्यधिक प्रचार प्रसार होने के बावजूद दुष्र्कम की घटनाएं बढ़ी है।

कुरूक्षेत्र की डॉ. शालिनी शर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा कि लिंग समानता की बात करने से आज डर लगने लगा है क्योंकि घटनाएं जितनी तेजी से करवट बदल रही है ऐसे परिवेश में स्त्री आरम्भ से ही प्रश्नचिहृन समाज द्वारा थोपे गये है। वह वर्जनाओं और प्रतिबंधों के साथ ही पैदा हुई प्रतीत होती है। उद्घाटन सत्र में ध्न्यवाद ज्ञापन देते हुए समीनार समन्यवक डॉ. प्रशान्त बिस्सा ने विषय को समसामयिक बताया और उसके चिंतन मंथन के पश्चात् निश्चित रूप से निष्कर्ष निकालकर युवा पीढ़ी को इस उद्देश्य से जोड़ने को समीचीन बताया।

चार तकनीकी सत्रों में लिंग समानता महिलाओं को न्याय, यौन शोषण, घरेलू हिंसा आदि विषयों पर लगभग 75 पत्रों का वाचन किया गया। अतिथियों द्वारा विद्यार्थियों द्वारा विषय आधारित पोस्टर प्रदर्शनी को भी लोकार्पण किया गया। समापन सत्र में आयोजन सचिव डॉ. समीक्षा व्यास ने संगोष्ठी की एक रिपोर्ट प्रस्तुत की। मुख्य अतिथि दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. अनु मेहरा ने विधि में महिला के स्थान  को इंगित किया तो वहीं रोहतक विश्वविद्यालय के प्रो. भूपसिंह गौड़ ने लिंग सवेंदीकरण को वैश्विक समस्या बताया।

विशिष्ठ अतिथि मधु खंडेलवाल ने साहित्य के माध्यम से समाज को विषय पर नवीन दृष्टि विकसित करने की आवश्यकता पर बल दिया। अध्यक्ष मधु आचार्य ने महिला पुरूष समानता को वक्त की जरूरत बताया। सत्राध्यक्षों की भूमिका ने डॉ. बृजरतन जोशी, डॉ. अनिला पुरोहित, डॉ. सीमा शर्मा, डॉ. सुचिता कश्यप, डॉ. मिनाक्षी खंगारोत, डॉ. गरीमा प्रजापत आदि रहें।

कार्यक्रम का संचालन ज्योती प्रकाश रंगा ने किया। सेमिनार  आयोजन समिति में डॉ. गौरीशंकर प्रजापत, डॉ. दिनेश कुमार सेवग, डॉ. यज्ञेश नारायण पुरोहित, राजकुमार पुरोहित, राजेश पुरोहित, डॉ. गोपाल कृष्ण व्यास, डॉ. प्रीति सक्सेना,  डॉ. मनीषा गांधी, डॉ. चित्रा आचार्य, डॉ. मुकेश किराडू, नीतू बिस्सा, रश्मि हर्ष, डॉ. रश्मि आचार्य, डॉ. पूनम वाघवानी, हेमा पारीक, ममता पुरोहित, दीपा हर्ष, योगिता आचार्य, बलदेव शर्मा, मुकेश् पुरोहित, अरविन्द स्वामी, अमित पारीक, गोवर्धन भादाणी एवं समस्त महाविद्यालय परिवार ने हिस्सा लिया।