मूड फ्रेश कर देता है बीकानेरी भुजिया

BIKANERI BHUJIA-2

नीरज जोशी

आज देश और विदेश में अपनी पहयान बना चुका बीकानेरी भुजिया एक ऐसा नमकीन पदार्थ है जो मूहं में जाते ही आपका मूड फ्रेश कर देता है। बीकानेर के वाशिंदों के लिए तो सुबह-शाम की चाय, दोपहर में दही-छाछ और शाम की रोटी के अलावा रात की बैठकों में भुजिया की उपस्थिति जरूर रहती है।

बीकानेर में भुजिया का आविष्कार 1877 में डूंगरसिंह के शासनकाल में हुआ जब पकवान के कारीगरों ने बहुत ही बारीक भुजिया के स्वाद से उसे महाराजा का पसंदीदा नमकीन बनवा दिया। तब से उस भुजिया का नाम ही डूंगरशाही भुजिया पड़ गया।

Dainik Navjyoti all edition Ravivaria 1-7-2018
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व्यावसायिक उत्पादन इसके साठ साल बाद अग्रवाल परिवार की एक महिला ने अपने घर में किया जो स्वाद के रास्ते पर ऐसा चला कि लोगों के मुंह पर चढ़ गया। आज बीकानेर का भुजिया देश की सरहद पार कर अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कर चुका है।

बीकानेर के लोगों के खान-पान का जरूरी हिस्सा बन चुके भुजिया की यहां पर गली गली में दुकानें हैं और एक विशिष्ट जाति राजपुरोहितों को इसमें महारत हासिलहै।

BIKANERI BHUJIA-1
BIKANERI BHUJIA-1

बीकानेर का वाशिंदा आज भी अपने घर में भुजिया का स्टाक नहीं रखता है क्योंकि घर के पास ही ताजा भुजिया सहज उपलब्ध है। इसलिए खाना खाने बैठने से पहले बच्चा दौड़कर ताजा भुजिया खरीद लाता है।

* मौसम और स्वास्थ्य के अनुकूल भी है भुजिया

बीकानेरी भुजिया अपने आप में एक जियोग्राफिकल इंडीकेटर भी है क्योंकि बीकानेर की शुष्क आबोहवा बीकानेर के नमकीन पानी (अधिक लवण युक्त) और बीकानेर व इसके आसपास के क्षेत्र में उगने वाले मोठ दाल सेही बनाया जा सकता है।

मोटे तौर पर बीकानेरी भुजिया को महीन भुजिया के तौर पर ही जाना जाता है लेकिन वास्तव में भुजिया के शौकीन इसके चारों रूपों को पसंद करते हैंमहीन भुजिया जहां बारीक छलनी से बनाया जाता है वहीं मोठ कीदाल के साथ आंशिक चने के बेसन के मेल से मोटा भुजिया बनाया जाता है।

भुजिया के साथ काली मिर्च और सौंधी खुशबू वाला नरम तीन नंबर भुजिया गिनी चुनी दुकानों पर ही उपलब्ध होते हैं।बीकानेर से बाहर मोठ उपलब्ध नहीं होने से भुजिया चने के बेसन का बनाया जाता है जो स्वाद में इसके आगे कहीं नहीं ठहरता। इसके अलावा उसकी हल्की गुणवत्ता भी उसे कई दिनों तक टिके रहने नहीं देती।

* डूंगरशाही भुजिया पाक कला का सर्वोत्कृष्ट नमूना

भुजिया की उपरोक्त तीनों श्रेणियों के अलावा डूंगरशाही भुजिया बीकानेरी कारीगरों की  पाक कला का सर्वोत्कृष्ट नमूना है।डूंगरशाही भुजिया बाल से कुछ ही अधिक मोटा होता है और खाने में ऐसा स्वादिष्ट कि मुंह मेंजाते ही घुल जाता है।

बीकानेर की प्रचंड गर्मी व शुष्क आबो हवा में मानव शरीर को जिस तेल और मसालों की जरूरत है उसकी पूर्ति भुजिया के अलावा और कोई पकवान नहीं करता है।

BIKANERI BHUJIA-3
BIKANERI BHUJIA-3

* बेहतर शुष्क भोजन

चूंकि बीकानेर में नहर आने से पहले तक पूरे वर्ष सब्जियों और दूसरे खाद्य पदार्थों की पैदावार नहीं के बराबर होती थी ऐसे में शुष्क भोजन जो कि लंबे समय तक उसकी गुणवत्ता कायम रहने की जरूरत थी।

ऐसे में भुजिया ऐसे विकल्प के तौर पर सामने आता है जिसमें प्रोटीन के तौर पर मोठ दाल, कार्बोहाइड्रेट के तौर पर मूंगफली का तेल और शरीर के लवणीय संतुलन बनाये रखने के लिये जरूरी हींग, लौंग, काली मिर्च,सेंधा नमक जैसे पोषक तत्व मिल जाते हैं।

ऐसे में यह अपने आप में न केवल पूर्ण भोजन है बल्कि इसे अकेले अथवा रोटी के साथ खाया जा सकता है।समय के साथ इस बीकानेरी स्वाद ने अर्थ तंत्र को भी अपने स्वाद की गिरफ्त में ले लिया है।

* बीकानेर के सेठों व काबिल रसोईयों की सौगात

थार के रेगिस्तान में ट्रांजिट सेंटर की हैसियत रखने वाले बीकानेर को सेठों और उनके काबिल रसोईयों की सौगात भी मिली।धोरों में अपना अस्तित्व तलाश रही मोठ की दाल को भुजियों में विश्व प्रसिद्धि का आयाममिला।कल तक बीकानेर की गलियों में अपने स्वाद की लहर बिखरने वाले बीकानेरी भुजिया को आज विश्व के हर प्रमुख देश में न केवल पसंद किया जाता है बल्कि बीकानेरी ब्रांड के तौर पर भी जाना जाता है।

बढी भुजिया कारीगरों की मांग

देशभर में बीकानेरी भुजिया की मांग के चलते भुजिया कारीगरों की खेप हर जाति व समुदाय में तेजी से बढ़ी है।आजादी से पहले तक जहां बीकानेरी सेठों का व्यापार जिन प्रमुख शहरों तक था वहीं तक बीकानेरी भुजियाका प्रसार था इनमें कोलकाता, सूरत, चेन्नई, आसाम, महाराष्ट्र जैसे क्षेत्र थे आजादी के बाद बीकानेर की ट्रांजिट सेंटर की हैसियत खत्म होने के साथही बीकानेरी भुजिया का प्रचार प्रसार छोटे बड़े सभी व्यवसायियों नेअपने स्तर पर भारत के हर कोने तक पहुंचाने का प्रयास शुरू किया, आज कुछ बड़े ब्रांड जहां अंतरराष्ट्रीस्तर पर अपनी पैठ बना चुके हैं वहीं छोटे व्यवसायियों ने भी ई कॉमर्स वेबसाइट्स के जरिये अपनी पहुंच दूर दराजतक बना ली है।