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गोचर भूमि का म्यूटेशन रकबा राज के रूप मे किया जाना जनभावनाओं के विरूद्ध – डॉ. बी. डी. कल्‍ला

NEERAJ JOSHI बीकानेर, (समाचार सेवा)  बीकानेर पश्चिम के पूर्व विधायक व पूर्व केबिनेट मंत्री डॉ. बुलाकीदास कल्‍ला ने बीकानेर विकास प्राधिकरण (बीडीए) पर आरोप लगाय है कि बीडीए ने हजारों आपत्तियों की सुनर्वाइ किये बगैर ही बीकानेर की 40 हजार बीघा गोचर भूमि का म्यूटेशन रकबा राज के रूप में कर दिया है। यह ना तो विधि सम्मत है साथ ना ही जनभावनाओं के अनुरूप है।

डॉ. कल्‍ला ने इस संबंध में  मुख्यमंत्री, राजस्व मंत्री, नगरीय विकास एवं स्वायत्त शासन मंत्री सहित मुख्य सचिव को पत्र भेजकर गोचर भूमि के म्यूटेशन द्वारा आवासीय भूमि में दर्ज करने की कार्यवाही निरस्त करने की मांग की है। पत्र में डॉ. कल्‍ला ने चेतावनी दी है कि रकबा राज के रूप में दर्ज गोचर भूमि का म्यूटेशन निरस्त नहीं किया गया तो बीकानरे में गोचर को बचाने के लिए जन आंदोलन किया जायेगा, विधि सम्मत कार्य वाही भी की जावेगी। इसकी समस्त जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी।

रियासत काल में दानदाताओं ने खरीदी भूमि

अपने पत्र में  डॉ. कल्ला ने बतलाया कि बीकानरे विकास प्राधिकरण द्वारा मास्टर प्लान 2043 में सरे नथानियां, गंगाशहर-भीनासर, सुजानदसेर एवं उदयरामसर की करीब 40 हजार बीघा भूमि, जो कि गोचर भूमि के रूप में रियासत काल में दानदाताओं द्वारा खरीद कर गोचारण हेतु दान दी गयी थी, को रियासत काल में आवंटन के दौरान तत्कालीन महाराजा ने लिखा था कि जब तक चांद-तारे रहेंगे, यह भूमि गोचर के रूप में दर्ज रहेगी।

अब चांद-तारे तो है लेकिन राजशाही की जगह लोकतंत्र ने ले ली है और ऐसे  में अब सरकारी प्रक्रियाओं में यह गोचर भूमि राजस्व रिकार्ड में रकबा राज के रूप में आवासीय व अन्य उपयोग के लिए म्यूअेशन में दर्ज कर ली गई है। उन्‍होंने लिखा कि गोचर- ओरण वन भूमि में दर्ज भूमि का गोचर के अलावा अन्य उपयोग नही हो सकता था जबकि रकबा राज पूर्णतः सरकारी भूमि होगी।

हजारों आपत्ति दर्ज फिर भी कर दिया म्‍यूटेशन

इस संबंध मे जैसे ही बीकानरे विकास प्राधिकरण ने करीब 40 हजार बीघा गोचर भूमि को आवासीय व अन्य उपयोग के लिए प्रस्‍तावित किया तब से इस भूमि  के अधिग्रहण को निरस्त कराने हेतु हजारों आपत्ति दर्ज हो चुकी है। इसके उपरांत भी आपत्तियों की सुनर्वाइ  किये बगैर ही उक्त 40 हजार बीघा गोचर भूमि का म्यूटेशन रकबा राज के रूप मे किया जाना विधि सम्मत व जनभावनाओं के विरूद्ध है।

बीकानरे है राजस्थान की आध्यात्मिक नगरी

डॉ. कल्‍ला ने पत्र में लिखा कि बीकानरे राजस्थान की आध्यात्मिक नगरी है जिसे छोटी काशी के रूप में पुकारा जाता है। यहाँ के दान दाता भागीरथ राठी ने रियासत काल में 10 हजार चांदी के कलदार रूपये खजाने में जमा करा कर इसे खरीदा व गोचर के लिए दान में दे दिया। इसी प्रकार भैरूदान चौपडा ने गंगाशहर-भीनासर के पास की जमीन को इसी प्रक्रिया द्वारा रियासत काल में खरीद कर गोचर के लिए दान दे दी।

गायो के चरने हेतु दान में दी भूमि

नत्थुलाल नथानियां ने सरे नथानियां की गोचर भूमि को तत्कालीन राजा से खरीद कर गायो के चरने हेतु दान में दे दी, तब से लेकर यह भूमि  गोचर के रूप में दर्ज थी। उक्त दान दी हुई भूमियों को अराजीराज रकबा में बदलने की कार्यवाही म्यूटेशन मे चढाकर जो की गई है, उससे बीकानेर की जनता मे भारी रोष व्याप्त है तथा रियासतकालीन आदेश जिसमें इस भूमि को गोचर के रूप मे रखने का स्थायी प्रावधान था उसकी अनदेशी भी कर बीकानेर विकास प्राधिकरण द्वारा इसे आवासीय भूमि में बदलना गैर-कानूनी एवं जनता के साथ विश्‍वासघात की परिधि में आता है।

जैव विविधता बनाये रखती है गोचर भूमि

पर्यावरण की दृष्टि से यह गायों व अन्य पशु-पक्षियों के साथ-साथ जैव विविधता बनाये रखने एवं बीकानेर की जनता को शुद्ध ऑक्सीजन देने का कार्य भी करती है। डॉ. कल्ला ने पूरजोर शब्दों से मांग की कि बीकानेर विकास प्राधिकरण को तत्काल यथोचित निर्देश दिये जाने की आवश्‍यकता है ताकि निर्देश दिये जाने की आवश्‍यकता है ताकि गोचर भूमि को म्यूटेशन द्वारा आवासीय भूमि में दर्ज करने की जो कार्यवाही की है उसे निरस्त किया जा सकें।

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