पेट्रोल के बढ़ते दाम ने भाजपा नेताओं की बोलती कर दी बंद

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बीकानेर (समाचार सेवा)। पेट्रोल के बढ़ते दाम ने भाजपा नेताओं की बोलती कर दी बंद। बीकानेर में पेट्रोल के दामों ने पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ डाले हैं। शहर में पेट्रोल 82.50 रुपये प्रति लीटर और डीजल 73.01 रुपये लीटर बिका। हर घर में इन दिनों किसी चीज की चर्चा है तो पेट्रोल के भाव बढ़ने और महंगाई अपनी चरम सीमा पर पहुंचने की है।

आम जनता में पेट्रोल पर टैक्स कम नहीं करने पर भारी रोष व्याप्त है। दूसरी ओर महंगाई और ऊपर से पेट्रोल के बेहिसाब दाम बढ़ने से सत्ताधारी पार्टी के कार्यकर्ताओं की बोलती बंद हो गई है। भाजपा नेता अपनी ही सरकार के खिलाफ आम जनता के आक्रोश को झेलने को मजबूर हैं।

बीकानेर में सात सीटों पर भाजपा के चार विधायक हैं और मीडिया से इस विषय पर कोई बात करने को तैयार नहीं है। इसलिए कार्यकर्ताओं के नंबर से इन नेताओं से बात कराई गई तो सभी एक ही जवाब था कि महंगाई और पेट्रोल के दाम बढ़ने से हम खुद परेशान हैं क्योंकि सिर पर अब चुनाव आ गए हैं लेकिन हम खुलकर बोल नहीं सकते। उन्होंने बताया कि अब तो कार्यकर्ताओं और मतदाताओं के सामने जाना मुश्किल हो गया है।

शहर के एक प्रमुख पदाधिकारी से जब पूछा गया कि आखिर इस महंगाई का कहां जाकर अंत होगा तो उन्होंने हाथ जोड़ते हुए कहा कि हमारी जुबां पर अब ताला लग गया है। सरकार से उम्मीद करते हैं कि चुनाव से पहले पेट्रोल के दाम कम कर देगी लेकिन अगर दाम कम नहीं हुए तो चुनाव में लोगों का आक्रोश झेलना मुश्किल हो जाएगा।

उनका कहना है कि डीजल के दाम बढ़ने से अब महंगाई और बढ़ेगी और विपक्षी दलों को सरकार के खिलाफ बढ़ा मुद्दा मिल जाएगा। इधर कार्यकर्ताओं का गुस्सा भी अपनी सरकार के प्रति कम नहीं हो रहा है। अब वे भी खुलकर सरकार के खिलाफ बोलने लगे हैं।

कार्यकर्ता तो केंद्र और राज्य सरकारों की तरफ मुंह ताक रहा है कि वे इन बढ़ते दामों को कम करने के लिए  बढ़ते दामों को कमकरने के लिए कोई प्रभावीकदम नहीं उठाएंगी।

* कांग्रेस के मोर्चा खोलने से भी हैँ परेशान सत्ता दल

आम लोगों को प्रभावित करने वाले मुद्दे और पेट्रोल-डीजल केदामों में बढोतरी के साथ कांग्रेसने भाजपा की वसुंधरा सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। पार्टी के राष्ट्रव्यापी आव्हान परकांग्रेस जिला स्तर से लेकरतहसील मुख्यालय स्तर परधरना प्रदर्शन कर केन्द्र और राज्य सरकार की खिलाफत कर रही है।

इससे कांग्रेस संगठन को नई ताकत मिल गई है और भाजपा बैकफुट पर आ गई है। इसका आगामी चुनावों में असर देखने को मिल सकता है।