केसरिया बालम, आओ नी पधारो म्हारे देश…

पंचनामा दैनिक नवज्‍योति बीकानेर
पंचनामा दैनिक नवज्‍योति बीकानेर

पंचनामा : उषा जोशी

* केसरिया बालम, आओ नी पधारो म्हारे देश…

जब से राज्य सरकार ने अपने सबसे धांसू आईपीएस अफसर केसरिया बालम को जांगळ प्रदेश का लॉयन घोषित किया है तभी से जांगळ देश में खुशियों की बहार छाई हुई है।

अनेक प्रमुख खादीधारी व खाकीधारी इस जांबाज खाकीधारी की अगवानी में पलक पावड़े बिछाकर बैठ हैं उनके आने का इंततार कर रहे हैं।

मगर हमने तो सुना है राजस्थान की शान माने जाने वाले इस खाकीधारी की जांगळ प्रदेश में आने की इच्छा कम है।

इसके बावजूद जो लोग इस अफसर के आने के इंतजार में दुबले हुए जा रहे हैं उनको यह भी बता देते हैं कि अगले पांच-सात दिन तो वे यहां लॉयन के रूप में कार्यभार सम्हालने के लिये आने वाले हैं नहीं।

इस बीच यदि इस अफसर की सुन ली गई तो वे अपने किसी पंसद वाली जगह ज्वाइन कर सकते हैं।

वैसे इस जांबाज अफसर के बारे में कहा तो यह जाता है कि वे सरकार के प्रत्येक आदेश को एक नये अवसर के रूप में स्वीकार करते हैं ऐसे में हो सकता है कि वे जांगळ प्रदेश भी किसी खास मिशन के तहत आ भी जाएं।

* जुआरियों व सटोरियों में भय

बीकानेर संभाग के नये लॉयन के रूप में जब से जांबाज आईपीएस अफसर दिनेश एमएन की तैनाती के आदेश जारी किए गए हैं, तब से क्षेत्र के जुआरियों, सटोरियों व शराब के तस्करों में जबरदस्त भय व्याप्त है।

झुंझुनूं के एसपी के रूप में जुआरियों, सटोरियों तथा शराब के तस्करों की लगभग जान निकाल देने वाले इस अफसर के बीकानेर रेंज में आने के भय से जुआरियों, सटोरियों तथा शराब के तस्करों की भरी गर्मी में कंपकपी छूट रही है।

जयपुर में प्रशिक्षु के रूप में माफियाओं में खौफ पैदा करने वाले, एसपी के रूप में करौली की अपनी पहली पोस्टिंग में करौली तथा बाद में सवाईमाधोपुर को डकैत मुक्त करने वाले, उदयपुर के टाइगर के रूप में वहां गैंगवार खत्म करने, खनन व हैंडीक्राफ्ट माफिया को ठिकाने लगाने वाले,

सात साल जेल की सजा का अनुभव रखने वाले, एसीबी व एसओजी के आईजी के रूप में बड़े-बड़े सरकारी अधिकारियों के लिये जेल में रोटी की व्यवस्था करने वाले इस अफसर के कारनामें सुनकर ही अनेक आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों ने रामनाम जपना शुरू कर दिया है।

* बाईसा की शराण में थानेदारी

शहर के एक प्रमुख थाने की थानेदारी पाने वाले कई खाकीधारी इन दिनों बाईसा की शरण में हैं। सुना है खादी व खाकी को भी इस थाने के लिये बाईसा की पसंद का थानेदार नियुक्त करने में कोई परेशानी नहीं होती है।

यही कारण है कि अनेक खाकीधारी इस थाने के लिये किसी और धार्मिक स्थल पर धोक लगाने की बजाय बाईसा की शरण में ही आना उचित समझता है। सुना है यहां जो भी थानेदार आता है वह बाईसा की मर्जी से आता है और बाईसा की मर्जी से जाता है।

हां राज के कुछ नियमों के कारण बाईसा के पसंद के खाकीधारी को अगर कहीं और भेजना भी पड़ जाता है तो वह तब तक वहीं रुका रहता है जब तक कि नियम का उल्लघन नहीं हो।

बाईसा के इसी प्रताप के चलते इस थाने की थानेदारी पाने वाले बाईसा की नजरों में आने के लिये हर संभव प्रयास करते हैं।