बीकानेर, (समाचार सेवा)। आरएनबी ग्लोबल विश्वविद्यालय बीकानेर के स्कूल ऑफ लॉ की ओर से आयोजित दो दिवसीय नेशनल कॉन्फ्रेंस का शुभारंभ शनिवार 14 दिसंबर को हुआ। विवि में 16 दिसंबर को आयोजित होने वाले कॉन्फ्रेंस के तीनों वर्किंग सेशंस में देश के कई प्रख्यात विधि विज्ञानों द्वारा विशेषज्ञों द्वारा अपने पेपर का प्रदर्शन या वाचन किया जाएगा।
शनिवार को कॉन्फ्रेंस का शुभारंभ समारोह के मुख्य अतिथि डॉ. भीमराव अंबेडकर विधि विश्वविद्यालय राजस्थान जयपुर के पूर्व कुलपति प्रो. उत्तमचंद सांखला थे। कॉन्फ्रेंस के पहले दिन के पहले वर्किंग सेशन में उपभोक्ता संबंधी विधियों के नए आयामों पर चर्चा हुई।
नवीन उपभोक्ता संरक्षण
अधिनियम 2019
दिल्ली यूनिवर्सिटी के सहायक आचार्य डॉ. अंजय कुमार ने इस सेशन की शुरूआत रिसोर्स पर्सन के रूप में करते हुए देश में उपभोक्ताओं के संरक्षण के लिए उठाए गए नये कदमों की विस्तार से जानकारी दी। डॉ. अंजय ने नवीन उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 में उत्पाद संबंधी दायित्व के बारे में विधार्थियों को जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि अब यदि किसी उत्पाद से किसी उपभोक्ता को किसी तरह की शारीरिक हानि होती है तो उस हानि के लिए भी उस उत्पाद के उत्पादक और विक्रेता को हर्जाना देना होगा। डॉ. अजय ने उपभोक्ता मामलों में परिवाद दायर करने के लिए उपभोक्ता सरंक्षण मंचों के क्षेत्राधिकार संबंधी परिवर्तनों की भी जानकारी दी।
ई कॉमर्स के युग
में उपभोक्ताओं के हित
कॉन्फ्रेंस के पहले दिन के पहले वर्किंग सेशन में राजकीय स्नातकोत्तर विधि महाविद्यालय बीकानेर की सहायक आचार्य मीनाक्षी कुमावत ने अपने उपभोक्ता संरक्षण ए न्यू एरा ऑफ कॉमर्स एंड टेक्नोलॉजी पेपर के माध्यम से ई कॉमर्स के युग में उपभोक्ताओं के हितों को सुरक्षित करने में नवीन उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 की की भूमिका की तथ्यात्मक जानकारी दी।
इस सेशन आरएनबी ग्लोबल विश्वविद्यालय बीकानेर के स्कूल ऑफ लॉ के प्रो. जी.एस. करकरा ने नवीन उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम क्रांतिकारी कदम बताया। प्रो. करकरा ने बताया कि स्वास्थ्य सेवाओं को नये अधिनियम के दायरे से बाहर रखा गया है।
भारत में बौद्धिक
संपदा अधिकार का संरक्षण
नेशनल कांफ्रेंस के दूसरे वर्किंग सेशन
में भारत में बौद्धिक संपदा अधिकार का संरक्षण विषय पर चर्चा हुई। सेशन के अध्य्क्षता
दिल्ली यूनिवर्सिटी के डॉ. अजय कुमार ने की। रिसोर्स पर्सन राजकीय स्नातकोत्तर विधि
महाविद्यालय बीकानेर की प्रो. डॉ. कुमुद जैन ने इंडियन फार्मास्यूटिकल पेटेंट लॉ एंड प्रॉब्लम्स
विषयक अपने पेपर में हाल ही में सरकार द्वारा जीवन रक्षक दवाइयों पर अनिवार्य लाइसेंस
देने के कदमों और पेटेंट अधिनियम 1970 के प्रावधानों के संबंध की जानकारी दी। एलएलबी प्रथम सेमेस्टर के छात्र दीप्तम कीर्तनया
ने भारत में दवाइयों के संबंध में बौद्धिक संपदा अधिकार संबंधी कानूनों पर प्रकाश डाला।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस
पर विधिक नियंत्रण
इस सत्र में स्कूल ऑफ लॉ के डीन प्रो. प्रो.
जी. एस. करकरा ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर विधिक नियंत्रण विषय पर अपने विचार व्यक्त
किए। सेशन की अध्य्क्षता करते हुए दिल्ली यूनिवर्सिटी के डॉ. अजय कुमार ने भारत में
बौद्धिक संपदा संबंधी अधिकार और विधियों की को और मजबूत करने की आवश्यकता बताई। सहायक
आचार्य कादंबरी व्यास ने सत्र की रिपोर्ट प्रस्तुत की।
वैयक्तिक विधियों
में सुधार की आवश्यकता
प्रथम दिन के तीसरे सेशन का विषय वैयक्तिक
विधियों में सुधार की आवश्यकता था। सेशन की अध्यक्षता जयपुर नेशनल यूनिवर्सिटी की प्रो.
कोमल औदिच्य ने की। रिसोर्स पर्सन प्रो. यू. सी. सांखला ने मुस्लिम विधियों में सुधार
की आवश्यकता पर विचार रखते हुए तलाक के संबंध में हाल में ही संसद द्वारा पारित किए
गए अधिनियम के प्रावधानों का विश्लेषण किया। आरएनबी ग्लोबल विश्वविद्यालय बीकानेर
के स्कूल ऑफ लॉ के प्रो. डॉ उदय देशपांडे ने यूनिफॉर्म सिविल कोड तथा जनसंख्या नियंत्रण
विषय पर अपना पेपर प्रस्तुत करते हुए समान नागरिक संहिता को वर्तमान समय की आवश्यकता
बताया। उन्होंने समान नागरिक संहिता को धार्मिक आस्था का विषय ना होने की बात भी कही।
हलाला विवाह को समाप्त
करने की आवश्यकता
सहायक आचार्य सोफिया कौसर ने हलाला विवाह
को समाप्त करने की आवश्यकता पर अपना पेपर प्रस्तुत करते हुए हलाला विवाह को एक सामाजिक
बुराई बताया। सोफिया ने विधिक नियंत्रण की आवश्यकता को रेखांकित किया। चतुर्थ सेमेस्टर
की छात्रा अनमोल पारख जैन ने व्यक्तिगत विधियों में सुधार की गुंजाइश विषय पर अपना
पेपर प्रस्तुत किया। हिंदू विधि में सुधार विषय पर प्रो. जी. एस. करकरा ने अपने विचार
व्यक्त किए। सेशन की अध्यक्षता करते हुए जयपुर नेशनल यूनिवर्सिटी की प्रो. कोमल औदिच्य
ने सभी वक्ताओं के विचारों का विश्लेषण किया। सोफिया कौसर ने सेशन की रिपोर्ट प्रस्तुत
की।
कॉन्फ्रेंस दूसरे
दिन हुए 3 वर्किंग सेशन
इस नेशनल कॉन्फ्रेंस के दूसरे दिन भी 3 वर्किंग सेशन का आयोजन किया गया। पहले वर्किंग सेशन का विषय
पर्यावरणीय विधियों के बदलते हुए रुझान और न्यायपालिका की भूमिका रहा। दूसरे सेशन का
विषय भारत में आपराधिक विधियों में सुधार की आवश्यकता रहा। तीसरे सेशन का विषय व्यवसायिक
लेनदेन के संबंधित विधियां रहा।