किसानों के लिये अभिशाप बनती कुंवरसेन लिफ्ट नहर

बीकानेर, (samacharseva.in)। किसानों के लिये अभिशाप बनती कुंवरसेन लिफ्ट नहर, नहर वैसे तो नहर होती है लेकिन जहां कुंवरसेन लिफ्ट नहर का नाम आता है वहां नहर की परिभाषा बदल जाती है। सामान्य तौर पर जिस सिस्टम में सिंचाई के लिए पानी प्रवाहित होता है वह नहर होती है लेकिन कुंवरसेन नहर चूंकि पूरी की पूरी इंसानी एवम विद्युत मेकेनिज्म पर निर्भर है इसलिए यह किसानों के लिए वरदान की जगह  अभिशाप बन गई है।

इंदिरा गांधी मुख्य नहर की 243आरडी के बिरधवाल हैड से उद्गम 550 क्यूसेक क्षमता  वाली, 152 किमी किलोमीटर लंबी और राजस्थान की प्रमुख लिफ्ट नहरों में शुमार इस लिफ्ट नहर में राजियासर पंपिंग स्टेशन से 58 फीट, मलकीसर पंपिंग स्टेशन से 19 फीट, खारा पंपिंग स्टेशन से 48 फीट तथा हुसंगसर पंपिंग स्टेशन से 62 फ़ीट पानी उठाया गया है।

इस नहर से बीस माइनरों और 51 सीधे मोघो से हजारों हेक्टेयर कृषि भूमि की सिंचाई होती। किसान की जीवन रेखा कही जाने वाली यह जल वितरण प्रणाली मशीनों एवम अफसरों की नाफ़रमानी की वजह से किसानों की लाइफ लाइन के स्थान पर डेथ लाईन बन गई है और किसान सदा से ही इस लाफ लाईन से आबाद होने के स्थान पर बर्बाद होता आ रहा है।

अधिकारियों की निष्क्रियता

अधिकारियों की निष्क्रियता व विधुत कटौती के चलते कंवरसेन लिफ्ट नहर में पानी का लेवल गङबङा जाता है। किसानों की पानी की बारी सदैव पिट जाती है। नहर के अधिशासी अभियंता पम्पिंग स्टेशनों का निरीक्षण नहीं करते। वे महीने में 15 दिन ही कार्यालय आते हैं।  चारों पंपिंग स्टेशनों पर विद्युतकार, फीडर व मैकेनिकल जैसे मुख्य पद खाली हैं। बिजली की समस्या रहती है। पुरानी विद्युत मोटरों की बाहर से मरम्मत करानी पड़ती है जिसमें अधिक समय लगता है।

कर्मचारियों की कमी

जानकारी के अनुसार इस नहर की चारों पंपिंग स्टेशनों पर कर्मचारियों के  लगभग सौ पद स्वीकृत हैं जबकि वर्तमान में आधे से अधिक पद रिक्त पड़े हैं। इसके अलावा राजियासर के प्रथम पंपिंग स्टेशन पर  बिजली के बार बार कट लगने से मोटरों को रुक रुक कर दुबारा चलाना पड़ता है जिससे आगे के  तीनों पंपिंग स्टेशन इससे प्रभावित होते हैं। साथ ही पानी का बहाव कम हो जाता है इससे किसानों को बड़ा नुकसान होता है। वे सिंचाई पानी से वंचित हो जाते हैं।

समाधान

सौर ऊर्जा प्लांट लगाकर बिजली का भारी खर्चा भी बचाया जा सकता है। किसानों को पर्याप्त पानी दिया जा सकता है। कंवरसेन लिफ्ट नहर के चारों पम्पिंग स्टेशनों को चलाने के लिए भारी भरकम विधुत खर्च हो रहा है अगर पम्पिंग स्टेशनों पर  सौर ऊर्जा प्लांट लगा दिया जावे तो विधुत बिलों पर खर्च होनेवाली भारी राशि भी बचाई जा सकती है। इससे किसानों को पर्याप्त पानी मिल सकता है।