– डॉ. विजय आचार्य
नगर निगम चुनाव 2019
जातिगत समीकरण से बीकानेर नगर निगम में बन सकती है त्रिशंकु सरकार
बीकानेर, (समाचार सेवा)। सनम सुप्रीमों के हाथ में होगी निगम बोर्ड बनाने की चाबी, नगर निगम बीकानेर में नया बोर्ड बनाने की चाबी पूर्व मंत्री देवीसिंह भाटी के हाथ में रहेगी। परिस्थितयां कुछ ऐसा संदेश दे रही हैं। इस चुनाव में यदि सामाजिक न्याय मंच की रणनीति सही रही तो उसे 10-15 सीटों पर विजय मिल सकती है। सनम के सहारे कांग्रेस निगम में अपना बोर्ड बनाने में सफल हो सकती है। सनम भाजपा को किसी भी स्थिति में समर्थन नहीं देगी क्योंकि सनम सुप्रिमो देवीसिंह भाटी की मुख्य राजनैतिक दुश्मनी केन्द्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल से विधानसभा व लोकसभा चुनावों से चली आ रही है।
नगर निगम चुनाव में शुक्रवार को नाम वापसी के अंतिम क्षण तक दोनों पार्टियों के प्रत्याशियों ने निर्दलीय प्रत्याशियों की मान मनोव्वल करना जारी रखा। इन पार्टियों को कुछ वार्डों में निर्दलीय प्रत्याशियों को अपने-अपने घोषित प्रत्याशियों के पक्ष में बिठाने में सफलता भी मिली है। अब नये आकलन के अनुसार 60-65 वार्डों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) तथा इंडियन नेशनल कांग्रेस (कांग्रेस) में सीधी टक्कर होनी तय है। वहीं 10-15 वार्डों में सामाजिक न्याय मंच (सनम) प्रत्याशी बाजी मार सकते हैं। ऐसे में कई वार्डों में त्रिकोणिय मुकाबला भी तय है।
निर्दलीय प्रत्याशी 2-5 वार्डों में ही मुख्य प्रत्याशी रहेंगे। इन राजनीति दांव पेच के बीच बीकानेर नगर निगम में टिकटों के बंटवारे को लेकर विवादों से भी अभी दोनों पार्टियां उबर नहीं पाई हैं। जिसका खमियाजा भी उठाना पड़ सकता है। यदि हम निष्कर्ष के तौर पर देखें तो बीकानेर नगर निगम इस बार त्रिशंकु सरकार की ओर बढ़ती नजर आ रही है। इसका मुख्य कारण यह है कि वार्ड स्तर के चुनावों में अधिकतर मतदाता सक्रिय भूमिका का निर्वहन करता है और ये चुनाव जातिगत, व्यक्तिगत आधार पर ही लड़े जाते हैं।
नगर निगम में इस बार वार्डोँ का सीमांकन भी ऐसा हुआ है कि इसमें प्रत्येक वार्ड में दो-तीन जातियों के वोट अधिक और अन्य जातियों के निर्णायक हैं। जिन वार्डों में जिस जाति के वोट अधिक हैं। पार्टियों ने भी वैसे ही प्रत्याशियों का चयन किया है। जातिगत वोट बंटने के पश्चात उस वार्ड में जो अन्य कम वोटर्स वाली जातियां हैं उनकी निर्णायक भूमिक रह सकती है। इसलिये इनके वोट प्रत्याशी के स्वयं के व्यक्तित्व तथा उसके जनसंपर्क पर निर्भर करेगा। पार्टियों ने जिस तरह जातिय समीकरण को मद्देनजर रखा है उससे इन पार्टियों के वर्षों से सकिय रहे कार्यकर्ताओं के टिकट कट गए हैं।
जिसमें कुछ वार्डो में तो उन्होंने पार्टी से बगावत कर विद्रोही रूप धारण कर लिया है और निर्दलीय तथा सनम की शरण में चले गए हैं। टिकट बंटवारे में हालांकि भाजपा ने मंडल स्तर पर सबकी राय जानने के पश्चात प्रत्याशियों का चयन किया था। दूसरास भाजपा ने एक और महत्त्वपूर्ण नियम बनाया था कि प्रत्याशी उसे ही बनाया जाएगा जो उसी वार्ड का निवासी हो। इससे भाजपा में बगावत के प्रत्याशी कम हैं। वहीं कांग्रेस ने प्रत्याक वार्ड से आवेदन तो लिये लेकिन टिकट बंटवारें के समय उन आवेदनों को गहराई से मंथन किये बिना ही टिकट वितरण कर दिये। इससे लगभग 15-20 ऐसे महत्त्वपूर्ण कार्यकर्ताओं के टिकट कट गए जो पिछले बरीब 15-20 वर्षों से पार्टी के लिये निष्ठापूण्र कार्य कर रहे थे।
ऐसी स्थिति में कांग्रेस को ज्यादा बागियों का सामना करना पड़ रहा है। इसका खमियाजा उन्हें मेयर बनाते समय भुगतना पड़ सकता है। वहीं भाजपा ने अंतिम क्षण तक कुद बागियों को मना लिया है। कुछ को तो टिकट भी अधिकृत प्रत्याशी से लेकर बागी तेवर दिखा रहे कार्यकर्ताटों को थमा दिये हैं। कुल मिलाकर बीकानेर नगर निगम में त्रिशुकुं सरकार बनाने की प्रबल संवना है।
डॉ. विजय आचार्य
स्वतंत्र पत्रकार
मो. 9772195279