मानसून आने से पहले करें वर्षा जल संरक्षण की तैयारी – डॉ. शिवरासन

Prepare for rainwater harvesting before the onset of monsoon - Dr. Sivarasan
Prepare for rainwater harvesting before the onset of monsoon - Dr. Sivarasan

बीकानेर, (समाचार सेवा)। मानसून आने से पहले करें वर्षा जल संरक्षण की तैयारी – डॉ. शिवरासन, कृषि विज्ञान केंद्र लूणकरनसर के वरिष्ठ वैज्ञानिक एंव अध्य्क्ष डॉ. आर. के. शिवरान ने क्षेत्र के लोगों से आव्‍हान किया कि वे मानसून आने  से पहले बारिश के पानी को संचित करने की व्‍यवस्‍था में जुट जाएं।

डॉ. शिवरासन शनिवार को  कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा कोविड-19 महामारीकाल के दौरान कृषकों के लिए आयोजित वर्चुअल प्रशिक्षण कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्‍होने कहा कि जल्दी ही मानूसन राजस्थान में प्रवेश करने वाला है इसलिए आवश्यक है कि हम सभी वर्षा जल का संरक्षण करें जिससे कि संचित किये गए जल का उपयोग भविष्य में खरीफ फसलों में सिंचाई हेतु किया जा सके।

डॉ. शिवरान ने बताया के लूणकरणसर के अधिकांश क्षेत्र में खरीफ में मूंगफली को प्रमुख फसल के रूप में लिया जाता है जिसके उत्पादन के लिए अन्य खरीफ फसलों की तुलना में पानी की अधिक आवश्य्कता होती है।  निरंतर रूप से गिर रहे पानी के स्तर को देखते हुए यह बहुत जरुरी हो गया है के हम जल सरंक्षण जरूर करें।

केंद्र के कीट वैज्ञानिक डॉ केशव मेहरा ने कहा कि वर्षा जल का संरक्षण कर लें तो क्षेत्र में हो रही पानी की कमी को पूरा किया जा सकता है। साथ ही कृषि हेतु पानी की उपलब्धता को बढ़ाया जा सकता है। उन्‍होंने बताया कि वर्षा जल संरक्षण हेतु कृषि विभाग द्वारा भी कई योजनाएं खेत तलाई, कुंड, तालाब आदि चलाई जा रही है। इन योजनाओं पर 50 से 70 प्रतिशत तक का अनुदान दिया जा रहा है।

डॉ. मेहरा ने कहा कि वर्षा जल संरक्षण करके हमें कुंए तथा टूबवेल को रिचार्ज कर सकते हैं। इससे भूमिगत जल का स्तर नीचे नहीं जाएगा। बाग़वानी विशेषज्ञ डॉ नवल किशोर ने बताया कि बागवानी फसलों मे सिंचाई की उन्नत तकनिको जैसे बून्द बून्द सिंचाई विधि, मिनी फवारा व फववारा विधि से जल की बचत की जा सकती है।

मृदा वैज्ञानिक भगवत सिंह ने कहा कि क्षेत्र में चने की कटाई के बाद अभी खेत खली पड़े हैं। मूंगफली की बिजाई में भी अभी कुछ समय शेष है। ऐसे में अभी खेत पर ढेंचा जैसी हरी खाद लगा सकते हैं। इससे मिटटी कि भौतिक, रासायनिक और जैविक दशा सुधारी जा सकेगी।

केंद्र की खाद्य एवं पोषण विभाग कि डॉ ऋचा पंत ने भी घरेलु स्तर पर प्रयोग किये जा रहे जल को एक जगह इकठ्ठा कर गृह वाटिका में इस्तेमाल करने को कहा।