उषा जोशी
बीकानेर (sama,charseva.in)। नारायण गहलोत उर्फ नरेश, हंसराज बिश्नोई, आकाश वाल्मीकि, महेन्द्र सिंह, रामदयाल चारण ये वो पांच युवा हैं जो अब इस दुनिया में नहीं है। अगला नंबर आपका या आपके आसपास रहने वाले का या आपके किसी नाते रिश्तेदार को हो सकता है।
तो यह सवाल कि गहलोत, बिश्नोई, वाल्मीकि, सिंह और चारण के बाद अगला कौन, पूछा जाना जायज है या नहीं, इस पर माथा पच्ची करने की बजाय हम यह जानने का प्रयास करें कि क्यों समाज के हर वर्ग में अपराध बढ रहे हैं और इसे रोकने का कानूनी व सामाजिक उपाय क्या है। बीकानेर में पिछले चार दिनों में लगातार चार हत्यायें हुई हैं और एक सप्ताह पूर्व हुई मारपीट में घायल एक व्यक्ति की भी मौत हो चुकी है।
मरने वाले पांचों युवा थे। कहने को ये मामले प्रेम-प्रसंग, रंजिश, होड के हो सकते हैं मगर सब में कॉमन बात है कि कानून हाथ में लेने का भय किसी को नहीं दिखा है। यह स्थिति ठीक नहीं है। गंगा-जमुनी कल्चर वाले बीकानेर में अपराध की यह निरंतरता डराती है। श्रीडूंगरगढ के बिग्गा गांव में 25 जुलाई को नारायण गहलोत उर्फ नरेश पर जानलेवा हमला होता है। लगभग एक सप्ताह बाद 8 अगस्त को उसकी मौत हो जाती है।
लूणकरनसर में 7 अगस्त की रात चक7डीएलडी में हंसराज बिश्नोई पर जानलेवा हमला कर उसको मौत के घाट उतार दिया जाता है। बीकानेर के शिवबाडी इलाके में 6 अगस्त की रात को आकाश वाल्मीकि की हत्या की पूर्व चैलेंज देकर कर दी जाती है। ये सिलसिला रुका नहीं है। शनिवार को भी मारपीट की कई घटनाये रिपोर्ट हुई हैं। चोरी-चकारी करने वाले भी सक्रिय हो गए हैं।
नाल थाना क्षेत्र के गांव जयमल सर में भी 6 अगस्त की शाम को गांव में घात लगाकर बैठे लोग मौका पाते ही महेन्द्र सिंह की हत्या कर देते हैं। यही हाल देशनोक में रामदयाल चारण उफ डीजी के साथ हुआ। घेरकर डीजी को मौत के घाट उतार दिया गया। पुलिस सक्रिय है भी नहीं भी। देश के हालात कोरोना ने बिगाड रखे हैं। ऐसे में पुलिस को शहर में निषेधाज्ञा वाले इलाकों में व्यवस्था बनाये रखने में व्यस्त होना पड रहा है। मारपीट की घटनायें भी रुकी नहीं है शनिवार को भी कई अन्य घटनायें रिपोर्ट हुई है। ऐसे में आपकी जिम्मेदारी अधिक बढ गई है।