जानिये, पीएम मोदी ने एक बीकानेरी को क्‍यों दिया धन्यवाद

man ki baat
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बीकानेर, (समाचार)। जानिये, पीएम मोदी ने एक बीकानेरी को क्‍यों दिया धन्यवाद, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मन की बात कार्यक्रम के दौरान बीकानेर से किए गए एक फोन पर प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र  मोदी ने फोन करने वाले व्यक्ति का धन्यवाद किया। आप भी जानिये कि प्रधानमंत्री मोदी को बीकानेर के किस व्यक्ति ने फोन किया और क्योें मोदी ने बीकानेर से फोन करने वाले को धन्यवाद दिया।

ये है बीकोनर निवासी व पीएम मोदी की बातचीत।
बीकानेर निवासी– नमस्कार। मेरा नाम शैतान सिंह जिला-बीकानेर, तहसील पूगल, राजस्थान से बोल रहा हूँ। मैं ब्‍लाइंड व्यक्ति हूँ। । दोनों आँखों से मुझे दिखाई नहीं देता मैं टोटली ब्लाइंड हूँ तो मैं ये कहना चाहता हूँ ‘मन की बात’ में जो स्वच्छ भारत का जो मोदी जी ने कदम उठाया था बहुत ही बढ़िया है।

हम ब्ला इंड लोग शौच में जाने के लिए परेशान होते थे। अभी क्या है हर घर में शौचालय बन चुका है तो हमारा बहुत बढ़िया फायदा हुआ है उसमें। ये कदम बहुत ही बढ़िया उठाया था और आगे चलता रहे ये काम।

पीएम नरेन्द्र मोदी। बहुत-बहुत धन्यवाद! आपने बहुत बड़ी बात कही हर किसी के जीवन में स्वच्छता का अपना महत्व है और ‘स्वच्छ भारत अभियान’ के तहत आपके घर में शौचालय बना और उससे अब आपको सुविधा हो रही है हम सब के लिए इससे ’यादा ख़ुशी की बात और क्या हो सकती है।

और शायद इस अभियान से जुड़े लोगों को भी अंदाज नहीं होगा एक प्रज्ञाचक्षु होने के नाते आप देख नहीं सकते हैं, लेकिन शौचालय न होने के पहले आप कितनी दिक्कतों से जीवन गुजारते थे और शौचालय होने के बाद आप के लिए कितना बड़ा वरदान बन गया, शायद आपने भी इस पहलू को जोड़ते हुए फÞोन न किया होता तो शायद स्वच्छता के इस अभियान से जुड़े लोगों के ध्यान में भी ऐसा संवेदनशील पहलू ध्यान न आता।

मैं आपके फोन के लिए विशेष रूप से आपका धन्यवाद करता हूँ।

‘मन की बात’ की 48वीं कड़ी में प्रधानमंत्री के संबोधन का मूल पाठ (30.09.2018)
मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार। शायद ही कोई भारतीय हो सकता है जिसको हमारे सशस्त्र बलों पर, हमारे सेना के जवानों पर गर्व न हो। प्रत्येक भारतीय चाहे वो किसी भी क्षेत्र, जाति, धर्म, पंथ या भाषा का क्यों न हो – हमारे सैनिकों के प्रति अपनी खुशी अभिव्यक्त करने और समर्थन दिखाने के लिए हमेशा तत्पर रहता है।

कल भारत के सवा-सौ करोड़ देशवासियों ने, पराक्रम पर्व मनाया था। हमने 2016 में हुई उस सर्जिकल स्ट्राइकको याद किया जब हमारे सैनिकों ने हमारे राष्ट्र पर आतंकवाद की आड़ में प्रोक्सी- वार की धृष्टता करने वालों को मुँहतोड़ जÞवाब दिया था।
देश में अलग-अलग स्थानों पर हमारे सशस्त्र बलों ने एक्जीबिशन लगायेताकि अधिक से अधिक देश के नागरिक खासकर युवा-पीढ़ी यह जान सके कि हमारी ताकÞत क्या है। हम कितने सक्षम हैं और कैसे हमारे सैनिक अपनी जान जोखिम में डालकर के हम देशवासियों की रक्षा करते हैं।

पराक्रम पर्व जैसा दिवस युवाओं को हमारी सशस्त्र सेना के गौरवपूर्ण विरासत की याद दिलाता है। और देश की एकता और अखंडता सुनिश्चित करने के लिए हमें प्रेरित भी करता है।

मैंने भी वीरों की भूमि राजस्थान के जोधपुर में एक कार्यक्रम में भाग लिया, अब यह तय हो चुका है कि हमारे सैनिक उन सबको मुंहतोड़ जÞवाब देंगे जो हमारे राष्ट्र में शांति और उन्नति के माहौल को नष्ट करने का प्रयास करेंगे। हम शांति में विश्वास करते हैं और इसे बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं, लेकिन सम्मान से समझौता करके और राष्ट्र की सम्प्रभुता की कीमत पर कतई नहीं।
भारत सदा ही शांति के प्रति वचनबद्ध और समर्पित रहा है। 20वीं सदी में दो विश्वयुद्धों में हमारे एक लाख से अधिक सैनिकों ने शांति के प्रति अपना सर्वोच्च बलिदान दिया और यह तब, जब हमारा उस युद्ध से कोई वास्ता नहीं था। हमारी नजÞर किसी और की धरती पर कभी भी नहीं थी। यह तो शांति के प्रति हमारी प्रतिबद्धता थी।

कुछ दिन पहले ही 23 सितम्बर को हमने इस्राइल में हाईफा की लड़ाई के सौ वर्ष पूरे होने पर मैसूर, हैदराबाद और जोधपुर लांसेर के हमारेवीर सैनिकों को याद किया जिन्होंने आक्रान्ताओं से हाईफा को मुक्ति दिलाई थी। यह भी शांति की दिशा में हमारे सैनिकों द्वारा किया गया एक पराक्रम था।
आज भी युनाईटेड नेशन की अलग-अलग पीस कीपिंग फोर्सेस में भारत सबसे अधिक सैनिक भेजने वाले देशों में से एक है। दशकों से हमारे बहादुर सैनिकों ने ब्लरयू हेलमेट पहन विश्व में शांति कायम रखने में अहम भूमिका निभाई है। मेरे प्यारे देशवासियो, आसमान की बातें तो निराली होती ही हैं इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि आसमान में अपनी शक्ति का परिचय देकर के भारतीय वायुसेना ने हर देशवासी का ध्यान अपनी ओर खींचा है। हमें सुरक्षा का अहसास दिलाया है।

गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान लोगों को परेड के जिन हिस्सों की सबसे बेसब्री से प्रतीक्षा रहती है उनमें से एक है प्लापई पास्टो जिसमें हमारी एयर फोर्सेस हैरतअंगेज कारनामों के साथ अपनी शक्ति का प्रदर्शन करती है।

8 अक्टूबर को हम ‘वायुसेना दिवस’ मनाते हैं। 1932 में छह पायलट और 19 वायु सैनिकों के साथ एक छोटी सी शुरुआत से बढ़ते हुए हमारी वायुसेना आज 21वीं सदी की सबसे साहसिक और शक्तिशाली एयर फोर्स में शामिल हो चुकी है।
यह अपने आप में एक यादगार यात्रा है। देश के लिए अपनी सेवा देने वाले सभी एयर वारियर और उनके परिवारों का मैं अपने ह्रदय की गहराई से अभिनंदन करता हूँ। 1947 में जब पाकिस्तान के हमलावरों ने एक अप्रत्याशित हमला शुरू किया तो यह वायुसेना ही थी जिसने श्रीनगर को हमलावरों से बचाने के लिए ये सुनिश्चित किया कि भारतीय सैनिक और उपकरण युद्ध के मैदान तक समय पर पहुँच जाएँ।

वायुसेना ने 1965 में भी दुश्मनों को मुँहतोड़ जÞवाब दिया। 1971 मेंबांग्लादेश की स्वतंत्रता की लड़ाई कौन नहीं जानता है । 1999 करगिल की घुसपैठियों के कब्जÞे से मुक्त कराने में भी वायुसेना की भूमिका अहम रही है टाइगर हिल में दुश्मनों के ठिकानों में रात-दिन बमबारी कर वायुसेना ने उन्हें धूल चटा दी।

राहत एवं बचाव कार्य हो या फिर आपदा प्रबंधन हमारे हेयर वारियर उनके सराहनीय कार्य को लेकर देश वायुसेना के प्रति कृतज्ञ है। तूफÞान, बवंडर, बाढ़ से लेकर जंगल की आग तक की प्राकृतिक आपदा से निपटने और देशवासियों की मदद करने का उनका जज़्बा अद्भुत रहा है। देश में जेंडर इक्वऔलिटी यानी स्त्री और पुरुष की समानता सुनिश्चित करने में एयर फोर्स ने मिसाल कायम की है और अपने प्रत्येक विभाग के द्वार देश की बेटियों के लिए खोल दिए हैं। अब तो वायुसेना महिलाओं को शोर्ट सर्विस कमीशन के साथ परमानेंट कमीशन का विकल्प भी दे रही है और जिसकी घोषणा इसी साल 15 अगस्त को मैंने लाल किले से की थी।

भारत गर्व से कह सकता है कि भारत की सेना में सशस्त्र बलों में पुरुष शक्ति ही नहीं, स्त्री-शक्ति का भी उतना योगदान बनता जा रहा है। नारी सशक्त तो है, अब सशस्त्र भी बन रही है। मेरे प्यारे देशवासियो, पिछले दिनों नेवी के हमारे एक अधिकारी अभिलाष टोमी वो अपने जीवन और मृत्यु की लड़ाई लड़ रहे थे। पूरा देश चिंतित था कि टोमी को कैसे बचा लिया जाए।

आपको पता है अभिलाष टोमी एक बहुत साहसी-वीर अधिकारी हैं। वे अकेले कोई भी आधुनिक टेक्नॉरलाजी के बिना की एक छोटी सी नाव ले करके, विश्व भ्रमण करने वाले पहले भारतीय थे। पिछले 80 दिनों से, वे दक्षिण हिन्द महासागर में गोल्डिन ग्लो ब रेस में भाग लेने समुंदर में अपनी गति को बनाये रखते हुए आगे बढ़ रहे थे लेकिन भयानक समुद्री तूफÞान ने उनके लिए मुसीबत पैदा की लेकिन भारत के नौसेना का ये वीर समुंदर के बीच अनेक दिनों तक जूझता रहा, जंग करता रहा।

वो पानी में बिना खाये-पिये लड़ता रहा। जिन्दगी से हार नहीं मानी। साहस, संकल्पशक्ति, पराक्रम एक अद्भुत मिसाल – कुछ दिन पहले मैंने जब अभिलाष को समुंदर से बचा करके बाहर ले आये तो टेलीफोन पर बात की। पहले भी टोमी से मैं मिल चुका था। इतने संकट से बाहर आने के बाद भी उनका जो जÞ’बा था, उनका जो हौसला था और फिर एक बार ऐसा ही कुछ पराक्रम करने का जो संकल्प उन्होंने मुझे बताया देश की युवा-पीढ़ी के लिए वो प्रेरणा है।

मैं अभिलाष टोमी के उत्तम स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना करता हूँ और उनका ये साहस, उनका पराक्रम, उनकी संकल्प शक्ति – जूझने की और जीतने की ताकÞत, हमारे देश की युवा-पीढ़ी को जÞरूर प्रेरणा देगी। मेरे प्यारे देशवासियो, 2 अक्टूबर हमारे राष्ट्र के लिए इस दिन का क्या महत्व है, इसे बच्चा-बच्चा जानता है।

इस वर्ष का 2 अक्टूबर का और एक विशेष महत्व है। अब से 2 साल के लिए हम महात्मा गाँधी की 150वीं जयंती के निमित्त विश्वभर में अनेक विविध कार्यक्रम करने वाले हैं। महात्मा गाँधी के विचार ने पूरी दुनिया को प्रेरित किया है। डॉ. मार्टिन लूथर किंग जूनियर हों या नेलसन मंडेला जैसी महान विभूतियाँ, हर किसी ने गाँधी जी के विचारों से शक्ति पाई और अपने लोगों को समानता और सम्मान का हक दिलाने के लिए लम्बी लड़ाई लड़ सके।

आज की ‘मन की बात’ में, मैं आपके साथ पू’य बापू के एक और महत्वपूर्ण कार्य की चर्चा करना चाहता हूँ, जिसे अधिक-से-अधिक देशवासियों को जानना चाहिए। 1941 में महात्मा गाँधी ने रचनात्मक कार्यक्रम के रूप में कुछ विचारों को लिखना शुरू किया। बाद में 1945 में जब स्वतंत्रता संग्राम ने जोर पकड़ा तब उन्होंने, उस विचार की संशोधित प्रति तैयार की। पू’य बापू ने किसानों, गाँवों, श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा, स्वच्छता, शिक्षा के प्रसार जैसे अनेक विषयों पर अपने विचारों को देशवासियों के सामने रखा है। इसे गाँधी चार्टर भी कहते हैं। पू’य बापू लोक संग्राहक थे। लोगों से जुड़ जाना और उन्हें जोड़ लेना बापू की विशेषता थी, ये उनके स्वभाव में था। यह उनके व्यक्तित्व की सबसे अनूठी विशेषता के रूप में हर किसी ने अनुभव किया है। उन्होंने प्रत्येक व्यक्ति को ये अनुभव कराया कि वह देश के लिए सबसे महत्वपूर्ण और नितांत आवश्यक है।

स्वतंत्रता संग्राम में उनका सबसे बड़ा योगदान ये रहा कि उन्होंने इसे एक व्यापक जन-आंदोलन बना दिया। स्वतंत्रता संग्राम के आंदोलन में महात्मा गाँधी के आह्वान पर समाज के हर क्षेत्र, हर वर्ग के लोगों ने स्वयं को समर्पित कर दिया। बापू ने हम सब को एक प्रेरणादायक मंत्र दिया था जिसे अक्सर, गाँधी जी का तलिस्मान के नाम से जाना जाता है।
उसमें गाँधी जी ने कहा था, गमैं आपको एक जन्तर देता हूँ, जब भी तुम्हें संदेह हो या तुम्हारा अहम् तुम पर हावी होने लगे तो यह कसौटी आजमाओ, जो सबसे गÞरीब और कमजÞोर आदमी तुमने देखा हो, उसकी शक्ल याद करो और अपने दिल से पूछो कि जो कदम उठाने का तुम विचार कर रहे हो, वह उस आदमी के लिए कितना उपयोगी होगा। क्या उससे, उसे कुछ लाभ पहुंचेगा! क्या उससे वह अपने ही जीवन और भाग्य पर कुछ काबू रख सकेगा!
यानी क्या उससे उन करोड़ों लोगों को स्वराज मिल सकेगा जिनके पेट भूखे हैं और आत्मा अतृप्त है। तब तुम देखोगे कि तुम्हारा संदेह मिट रहा है और अहम् समाप्त हो रहा है।ग मेरे प्यारे देशवासियो, गाँधी जी का एक जंतर आज भी उतना ही महत्वपूर्ण है। आज देश में बढ़ता हुआ मध्यम वर्ग, बढ़ती हुई उसकी आर्थिक शक्ति, बढ़ता हुआ परचेजिंग पावर क्या हम कुछ भी खरीदारी के लिए जाएँ तो पल भर के लिए पू’य बापू को स्मरण कर सकते हैं! पू’य बापू के उस जंतर का स्मरण कर सकते हैं!

क्या हम खरीदारी करते समय सोच सकते हैं कि मैं जो चीजÞ खरीद रहा हूँ उससे मेरे देश के किस नागरिक का लाभ होगा! किसके चेहरे पर ख़ुशी आएगी! कौन भाग्यशाली होगा जिसका डायरेक्ट या इन डायरेक्ट, आपकी खरीदी से लाभ होगा! और गÞरीब से गÞरीब को लाभ होगा तो मेरी ख़ुशी अधिक-से-अधिक होगी।

गाँधी जी के इस जंतर को याद करते हुए आने वाले दिनों में हम जब भी कुछ खरीद करें, गाँधी जी की 150वी जयंती मनाते हैं तब हम जरुर देखें कि हमारी हर खरीदी में किसी-न-किसी देशवासी का भला होना चाहिए और उसमें भी जिसने अपना पसीना बहाया है, जिसने अपने पैसे लगाये हैं, जिसने अपनी प्रतिभा खपाई है, उन सबको कुछ-न-कुछ लाभ होना चाहिए। यही तो गाँधी का जंतर है, यही तो गाँधी का सन्देश है और मुझे विश्वास है कि जो सबसे गÞरीब और कमजÞोर आदमी, उसके जीवन में आपका एक छोटा सा कदम बहुत बड़ा परिणाम ला सकता है।

मेरे प्यारे देशवासियो, जब गाँधी जी ने कहा था कि सफाई करोगे तो स्वतंत्रता मिलेगी। शायद उनको मालूम भी नहीं होगा ये कैसे होगा – पर ये हुआ, भारत को स्वतंत्रता मिली।

इसी तरह आज हम को लग सकता है कि मेरे इस छोटे से कार्य से भी मेरे देश की आर्थिक उन्नति में, आर्थिक सशक्तिकरण में, गÞरीब को गÞरीबी के खिलाफÞ लड़ाई लड़ने की ताकÞत देने में मेरा बहुत बड़ा योगदान हो सकता है और मैं समझता हूँ कि आज के युग की यही सच्ची देशभक्ति है, यही पू’य बापू को कार्यांजलि है।
जैसे विशेष अवसरों पर खादी और हैंडलूम के उत्पाद खरीदने के बारे में सोचें, इससे अनेक बुनकरों को मदद मिलेगी।

कहते हैं कि लाल बहादुर शास्त्री जी खादी के पुराने या कटे-फटे वस्त्रों को भी इसलिए सहज कर रखते थे क्योंकि उसमें किसी का परिश्रम छुपा होता है। वे कहते थे ये सब खादी के कपड़े बड़ी मेहनत से बनाये हैं – इसका एक-एक सूत काम आना चाहिए। देश से लगाव और देशवासियों से प्रेम की ये भावना छोटे से कद-काठी वाले उस महा-मानव के रग-रग में रची-बसी थी।

दो दिन बाद पू’य बापू के साथ ही हम शास्त्री जी की भी जयंती मनायेंगे। शास्त्री जी का नाम आते ही हम भारतवासियों के मन में एक असीम श्रद्धा का भाव उमड़ पड़ता है। उनका सौम्य व्यक्तित्व हर देशवासी को सदा ही गर्व से भर देता है। लाल बहादुर शास्त्री जी की ये विशेषता थी कि बाहर से वे अत्यधिक विनम्र दिखते थे परन्तु भीतर से चट्टान की तरह दृढ़ निश्चयी थे।

‘जय जवान जय किसान’ का उनका नारा उनके इसी विराट व्यक्तित्व की पहचान है। राष्ट्र के प्रति उनकी निस्वार्थ तपस्या का ही प्रतिफल था कि लगभग डेढ़ वर्ष के संक्षिप्त कार्यकाल में, वे देश के जवानों और किसानों को सफलता के शिखर पर पहुँचने का मन्त्र दे गए। मेरे प्यारे देशवासियो, आज जब हम पू’य बापू का स्मरण कर रहें हैं तो बहुत स्वाभाविक है कि स्वच्छता की बात के बिना रह नहीं सकते। 15 सितम्बर से ‘स्वच्छता ही सेवा’ एक अभियान प्रारंभ हुआ।

करोड़ों लोग इस अभियान में जुड़े और मुझे भी सौभाग्य मिला कि मैं दिल्ली के अम्बेडकर स्कूल में बच्चों के साथ स्वच्छता श्रमदान करूँ। मैं उस स्कूल में गया जिनकी नींव खुद पू’य बाबा साहब ने रखी थी।

देशभर में हर तबके के लोग, इस 15 तारीख़ को इस श्रमदान से जुड़े। संस्थाओं ने भी इसमें बढ़-चढ़कर के अपना योगदान दिया। स्कूली बच्चों, कॉलेज के छात्रों, एनसीसी, एनएसएस युवा संगठन, मीडिया ग्रुप्स , कोर्पोरेट जगत सभी ने, सभी ने बड़े पैमाने पर स्वच्छता श्रमदान किया। मैं इसके लिए इन सभी स्वच्छता प्रेमी देशवासियों को ह्रदय पूर्वक बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। आइये सुनते हैं एक फÞोन कॉल -गनमस्कार। मेरा नाम शैतान सिंह जिला-बीकानेर, तहसील ङ्क्त पूगल, राजस्थान से बोल रहा हूँ। मैं ब्ला इंट व्यक्ति हूँ। दोनों आँखों से मुझे दिखाई नहीं देता मैं टोटली ब्लाभइंड हूँ तो मैं ये कहना चाहता हूँ ‘मन की बात’ में जो स्वच्छ भारत का जो मोदी जी ने कदम उठाया था बहुत ही बढ़िया है।

हम ब्ला इंट लोग शौच में जाने के लिए परेशान होते थे। अभी क्या है हर घर में शौचालय बन चुका है तो हमारा बहुत बढ़िया फायदा हुआ है उसमें। ये कदम बहुत ही बढ़िया उठाया था और आगे चलता रहे ये काम।ग
पीएम नरेन्द्र मोदी। बहुत-बहुत धन्यवाद! आपने बहुत बड़ी बात कही हर किसी के जीवन में स्वच्छता का अपना महत्व है और ‘स्वच्छ भारत अभियान’ के तहत आपके घर में शौचालय बना और उससे अब आपको सुविधा हो रही है हम सब के लिए इससे ’यादा ख़ुशी की बात और क्या हो सकती है।
और शायद इस अभियान से जुड़े लोगों को भी अंदाजÞा नहीं होगा एक प्रज्ञाचक्षु होने के नाते आप देख नहीं सकते हैं, लेकिन शौचालय न होने के पहले आप कितनी दिक्कतों से जीवन गुजारते थे और शौचालय होने के बाद आप के लिए कितना बड़ा वरदान बन गया, शायद आपने भी इस पहलू को जोड़ते हुए फÞोन न किया होता तो शायद स्वच्छता के इस अभियान से जुड़े लोगों के ध्यान में भी ऐसा संवेदनशील पहलू ध्यान न आता।

मैं आपके फÞोन के लिए विशेष रूप से आपका धन्यवाद करता हूँ।
मेरे प्यारे देशवासियो, ‘स्वच्छ भारत मिशन’ केवल देश में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में एक सफÞल कहानी बन चुका है जिसके बारे में हर कोई बात कर रहा है।इस बार भारत इतिहास में दुनिया का सबसे बड़ा स्वच्छता सम्मेलन आयोजित कर रहा है।

‘महात्मा गाँधी अंतर्राष्ट्रीय स्वच्छता सम्मेलन’  और इस क्षेत्र के विशेषज्ञ एक साथ आकर स्वच्छता से जुड़े अपने प्रयोग और अनुभव साझा कर रहे हैं। समापन 2 अक्तूबर 2018 को बापू के 150वीं जयंती समारोह के शुभारम्भ के साथ होगा।

मेरे प्यारे देशवासियो, संस्कृत की एक उक्ति है ‘न्यायमूलं स्वरा’यं स्यात्’ अर्थात् स्वराज के मूल में न्याय होता है जब न्याय की चर्चा होती है, तो मानव अधिकार का भाव उसमें पूरी तरह से समाहित रहता है।

शोषित, पीड़ित और वंचित जनों की स्वतन्त्रता, शांति और उन्हें न्याय सुनिश्चित कराने के लिए – ये विशेष रूप से अनिवार्य है। डॉ0 बाबा साहब अम्बेडकर द्वारा दिए गए संविधान में गÞरीबों के मूल अधिकारों की रक्षा के लिए कई प्रावधान किये गए हैं। उन्हीं के विजन  से प्रेरित होकर 12 अक्तूबर 1993 को ‘राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग’  गठन किया गया था।

कुछ ही दिनों बाद हृ॥क्रष्ट के 25 वर्ष पूरे होने वाले हैं,हृ॥क्रष्ट ने न सिफर्Þ मानव अधिकारों की रक्षा की बल्कि मानवीय गरिमा को भी बढ़ाने का काम किया है। हमारे प्राण-प्रिय नेता हमारे देश के पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमान् अटल बिहारी वाजपेयी जी ने स्पष्ट रूप से कहा था कि मानव अधिकार हमारे लिए कोई परायी अवधारणा नहीं है। हमारे राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के प्रतीक चिन्ह में वैदिक काल का आदर्श सूत्र गसर्वे भवन्तु सुखिन:ग अंकित है।

हृ॥क्रष्ट ने मानव अधिकारों को लेकर व्यापक जागरूकता पैदा की है, साथ ही इसके दुरुपयोग को रोकने में भी सराहनीय भूमिका निभाई है। 25 साल की इस यात्रा में उसने देशवासियों में एक आशा, एक विश्वास का वातावरण पैदा किया है।
एक स्वस्थ समाज के लिए, उत्तम लोकतान्त्रिक मूल्यों के लिए मैं समझता हूँ एक बहुत बड़ीआशास्पद घटना है। आज राष्ट्रीय स्तर पर मानव अधिकार के काम के साथ-साथ 26 रा’य मानव अधिकार आयोग भी गठन किया है।

एक समाज के रूप में हमें मानव अधिकारों के महत्व को समझने और आचरण में लाने की आवश्यकता है – ये ही ‘सब का साथ – सब का विकास’ का आधार है।

मेरे प्यारे देशवासियो, अक्तूबर महीना हो, जय प्रकाश नारायण जी की जन्म-जयन्ती हो, राजमाता विजयाराजे सिंधिया जी की जन्म शताब्दी वर्ष का प्रारंभ होता हो – ये सभी महापुरुष हम सब को प्रेरणा देते रहे हैं उनको हम नमन करते हैं और 31 अक्तूबर सरदार साहब की जयंती है,

मैं अगली ‘मन की बात’ में विस्तार से बात करूँगा लेकिन आज मैं जरुर इसलिए उल्लेख करना चाहता हूँ कि कुछ वर्षों से सरदार साहब की जन्म-जयंती पर 31 अक्तूबर को ‘क्रह्वठ्ठ द्घशह्म् ठ्ठद्बह्ल4’हिन्दुस्तान के हर छोटे-मोटे शहर में, कस्बों में, गाँवों में ‘एकता के लिए दौड़’ इसका आयोजन होता है।

इस वर्ष भी हम प्रयत्नपूर्वक अपने गाँव में, कस्बे में, शहर में, महानगर में ‘क्रह्वठ्ठ द्घशह्म् ठ्ठद्बह्ल4’को शह्म्द्दड्डठ्ठद्बह्यद्ग करें। ‘एकता के लिए दौड़’ यही तो सरदार साहब का, उनको स्मरण करने का उत्तम मार्ग है क्योंकि उन्होंने जीवनभर देश की एकता के लिए काम किया। मैं आप सब से आग्रह करता हूँ कि 31 अक्तूबर को ‘क्रह्वठ्ठ द्घशह्म् ठ्ठद्बह्ल4’के जÞरिये समाज के हर वर्ग को, देश की हर इकाई को एकता के सूत्र में बांधने के हमारे प्रयासों को हम बल दें और यही उनके लिए अच्छी श्रद्धांजलि होगी।
मेरे प्यारे देशवासियो, नवरात्रि हो, दुर्गापूजा हो, विजयादशमी हो इस पवित्र पर्वों के लिए मैं आप सब को हृदयपूर्वक बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूँ। धन्यवाद।