स्व. आचार्य ने जो कहा डंके की चोट पर कहा : डॉ. कल्ला

DAINIK NAVJYOTI BIKANER 10 JULY 2018
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बीकानेर। स्व. आचार्य ने जो कहा डंके की चोट पर कहा : डॉ. कल्ला। राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री डॉ. बुलाकीदास कल्ला ने सोमवार 9 जुलाई को एक समारोह में वरिष्ठ गीतकार स्व. गौरीशंकर आचार्य अरुण को याद करते हुए कहा कि स्व. आचार्य ने जो कहा डंके की चोट पर कहा।

डॉ. कल्ला शब्दरंग साहित्य एवं कला संस्थान की ओर से वरिष्ठ गीतकार गौरीशंकर आचार्य अरुण की 81 वीं जन्म जयंती के अवसर पर उनके सृजन पर आयोजित कार्यक्रम  को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि स्व. अरुण जी एक जिन्दादिल व्यक्तित्व के धनी थे उन्होंने अपनी शर्तों पर सृजन किया, उनको जो बात कहनी होती वह डंके की चोट कह दिया करते थे।

विशिष्ठ अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार शिवराज छंगाणी ने बीते हुए लम्हों को याद करते हुए उनके सृजन सरोकार को ससाझा किया। अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार भवानीशंकर व्यास विनोद ने कहा कि सरकारी रिकॉर्ड से अरुणजी 81 वर्ष के बताए जा रहे हैं जबकि वे 86 वर्ष के हो चुके हैं।

अतीत को याद करते हुए विनोद ने कहा उनके द्वारा स्थापित आध्या संस्था ने साहित्य की बारीकियों को समझाते हुए युवाओं को नव सृजन का अवसर दिया। उस समय की गोष्ठियां अपने आपमें एक इतिहास बन चुकी है।

इससे पहले अतिथियों ने स्व. गौरीशंकर आचार्य के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किए। कवि-कथाकार राजेन्द्र जोशी ने अरुणजी के व्यक्तित्व-कृतित्व को साझा किया।

शिक्षाविद डॉ.ब्रजरतन जोशी ने अरुणजी की पुस्तक शब्द बीज बोता हूं पर विस्तार से चर्चा की। युवा कवयित्री सुश्री मीनाक्षी स्वर्णकार ने अरुणजी के गीत एवं गजल मेरा चेहरा मेरी कहानी है, किरणों के जल से मैं अपने अंधियारे धोता हूं की सस्वर प्रस्तुति दी।

स्व. अरुणजी के पुत्र संजय आचार्य वरुण ने अरुणजी की रचनाओं दुनिया का बाजार खुला हर चीज बिकाउ है जी ले लो एवं  राजस्थानी गजल का सस्वर वाचन किया।

कार्यक्रम में वरिष्ठ चित्रकार मुरलीमनोहर माथुर, डॉ.अजय जोशी, इरशाद अजीज, युवा कवि बाबुलाल छंगाणी, प्रेरणा प्रतिष्ठान के प्रेमरतन व्यास, सखा संगम के चन्द्रशेखर जोशी, नागेश्वर जोशी, लीलाधर सोनी उपास्थित रहे।

समारोह में कमल रंगा, मधु आचार्य, रामसहाय हर्ष, हरीश बी.शर्मा, उषाकिरण सोनी, सुनील गज्जाणी, डॉ. नमामीशंकर आचार्य, डॉ. गौरीशंकर प्रजापत, डॉ. नगेन्द्रनारायण किराडू, शैलेश आचार्य, व्यंग्यकार बुलाकी शर्मा शामिल हुए।

कार्यक्रम में असद अली असद, जगदीश प्रकाश आचार्य, झंवरा स्वर्णकार, कविता आचार्य, हनुमान कच्छावा, प्रमोदकुमार शर्मा आदि गणमान्यजन साक्षी बने।

शब्दरंग साहित्य एवं कला संस्थान की तरफ से आगंतुकों का आभार राजाराम स्वर्णकार ने जताया। संचालन रोहित बोडा ने किया।