नीरज जोशी
बीकानेर, (समाचार सेवा)। जिन्ना यहां जिन्ना वहां, सलाम बीकानेर, धन्य बीकानेरी! अपनी नई निर्माणाधीन न्यूज वेबसाइट samacharseva.in के ट्रायल समाचार बीकानेर-यहां आज भी आबाद है जिन्ना रोड के प्रकाशन से पहले व प्रकाशन के बाद हम लगातार आशंका में थे कि कहीं समाचार को गलत नजर से ना ले लिया जाए।
स्टेट व नेशनल मीडिया ने जिस प्रकार हमारे इस समाचार को चलाना शुरू किया हमारा डर और बढने लगा कि कहीं होम करते समय हमारे ही हाथ ना जल जाएं।
पर साहब ये बीकानेर है, यहां किसी खबर या किसी अफवाह पर रियेक्शन करने से पहले 100 बार सोचा जाता है। हमने अपने समाचार में यह बताया था कि अलीगढ वाले जिन्ना की तस्वीर पर लड सकते हैं, हम नहीं। हमारे लडने के विषय ये नहीं है।
हम अंतरराष्ट्रीय सीमा पर रहते हैं कोई दुश्मन की नजर से देखता है तो उसे नेस्तनाबूद करने का हौसला और ताकत रखते हैं, प्यार से देखने पर उसे सम्मान भी देना जानते हैं। एक रीजनल चैनल ने जिन्ना रोड बाजार पर लगे बोर्डस पर जिन्ना रोड लिखे नाम पर कालिख पोत देने तक की सलाह दी। न्यूज चैनल के स्टूडियो में बैठे किसी सज्जन ने प्रशासन पर आरोप लगाया तो किसी ने राज्य सरकार पर।
हमने दिल बडा रखने की अपनी क्षमता को सार्वजनिक किया था, ओछी हरकते करने के लिये किसी को आमंत्रण नहीं दिया था। हमें खुशी है हमने होम किया, आशंका के बावजदू हमारे हाथ नहीं जले। हमें यह पूरा विश्वास था कि हाथ नहीं जलेंगे पर यह डर जरूर था कि वर्तमान दौर में लोग अपनी राजनीति चमकाने के लिये कुछ भी कर सकते हैं। हां यह अच्छा लगा कि बहस का विषय यह भी रहा कि बीकानेर की जिन्ना रोड पाकिस्तान वाले जिन्ना के नाम पर नहीं है। किसी ने इसे जिन्ना नहीं जूना रोड यानी पुरानी सडक बताया।
वास्तविकता क्या है तथ्य वर्तमान में हमारे पास भी नहीं है। हां जिन्ना रोड पर रहने वालों तथा पूरे बीकानेर को यह शिकायत नहीं है कि यदि यह रोड पाकिस्तान वाले जिन्ना रोड के नाम पर भी है तो हो। अच्छा लगा। अपनी खबर पर चर्चा हम भी चाहते थे चिख-चिख या बेकार की चिल्लाहट नहीं। एक नेशनल मीडिया के प्रतिनिधि ने जब जिन्ना रोड पहुंचकर वहां लोगों से इस बारे में पूछा तो उनका जवाब बहुत ही शानदार था, हमारे लिये सुभाष चन्द्र बोस भी महान है और अपनी जगह जिन्ना भी।
एक ने तो दावा किया कि साहब चलेगा तो जिन्ना रोड नाम ही चलेगा। उसकी मर्जी। हो सकता है भावना में कुछ अधिक लिख गया हूं, कुछ जो लिखना चाहिये था लिखना भूल गया हूं, आप बस हमारे बारे में किसी भी तरह का निर्णय करने से पहले थोडा इंतजार कीजियेगा। आपकी सभी बातों का जवाब हम सिलसिलेवार देंगे।
हम माफी चाहेंगे सिनेमा वालों से अपनी बात को समझाने के लिये हमने शो मैन श्रीराजकपूर की मूवी मेरा नाम जोकर के एक गीत को अपनी तरह से संशोधित व इस्तेमाल किया है। यह गीत कुछ-कुछ हमारी भावनाओं को समझाने में आपकी मदद कर सकता है। उसी नजर से पढियेगा।
जिन्ना यहाँ जिन्ना वहाँ, इसके सिवा जाना कहाँ। जी चाहे जब हमको आवाज़ दो, हम हैं वहीं हम थे जहाँ। अपने यही दोनों जहां, इसके सिवा जाना कहां। ये मेरा गीत जीवन संगीत, कल भी कोई दोहरायेगा। जग को हँसाने बहरूपिया, रूप बदल फिर आयेगा। स्वर्ग यहीं नर्क यहाँ, इसके सिवा जाना कहाँ। कल खेल में हम हों न हों, गर्दिश में तारे रहेंगे सदा। भूलोगे तुम, भूलेंगे वो, पर हम तुम्हारे रहेंगे सदा। रहेंगे यहीं अपने निशां,इसके सिवा जाना कहां। जिन्ना यहाँ जिन्ना वहाँ, इसके सिवा जाना कहाँ
(अधिस्वीकृत स्वतंत्र पत्रकार)