जानिये रक्षा बंधन के दिन क्‍यों निकाली एक जीवित बहन की शव यात्रा

shava yatra
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बीकानेर, (समाचार सेवा)। जानिये रक्षा बंधन के दिन क्‍यों निकाली एक जीवित बहन की शव यात्रा। बीकानेर जिले के लूणकरणसर उपखंड के गांव खोडाला में रविवार को संस्कृत शिक्षा मंत्री किरण माहेश्वरी की शव यात्रा निकल कर विरोध प्रदर्शन किया गया।

जानकारी के अनुसार क्षेत्र के एक सरकारी विद्यालय में शिक्षकों के रिक्त पदों पर नियुक्ति की मांग को लेकर विद्यार्थी व ग्रामीणों को विद्यालय पर 10 दिनों से तालाबंदी कर धरने पर बैठे है। धरने के 10वे  दिन ग्रामीण संस्कृत शिक्षा मंत्री किरण माहेश्वरी की शव यात्रा निकल कर विरोध प्रदर्शन किया।

धरनाथियों का कहना है कि एक और जहां सरकार बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ वह जन-जन तक शिक्षा की अलख जगाने का दावा कर रही है वही दूसरी ओर गांव खोडाला के एक सरकारी विद्यालय में शिक्षकों के रिक्त पदों पर नियुक्ति की मांग को लेकर विद्यार्थी व ग्रामीणों को विद्यालय पर 10 दिनों से तालाबंदी कर धरने पर बैठे है, तथा 4 दिनों से ग्रामीण भूख हड़ताल पर बैठे है मगर कोई ध्‍यान नहीं दे रहा है।

जानकारी के अनुसार लूनकरणसर के खोडाला गांव की राजकीय आदर्श वरिष्ठ उपाध्याय संस्कृत विद्यालय में 325 विद्यार्थी एक शिक्षक के भरोसे है। प्रधान अध्यापक सहित 11 अध्यापको के पद लम्बे समय से खाली पड़े है। 10 दिन से चल रहे इस तालाबंदी व भूख हड़ताल की सुध लेने के लिए अब तक कोई भी सरकारी अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा है।

गौरतलब है की लूणकरणसर उपखंड के गांव खोडाला के राजकीय आदर्श वरिष्ठ उपाध्याय संस्कृत विद्यालय मैं एक अध्यापक के भरोसे 325 विद्यार्थियों की शिक्षा की जिम्मेदारी है जिसमें 70% बालिकाएं हैं।

शिक्षकों के रिक्त पद भरने की मांग को लेकर ग्रामीणों का एक प्रतिनिधिमंडल स्थानीय विधायक मानिक चंद सुराणा से लेकर केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल तक  से मिलकर स्तिथि से अवगत करा चुके हैं ।

दूसरी और जिला शिक्षा अधिकारी से लेकर संभागीय आयुक्त तक  से गुहार लगा चुके हैं। लेकिन दुर्भाग्यवश किसी भी जनप्रतिनिधि व सरकारी नुमाइंदे ने इस विकट समस्या के प्रति अब तक कोई गंभीरता नहीं दिखाई है।

वही गत बुधवार को ग्रामीणों व विद्यार्थियों ने सरकार व अधिकारियों की सदबुद्धि के लिए यज्ञ कर आहूतियां दी  इससे पूर्व बीकानेर जिला प्रमुख सुशीला सिंवर भी मौके पर पहुंचकर विद्यार्थी व ग्रामीणों की मांग को सरकार तक पहुंचाने का आश्वासन दिया था।