बीकानेर, (samacharseva.in)। शा
व्यास के दादाजी स्व. रामधन व्यास के नाम तत्कालीन श्रीगंगानगर एवम वर्तमान के हनुमानगढ़ जिले की डबली राठान ग्राम पंचायत द्वारा 1956 में नीलामी में आवासीय पट्टा जारी किया गया था। रामधन व्यास चूंकि बाद में कोलकाता रहने लगे थे इसलिए वे अपने 1200 वर्ग गज जमीन की निगरानी नहीं कर सके। 1956 के बाद रामधन व्यास के बाद उनके पुत्र स्व कन्हैयालाल व्यास ने भी अपनी इस जमीन को सुरक्षित मानते हुए इसको नहीं संभाला।
रामधन व्यास के पुत्र बंशीलाल व्यास जब 20 वर्ष पूर्व पुत्र के खराब स्वास्थ्य के कारण स्थायी रूप से बीकानेर आ कर बस गए तब उनको ज्ञात हुआ कि उनका डबली राठान का पट्टा पड़ा है जिसकी देखभाल की जानी चाहिए। व्यास ने डबली राठान की वर्तमान ग्राम पंचायत से अपने 1200 वर्ग गज के पट्टे के लिए संपर्क किया तो ग्राम पंचायत हतप्रभ रह गई।
पंचायत ने यह तो माना कि व्यास का पट्टा बना हुआ है लेकिन यह भी बहाना निकाल लिया कि इतनी लंबी अवधि के बाद ऐसे भूखंड की निशानदेही संभव नहीं है।ग्राम पंचायत ने यह भी माना है कि वर्तमान में इनके पट्टे की एवज में ग्राम पंचायत के पास कोई अन्य भूखंड खाली नहीं है इसके बदले बीकानेर संभाग में अन्यत्र भूमी अलॉट करने में राज्य सरकार ही सक्षम है।
ग्राम पंचायत डबली राठान ने स्वर्गीय व्यास के वारिसान को अन्य स्थान पर जमीन उपलब्ध कराने की अनुशंषा की है। ग्राम पंचायत डबली राठान की अनुशंषा के बाद पंचायत समिति पीलीबंगा ने जिला परिषद हनुमानगढ़ के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को लिखा कि रामधन व्यास पुत्र विट्ठलदास व्यास को 60 वर्ष पूर्व 7 फरवरी 1958 को भूखंड आवंटित किया गया था यह सही है पीलीबंगा के बीडीओ ने सीईओ जिला परिषद को आग्रह किया है कि प्रार्थी को राज्य सरकार के स्तर से जमीन आवंटित की जाए।
अपने स्वर्गीय दादा की इस विरासत को किसी भी हाल में प्राप्त करने के व्यास के निरंतर प्रयासों के चलते यह प्रकरण राज्य सरकार के पास भी पहुंच गया। ग्रामीण विकास एवं पंचायत राज विभाग के उप शासन सचिव(विधि) ने भी इस मामले पर कार्यवाही करने के लिए हनुमानगढ़ प्रशासन को आदेशित किया है।
अपनी विरासत को पाने के लिए किसी भी स्तर तक पहुंचने को तत्पर बंशीलाल व्यास राजस्थान के मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री सहित सबको खड़खड़ा चुके हैं और उन्होंने यह तय कर लिया है कि वे अपने इस हक को लेकर रहेंगे। व्यास की तैयारी है कि अगर जल्दी ही कोई फैसला नहीं हुआ तो वे सम्भागीय आयुक्त के कार्यालय के सामने धरना लगा कर बैठेंगे। हद तो यह है कि राजस्थान में जब पंचायत राज की नींव पड़ी तब ग्राम स्वराज्य का सपना देखा गया था।
राजस्थान में सबसे पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित नेहरू ने पंचायत राज की नींव रखी थी और अब लगभग 60 वर्ष बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पंचायत राज विभाग को याद दिलाना पड़ रहा है कि पंचायत राज के क्या कायदे कानून हैं।