राजपरिवार में मारवाड़ी बोलने का था नियम, आपसी बातचीत में दूसरी भाषा का प्रयोग था वर्जित–राज्‍यश्री

There was a rule to speak Marwari in the royal family, use of other languages in mutual conversation was prohibited – Rajyashri
There was a rule to speak Marwari in the royal family, use of other languages in mutual conversation was prohibited – Rajyashri

NEERAJ JOSHI बीकानेर (समाचार सेवा)बीकानेर राजघरोन की पूर्व राजकुमारी तथा महाराजा गंगा सिंह ट्रस्ट बीकानेर की अध्यक्ष राज्यश्री कुमारी ने बताया कि बीकानेर राज परिवार में मातृभाषा मारवाड़ी बोलने का नियम था। राज परिवार के सदस्यों की आपसी बातचीत में किसी दूसरी भाषा का प्रयोग वर्जित था।

राज्‍यश्री कुमारी बुधवार को महाराजा गंगा सिंह विश्‍वविद्यालय (एमजीएसयू) बीकानेर के इतिहास विभाग की ओर से महाराजा गंगा सिंह स्मृति व्याख्यान की शृंखला के तहत आयोजित समारोह को मुख्‍य अतिथि के रूप में संबोधित कर रही थी। पूर्व राजकुमारी ने कहा कि बीकानेर के महाराजा गंगासिंहजी का शिक्षा के साथ साथ चिकित्सा के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान रहा है।

समारोह अध्यक्ष कुलपति प्रो. मनोज दीक्षित ने कहा कि विवि में महाराजा गंगा सिंह शोध पीठ स्थापित है। इसके माध्‍यम से देशभर के विद्यार्थियों को गंगा सिंह जी पर शोध करने आने हेतु प्रोत्साहित किया जाता है। मुख्य वक्ता काशी हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी के वरिष्ठ आचार्य प्रो. प्रवेश भारद्वाज ने कहा कि आधुनिक काल के भामाशाहों व दानदाताओं की अग्रिम पंक्ति का भी अग्रिम स्थान बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह जी के लिये सुरक्षित रखा जाना चाहिये।

आधुनिक बीकानेर के निर्माता महाराजा गंगा सिंह

प्रो. भारद्वाज ने बताया कि काशी के विश्वनाथ मंदिरों के कई शिवलिंगों की स्थापना बीकानेर नरेशों द्वारा दी गई दानराशि से हुई थी। स्मृति व्याख्यान की आयोजन सचिव इतिहास विभाग की डॉ. मेघना शर्मा ने कहाकि आधुनिक बीकानेर के निर्माता मरुस्थल के भगीरथ महाराजा गंगा सिंह सदैव विकास पुरुष के रूप में जाने जाएंगे। इससे पूर्व अतिथियो द्वारा माँ सरस्वती व महाराजा गंगा सिंह जी के चित्र के समक्ष माल्यार्पण व दीप प्रज्ज्वलन कर स्मृति व्याख्यान कार्यक्रम की शुरूआत हुई।

विभागाध्यक्ष प्रो. अनिल कुमार छंगाणी ने स्वागत भाषण दिया। कुलसचिव अरुण प्रकाश शर्मा ने आभार जताया। कार्यक्रम में डॉ. गौतम मेघवंशी, डॉ. अभिषेक वशिष्ठ, डॉ. संतोष कंवर शेखावत, उमेश शर्मा, डॉ. बिट्ठल बिस्सा, वरिष्ठ निजी सचिव कमलकांत शर्मा सहित अतिथि शिक्षक और विश्वविद्यालय परिसर के अलावा बेसिक कॉलेज, नाल टीटी कॉलेज, बोथरा कॉलेज आदि से विद्यार्थी शामिल रहे।