‘मुझे भरोसा है कोई भी संवेदनशील सरकार आपातकाल को नहीं दोहराएगी – उपराष्‍ट्रपति

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आपातकाल को पाठ्यक्रम में भी शामिल किया जाए – नायडू

नई दिल्‍ली, (समाचार सेवा)। ‘मुझे भरोसा है कोई भी संवेदनशील सरकार आपातकाल को नहीं दोहराएगी, जो 25 जून, 1975 की उस दुर्भाग्‍यपूर्ण रात को किया गया था।

उपराष्‍ट्रपति एम.वेंकैया नायडु ने सोमवार को नई दिल्‍ली में प्रसार भारती के अध्‍यक्ष ए.सूर्यप्रकाश द्वारा लिखी गई पुस्‍तक इमरजेंसी : इंडियन डेमोक्रेसीज डार्केस्‍ट आवरके हिन्‍दी, कन्‍नड़, तेलुगु एवं गुजराती संस्‍करणों का विमोचन करने के बाद आपातकाल के भ्रामक कारणों एवं दुष्‍परिणामों पर विस्‍तार से चर्चा कर रहे थे।

उन्‍होंने कहा कि अब समय आ गया है कि आपातकाल को पाठ्यक्रम में भी शामिल किया जाए, जिससे कि वर्तमान पीढ़ी को 1975-77 की दुर्भाग्‍यपूर्ण घटनाओं के बारे में जानकारी दी जा सके, उन्‍हें संवेदनशील बनाया जा सकें और वे उस लोकतांत्रिक स्‍वतंत्रता का सम्‍मान करना सीख सके, जो आज उनके पास है।

उपराष्‍ट्रपति ने आपातकाल के नायकों एवं खलनायकों का उल्‍लेख करते हुए सर्वोच्‍च न्‍यायालय के न्‍यायाधीश एच.आर.खन्‍ना को नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करने वाला एक महान नायक बताया।

उन्‍होंने युवाओं को लोकतंत्र के अंधकारपूर्ण समय तथा स्‍वतंत्रता के मूल्‍य का स्‍मरण कराने के लिए पाठ्यक्रम में आपातकाल को शामिल करने की अपील भी की।

नायडु ने उन 33 असामान्‍य घटनाओं का स्‍मरण किया, जिन्‍होंने लोकतंत्र को निष्‍फल बना दिया तथा संविधान को बर्बाद कर दिया उपराष्‍ट्रपति ने मीडिया के खिलाफ उत्‍पीड़न के कई कदमों का भी स्‍मरण किया नागरिकों से साथी देशवासियों की स्‍वतंत्रता का अभिभावक बनने की अपील की।

‘आपातकाल’, की 43वीं वर्षगांठ के अवसर पर उपराष्‍ट्रपति एम.वेंकैया नायडु ने जोर देकर कहा कि साथी नागरिकों की स्वंतत्रता का हनन करने वाले असहिष्णु लोगों को भारतीय कहलाने का कोई अधिकार नहीं है, क्‍योंकि ये भारत के मूलभूत मूल्‍यों तथा लोकाचार के विरूद्ध है।

नायडु ने कहा कि 1977 में लोगों के पक्ष में जोरदार तरीके से लोकतांत्रिक निर्णय आने के बाद अब कोई भी संवेदनशील सरकार दुबारा आपातकाल लगाने का साहस नहीं करेगी।

उन्‍होंने कहा कि आज लोगों की व्‍यक्तिगत स्‍वतंत्रता को कुछ भ्रमित लोगों से खतरा पैदा हो रहा है।

उपराष्‍ट्रपति ने जोर देकर कहा, ‘आपातकाल की 43वीं वर्षगांठ पर मैं यह संदेश देना चाहूंगा कि अपने साथी नागरिकों की स्वंतत्रता का हनन करने वाले असहिष्णु लोगों को भारतीय कहलाने का कोई अधिकार नहीं है।

उपराष्‍ट्रपति ने आपातकाल के दौरान 17 महीनों तक अपनी खुद की गिरफ्तारी का उल्‍लेख करते हुए उस अवधि की उन 33 असामान्य घटनाओं का स्मरण किया, जिन्होंने लोकतंत्र को निष्फल बना दिया, संविधान को बर्बाद कर दिया एवं नागरिकों को उनके जीवन तथा स्‍वतंत्रता के अधिकार से वंचित कर दिया।

नायडु ने आपातकाल के दौरान विभिन्‍न उत्‍पीड़क कदमों के द्वारा मीडिया का गला घोटे जाने का भी उल्‍लेख किया, जिनमें पुलिस अधिकारियों द्वारा समाचार पत्रों के संपादक की भूमिका निभाने, समाचार पत्रों के प्रकाशन को रोकने के लिए बिजली की आपूर्ति ठप करने,  पत्रकारों एवं उनके परिवार के सदस्‍यों को गिरफ्तार करने एवं उनका उत्‍पीड़न करने, प्रेस परिषद को खत्‍म किए जाने आदि कदम शामिल थे।

उपराष्‍ट्रपति ने नागरिकों से साथी देशवासियों की स्वतंत्रता का अभिभावक बनने की अपील की।