साहित्‍यकारों ने राजस्थानी अकादमी के पूर्व अध्‍यक्ष शिवराज छंगाणी को याद किया

Litterateurs remembered former president of Rajasthani Academy, Shivraj Chhangani
Litterateurs remembered former president of Rajasthani Academy, Shivraj Chhangani

राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी बीकानेर की श्रद्धांजलि सभा

NEERAJ JOSHI बीकानेर, (समाचार सेवा)  राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के पूर्व अध्यक्ष व वरिष्ठ साहित्यकार-शिक्षाविद् स्व. शिवराज छंगाणी की स्मृति में बुधवार को राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी की ओर से अकादमी सभागार में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में साहित्यकारों ने उन्हें पुष्पांजलि-शब्दांजलि अर्पित की।

कार्यक्रम में साहित्कारों ने शिवराज छंगाणी के चित्र पर पुष्प अर्पित किये व उनकी स्मृति में दो मिनट का मौन रखा। अकादमी सचिव शरद केवलिया ने कहा कि छंगाणी के निधन से साहित्य व समाज को अपूरणीय क्षति हुई है। वे अजातशत्रु थे। उन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से सामाजिक कुरीतियों-समस्याओं को उजागर किया।

स्‍मरण सभा में वरिष्ठ साहित्यकार कमल रंगा ने कहा कि स्व. छंगाणी ने अकादमी अध्यक्ष के रूप में अपने कार्यकाल में साहित्यकारों के हित के लिए अविस्मरणीय कार्य किया। कवि-कथाकार राजेन्द्र जोशी ने कहा कि छंगाणी ने राजस्थानी व हिन्दी में बेहतरीन साहित्य रचा।

शिक्षाविद ओमप्रकाश सारस्वत ने छंगाणी के साहित्य से प्रेरणा लेने व उनके बताए मार्ग पर चलने की आवश्यकता जताई। कवि बिशन मतवाला ने उनके अनेक संस्मरण सुनाए। शंकरसिंह राजपुरोहित ने कहा कि छंगाणी की छः दशक से अधिक अवधि की साहित्य-यात्रा रही। डॉ. कृष्णा आचार्य ने कहा कि वे युवा लेखकों के मार्गदर्शक थे। राजाराम स्वर्णकार ने कहा कि उन्होंने अपने लेखन से पूरे प्रदेश में अलग पहचान बनाई। कासिम बीकानेरी ने उन्हें सादगी की मिसाल बताया।

महेन्द्र कुमार जोशी ने कहा कि वे राजस्थानी के अग्रणी लेखक थे। जुगलकिशोर पुरोहित ने कहा कि उनका बहुआयामी व्यक्तित्व था। अब्दुल शकूर सिसोदिया ने कविता के माध्यम से श्रद्धांजलि दी। सत्यनारायण छंगाणी ने कहा कि वे मायड़ भाषा के प्रति सदैव समर्पित रहे। सभा में मौजूद भंवरलाल रत्तावा, गोपाल व्यास, बुलाकीराम सुथार, श्रीनिवास थानवी, मनोज मोदी, रामअवतार तिवाड़ी ने भी श्रद्धासुमन अर्पित किये।