फिर याद आये चौबे, छब्बे व दूबे जी

panchnama-usha joshi

पंचनामा : उषा जोशी

* फिर याद आये चौबे, छब्बे व दूबे जी

खाकी मुख्यालय कई आदेश निर्देश जारी कर अपने अफसरों को काम करने के तरीके बताता रहता है मगर खाकीधारी है जो अपने ही नियमों पर चलने को आमादा रहते हैं।

एक सीओ साहब हाल ही के दिनों में पास के गांव किसी काम गए थे, सोचा मुख्यालय के निर्देशों की पालना करते हुए यहां जनसहभागिता शिविर कर लिया जाएं।

तय कार्यक्रमानुसार सीओ साहब ग्रामीणों के बीच पहुंचकर उनको जागरूक करने के नाम पर अच्छा खासा ज्ञान देने लगे।

सीओ साहब तब रुके जब एक बुजुर्ग ग्रामीण ने कहा कि साहब आप तो हमें जागरूक करने की बात करते हैं आपके मुख्यालय के निर्देशों के अनुसार तो आपको भी जनसहभागिता शिविर में वर्दी में आना चाहिये थे।

अब क्या था सादी वर्दी में बैठक में पहुंचे सीओ साहब को काटो तो खून नहीं। जागरूक करने आये थे और जागरूक होकर जाना पड़ रहा है।

ऐसे में फिर चौबे जी के चौबे जी बनने के लिये जाने और दूबे जी बनकर लौट आने की कहानी याद आ गई।

हां सीओ साहब ने वहां मुखबिर तंत्र को मजबूत करने आदि के कुछ बेहतर काम भी किए।

* होम करते हुए जले हाथ

जांगल देश के पास रेगिस्तानी इलाको में डोडा पोस्त व अफीम का दूध तस्करी करने  वालों के लिये एक बेहतर रास्ता बन चुके इलाके में एक प्रशिक्षु खाकीधारी को तस्करों को पकड़ना भारी पड़ गया है।

सुना है इस प्रशिक्षु थानेदारजी ने अपने असली थानेदारजी को बगैर आवश्यक सूचना दिये तस्कर को पकड़ने का काम किया।

और तो और इस बारे में इलाके के टाइगर व सीओ को भी आगामी निर्देश पाने के लिये सूचना दे दी।

सुना है तब से थानेदारजी तैश में हैं। हालांकि पहले असली थानेदारजी ने पूरे घटनाक्रम का श्रेय खुद लेने का प्रयास किया मगर उनको पता चला कि पूरा मामला पहले ही आला खाकीधारियों तक पहुंच गया है तो श्रेय लेने में सफल नहीं हो सके।

कहने वाले कह रहे है ऐसे मामलों में अच्छी खासी सेटिंग कर सबका भला करने जैसे काम करने वाले थानेदार जी अपने प्रशिक्षु साथी की सक्रियता के कारण कुछ खास सेटिंग कर नहीं पाये।

प्रशिक्षु  भाई सीआर खराब नहीं हो इसलिये अब शांत है।

* क्या टाइगर भी मजबूर है?

समझ में नहीं आ रहा है कि नागालैण्ड से अवैध रूप से हथियार रखने का फर्जी लाईसेंस बनवाकर हथियार खरीदने वाले रसूखदार नेताओं, व्यवसायियों तथा हार्ड कोर अपराधियों के खिलाफ जांगळदेश के खाकीधारी कब कार्रवाई करेंगे।

कहने को तो खाकी महकमे में तीन चार छोटे मोटे लोगों को इस मामले  में छह माह बाद गिरफ्तार किया था, अब बाकी लोगों को कब गिरफ्तार किया जाएगा।

चार पांच छुट भैया लोगों को छह माह बाद गिरफतार कर खाकी ने तो इतीश्री कर ली है मगर लोग इस मामले को भूले नहीं है। क्या टाइगर भी मजबूर है?