थे मजा करो महाराज… सुन भाव विभोर हुए श्रोता
बीकानेर (समाचार सेवा) जन कवि मोहम्मद सदीक का गीत थे मजा करो महाराज, आज थांरी… जैसे ही सोमवार की शाम को नागरी भंडार में गूंजा, मंच व सभागार में उपस्थित हर श्रोता भाव विभोर हो गया।
जन कवि मोहम्मद सदीक आम आदमी के कवि थे। सभा में मंच पर बैठे अतिथियों ने याद दिलाया कि अपनी जूझती जूण और अंतत तास की राजस्थानी काव्य रचनाओं के माध्यम से मोहम्मद सदीक जन-जन में आज भी लोकप्रिय हैं। कार्यक्रम के दौरान जन कवि सदीक की कविताओं का भारतीय भाषाओं में अनुवाद के माध्यम से वाचन किया गया।
डॉ. चंचला पाठक ने संस्कृत और शायर कासिम बीकानेरी ने उर्दू में, कवि बी डी हर्ष ने अंग्रेजी में, डॉक्टर मंजू कच्छावा ने पंजाबी में, सत्यनारायण शर्मा ने मराठी में और नगेंद्र किराडू ने उनकी हिंदी रचनाओं का राजस्थानी में वाचन किया। प्रज्ञालय संस्थान एवं राजस्थानी युवा लेखक संघ द्वारा आयोजित अवरेख कार्यक्रम की चौथी कड़ी के मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार पत्रकार साहित्य अकादमी नई दिल्ली में राजस्थानी भाषा परामर्श मंडल के संयोजक मधु आचार्य आशावादी थे।
मुख्य वक्ता साहित्यकार भवानीशंकर व्यास विनोद ने कहा कि आज़ादी के बाद देश प्रदेश में कविता को व्यापक जनाधार दिलाने वाले विभिन्न कवियों की पंक्ति में मोहम्मद सदीक आगीवाण रहे। कार्यक्रम संयोजक कमल रंगा ने कहा कि कवि सद्दीक बेबाक राय रखते थे।
इस अवसर पर सद्दीक साहब की कविता एवं गीतों को अपने स्वर देते हुए वरिष्ठ शाइर रंगकर्मी आनंद वि. आचार्य ने ताम झाम सा, थे मजा करो महाराज जैसी चर्चित रचनाओं का वाचन किया तो श्रोता मंत्रमुग्ध हो गए। सद्दीक साहब के छोटे पुत्र सलीम भाटी ने भी उनकी रचनाओं का वाचन किया।
कार्यक्रम में अतिथियों ने कवि सद्दीक के परिजन का शॉल, माला, श्रीफल अर्पित कर सम्मान किया। संचालन हरीश बी. शर्मा ने किया। गिरिराज पारीक ने आभार जताया।
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