बीकानेर, (samacharseva.in)। क्रांतिकारी शौकत उस्मानी की याद में की काव्य गोष्ठी, बीकानेर में जाये जन्मे क्रांतिकारी शौकत उस्मानी की 119 वीं जयंती के अवसर पर पर्यटन लेखक संघ-महफिले अदब की साप्ताहिक आॅनलाइन काव्य गोष्ठी में उस्मानी को याद किया गया।
डॉ. जिया उल हसन कादरी ने शौकत उस्मानी की यूँ खिराजे -अकीदत पेश किया- ‘आजादीए भारत के तलबगार थे शौकत दरअस्ल वफाओं के परिस्तार थे शौकत होने को मुसीबत में गिरफ्तार थे शौकत पर जुल्मो सितम के लिये तलवार थे शौकत’।
शाइर जाकिर अदीब ने किसान का मिजाज पेश करती हुई गजल सुनाई- ‘तहरीक में अगर कहीं शामिल हुए किसान रोके नहीं रुकेगा अगर चल पड़ा किसान’ इंजीनियर निर्मल कुमार शर्मा ने जिन्दगी की नज़्म सुना कर वाह वाही लूटी- ‘बदली हुई अजीब इस बयार में बिक रही है जिन्दगी बाजार में बोली बड़ी जिसकी, उसको सौंपा इसे हारिस था मैं,लाचार ये,छोड़ा इसे’।
पूनमचन्द गोदारा ने ‘खौफ’ शीर्षक ने कविता सुनाई-खौफ दरवाजे से आता है और खिड़कियां तोड़ कर भाग जाता है। डॉ. जगदीशदान बारहठ ने ‘पहेली या जिन्दगी’, ज्योति वधवा रंजना ने ‘क्रिसमिस डे’, कृष्णा वर्मा ने दिल में यादें रह गईं। शारदा भारद्वाज ने मौसमे-सर्द आया है, बर्फीली हवाएं लाया है। मोहनलाल जांगीड़ ने बाइस्कोप। असद अली असद ने जिसका डर था वही हुआ है अभी।
मधुरिमा सिंह ने झोंपड़ी। भरत कुमार खुड़िया ने ‘कहते हो कि मुहब्बत है तुमको’। जुगलकिशोर पुरोहित ने समय। भरत शर्मा ने बस एक बार और तुम पुकार दो मुझे। सोनू लोहमरोड ने सबसे सही,गोविंद शर्मा ने कामनाएं सब अधरी रह गईं। सरिता सिंह ने बुरा सपना और उद्धव महाजन।
बिस्मिल ने वो रोशनी में मुझे आईना सा लगता है सुना कर दाद हासिल की। इंजीनियर गिरिराज पारीक ने आभार व्यक्त किया।