×

जरा नजरों से कह दो जी निशाना चूक ना जाए..

PANCHNAMA 18 JUNE 2018

पंचनामा – उषा जोशी

* जरा नजरों से कह दो जी निशाना चूक ना जाए..

लो साहब अब चुनावी मौसम है तो क्या हर किसी को उम्मीदवार बताने लग जाओगे। माना कि जांगळ देश के टाइगर इन दिनों थोड़े नरम पड़े हुए हैं, वादी, परिवादी सबसे प्रेम से बात करते हैं, इसका मतलब यह तो नहीं कि आप यह समझो की टाइगर भी चुनाव की तैयारी में जुट गए हैं।

भगवान झूठ ना बुलाये, आप लोगों ने तो टाइगर के चुनाव लड़ने के लिये श्रीडूंगरगढ़ की सीट भी तय कर दी है। हद है भई माना की शहर में पाटेबाजी जमकर होती है मगर इतनी भी जल्दी क्या कि एक खाकीधारी आलाधिकारी को भी चुनाव मैदान में उतारने की पाटेबाज उतावले हो रहे हैं।

अगर चुनावों में पाटेबाजों के आकलन सही उतरते तो आज लल्लू महाराज जांगळ देश के विधायक होते और कल्लू महाराज कब के राजस्थान के सीएम बन गए होते।

माना कि प्रदेश और देश में चुनावी मौसम बना हुआ है, हर किसी के लिये नेता बनने का यह सुनहरा अवसर है मगर इतनी भी क्या जल्दी है घोषणा करने की, मान भी ले कि टाइगर ने भी चुनाव मैदान में उतरने का मन बनाया हुआ भी और मगर पाटेबाजों के इस हो हल्ले से कही साहब ने इरादा बदल दिया तो..।

अरे भाई, अच्छे दिन ना आये, ना सही अच्छे लोगों को तो राजनीति में आने दो।

* रुठा है तो मना लेंगे, बिगड़ा है तो बना देंगे..

टाइगर के व्यवहार को लेकर इन दिनों खाकी महकमे में रोष की चर्चाएं हैं। महकमे के लोग कहते हैं कि टाइगर परिवादों की पूरी जांच कराये बगैर राजनीतिक दलों के लोगों के दबाव में महकमे के ही खाकीधारियों को कोपभाजन का शिकार बना रहे हैं।

खाकीधारियों की मानें तो गांव बंद किसान आंदोलन के दौरान नोखा में खाकीधारियों ने कुछ शरारती तत्व बताये गए लोगों की धरपकड़ की तो टाइगर ने एक पार्टी के दबाव में वहां के एक एएसआई व तीन कांस्टेबलों का थाने से हटा दिया।

बीकानेर शहर में हेलमेट जांच के दौरान एक युवक से उलझने वाले व्यास कॉलोनी थाने के एक एएसआई व दो कांस्टेबलों को भी उसी पार्टी के शहर संगठन के दबाव में आरोपी बताये गए खाकीधारियों को लाइन में भेज दिया। यातायात पुलिस महकमे के भी एक-दो पुलिसकर्मियों पर भी शिकायत मिलने के बाद कार्रवाई की गई।

ऐसे में कार्रवाई के भय से अब खाकीधारी किसी भी मामले में फूंक फूंक कर कदम रखने की नीति पर चलने लगे हैं। कहा तो यह भी जा रहा है कि आलाधिकारियों को खाकी फौज के रोष की भनक मिल गई है, खुद टाइगर भी सबकुछ शांत करने के प्रयास में जुट चुके हैं।

* सब कुछ लुटा के होश में आये तो क्या किया…

सत्ता पक्ष के एक नेताजी की सिफारिश से जांगळ देश के सबसे प्रमुख थाने में विराजमान हुए थानेदार साहब इन दिनों फिर परेशानी में हैं। थानेदारजी की मुसीबत यह है कि नेताजी के रिश्तेदार युवा नेताजी आए दिन कोई ना कोई बेगार उनके गले में डाल देते हैं।

बेगार पूरी हो इससे पहले नेताजी का ये युवा रिश्तेदार किसी की सिफारिश लेकर थाने आ धमकता है। थाना इलाके में कौन आदमी कौनसा अवैध व्यापार कर सकता है कौनसा नहीं इसे लेकर भी थानेदारजी को आये दिन नसीहत मिलती रहती है।

थानेदारजी के नजदीकी लोगों का मानना है कि थानेदारजी ने नींद बेचकर औचका मौल ले लिया है। ऐसे में भुगतना तो उन्हें खुद ही पड़ेगा। वहीं थानेदारजी थाने में हुए उलूल-जुलूल खर्च की भरपाई के लिये  भामाशाह की भी तलाश करनी पड़ रही है। सीएलजी की मीटिंग में भी भामाशाहों से थाने के खर्च उठाने की अपील की मगर कोई सेठ टस से मस नहीं हो रहा है।

ये परेशानी साहब की अलग से है, ऐसे में साहब अब प्रभु के द्वार पर ही अधिक देखे जा रहे हैं। अब साहब प्रभु ने सुन ली तो बेड़ा पार तो होना तय ही है, तब तक करो इंतजार।

* मुबारक हो सबको समां ये सुहाना..

शहर के एक थानेदार जी इन दिनों बड़े विचलित हैं। थानेदारजी मानते हैं कि उन्होंने बड़ी चोरी खोली, कई अपराधी पकड़े मगर आलाधिकारी पता नहीं क्यों उनसे खफा रहते हैं। थानेदारजी की मानें तो जो खाकीधारी कुछ खास नहीं करते मगर बड़े साहबों की हां में हां मिलाते हैं खुश  रहने का अधिकार केवल उन्ही को होता है।

थानेदारजी के अनुसार उन्होंने अपने थाना क्षेत्र में लाखों रुपये की चोरी पकड़ी, कमर में दर्द की शिकायत के बावजूद क्षेत्र के कई भगौड़ों व बदमाश लोगों को गिरफ्तार किया मगर वैसी शाबाशी नहीं मिल रही जैसी चहेतों को मिलती है। उलटा छोटी मोटी कागजी कार्रवाई गलत होने से आलाखाकीधारी साहब नाराजगी दिखा देते हैं।

भई अब मैं तो थानेदारजी को धीरज रखने की सलाह ही दे सकती हूं। धीरज रखो सर जी। सब ठीक हो जाएगा।

* अनोखे थाने के खाकीधारियों का दर्द

ग्रामीण क्षेत्र के सबसे चर्चित अनोखे थाने के लोग अब यह कहने से नहीं चूक रहे कि वे तो यहां के एक बड़े व दबंग नेता के दबाव में काम करने को मजबूर हैं। कहा तो यह भी जा रहा है कि जांगळ देश के आला खाकीधारी भी दबंग नेता को बेवजह नाराज नहीं करना चाहते हैं।

पिछले दिनों इस दबंग नेता के कार्यकर्ताओं ने आंदोलन के नाम पर शरारत करने वालों की धरपकड़ पर ऐसा बवाल मचाया कि इस आग की आंच में कई खाकीधारियों का झुलसना पड़ गया। बहरहाल चुनाव का मौसम नजदीक आने के कारण खादी व खाकी की ऐसी जुगलबंदी के कई किस्से, कई शिकवे शिकायत आने तय ही हैं।

* मेरा तुझसे है पहले का नाता कोई..

जांगळ देश रेंज में लॉयन के चहेते थानेदारों व खाकीधारियों को 60 दिन का समय और उसी सीट पर जमने का मिल गया है जहां से हटाये जाने के चांस चुनाव आयोग के निर्देशों के बाद अधिक हो गए थे।

अब आयोग ने एक ही रेंज व जिले में तीन साल लगातार काम कर चुके खाकी वीरों का तबादला 31 अगस्त तक करने की छूट दी है।  लोगों के लाख ना चाहने पर भी लॉयन की मेहरबानी से थानों में डटे हुए खाकीवीरों को दो माह अब और कोई नहीं हिला सकता है।

जय हो। अतिथि भाई आपको जाना तो पड़ेगा ही।

Share this content:

You May Have Missed

error: Content is protected by SITInovations!!