बीकानेर, (समाचार सेवा)। घुड़दौड़ प्रतियोगिताओं को बढ़ावा देना जरूरी : डॉ. मेहता, राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केन्द्र बीकानेर के प्रभारी व प्रधान वैज्ञानिक डॉ. एस.सी. मेहता ने घुड़दौड़ प्रतियोगिताओं को बढ़ावा देने की आवश्यकता जताई है।
डॉ. मेहता बुधवार को वेटरनरी विश्वविद्यालय बीकानेर के प्रसार शिक्षा निदेशालय द्वारा आयोजित राज्यस्तरीय ई-पशुपालक चौपाल में आमन्त्रित विशेषज्ञ के रूप में अपने विचार रख रहे थे। उन्होंने कहा कि अश्व पालन क्षेत्र में रोजगार बढ़ाने हेतु घुड़सवारी एवं अश्व दौड़ प्रतियोगिताओं को बढ़ावा दिया जाना जरूरी है।
इससे इस व्यवसाय से जुडेÞ लोगों को रोजगार उपलब्ध हो सकेगा तथा अश्व के संरक्षण एवं उन्नयन को बढ़ावा मिल सकेगा। उन्होने बताया कि घोड़ो की मुख्यत: तीन नस्ले मारवाड़ी या मलानी, सिंधी एवं नुकरा घोड़ा राजस्थान में पाले जाते है।
घोड़ो के चुनाव में उनकी वंशावली, प्रदर्शन, ऊचांई एवं रंग बहुत महत्त्व रखते है। प्रो. मेहता ने कहा कि घोड़ी को 3 वर्ष के उपरान्त ही प्रजनन हेतु उपयोग लेना चाहिए। कुलपति प्रो. विष्णु शर्मा ने परिचर्चा के विषय को सामायिक बताते हुए कहा कि अश्व प्रजनन एवं प्रबंधन में कौशल विकास की मांग लगातार बढ़ रही है अत: युवा एवं अश्वपालक अश्व पालन में ज्ञान एवं कौशल अर्जित करके स्वरोजगार को अपना सकते है।
निदेशक प्रसार शिक्षा प्रो. राजेश कुुमार धूड़िया ने विषय प्रवर्तन करते हुए बताया कि घोडे राजस्थान की कला एवं सस्कृति का अभिन्न अंग रहे है एवं हमेशा से ही बहादुरी एवं वफादारी के प्रतीक माने जाते रहे है। 2019 की पशुगणना के अनुसार देश में 5.50 लाख घोड़े, पौनी, गधे व खच्चर हैं।
इनमें लगभग 58 हजार संख्या के साथ राजस्थान देश में तीसरे स्थान पर है। घोड़ो की संख्या में बढोतरी हेतु उनके उचित सरंक्षण, उन्नयन एवं वैज्ञानिक तौर पर रखरखाव की आवश्यकता है। ई-पशुपालक चौपाल में राज्यभर के पशुपालक, किसान विश्वविद्यालय के अधिकारिक फेसबुक पेज से जुडे।