अब रेलवे ट्रेक पर नहीं होगी गंदगी, ट्रेन में लगाये बायो-टॉयलेट

railway & bio toilet

जयपुर, (समाचार सेवा)। रेलवे ट्रेक पर अब नहीं होगी गंदगी। रेलवे के 5 रेलखण्डों बाडमेर-मुनाबाब, पीपाड-बिलाडा, सादुलपुर- हनुमानगढ, सूरतगढ-अनूपगढ तथा सीकर-लोहारू को ग्रीन कॉरीडोर के रूप में स्थापित किया गया है। इन रेलखण्डों में संचालित सभी रेलसेवाओं में बायो-टॉयलेट लगाकर रेलवे ट्रेक पर मानव अपशिष्‍ट को गिरने से रोका जा रहा है।

उत्‍तर पश्चिम रेलवे के मुख्य जन सम्पर्क अधिकारी तरूण जैन ने बताया कि इस वर्ष के अंत तक सभी डिब्बों को बायो-टायलेट युक्त करने का लक्ष्य निर्धारित उत्तर पश्चिम रेलवे भारत सरकार के स्वच्छ भारत अभियान की दिशा में सक्रिय कार्य कर रहा है। रेलवे ट्रेक पर होने वाली गंदगी को रोकने के लिये ट्रेनों में अत्याधुनिक बायो-टॉयलेट लगाये जा रहे है।

उत्‍तर पश्चिम रेलवे पर 1400 से अधिक डिब्बों में बायो-टॉयलेट लगाये गये है। रेलवे ट्रेक पर गंदगी होने का प्रमुख कारण मानव मल का ट्रेक पर सीधे गिरना है, इस समस्या के उचित निवारण के लिये ट्रेन के डिब्बों में स्थित परम्परागत टॉयलेट के स्थान पर बायो-टॉयलेट लगाये जा रहे है। बॉयोटॉलेट प्रणाली में जीवाणु द्वारा मानव मल को पानी एवं हवा में परिवर्तित कर दिया जाता है, जिससे वातावरण स्वच्छ एवं रोगाणुरहित रहें।

उत्‍तर पश्चिम रेलवे पर अब तक 1407 डिब्बों में 4960 बायो-टॉयलेट लगाये जा चुके है। यह बायो-टॉयलेट डिब्बों में पूर्णतया और आंशिक रूप से फिट किये गये है। रेलवे का लक्ष्य सभी ट्रेनों के परम्परागत टॉयलेट को बॉयो-टॉयलेट में परिवर्तन करना है। उत्‍तर पश्चिम रेलवे पर यह लक्ष्य वर्ष 2018 के अंत तक रखा गया है।

बॉयो टॉयलेट लगाने से एक ओर जहां गन्दगी में कमी होगी वहीं हरित पर्यावरण की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान होगा। इसके अतिरिक्त इस रेलवे पर पर्यावरण संरक्षण से सम्बंधित और भी कार्य पर किये गये जिनमें इस रेलवे का प्रयास है कि पर्यावरण संरक्षण के लिये यथासंभव कार्य किये जाये और पर्यावरण अनूकुल स्त्रोतो का अधिकाधिक उपयोग किया जाये।