तमंचे पर डिस्को…

पंचनामा : उषा जोशी

तमंचे पर डिस्को…, मृतकों एवम बुजुर्गों के उत्तराधिकारियों के हथियार लाइसेंस बनाने के अनेक आवेदन जांगळ देश के बड़े अधिकारी के कार्यालय की न्याय शाखा में वर्षोँ से धूल फांक रहे हैं।

पुराने बड़े अधिकारी ने तो इन आवेदनों पर गौर फरमाया था और कुछ मृतकों तथा बुजुर्गों के उत्तराधिकारियों के हथियार लाइसेंस बनवा भी दिये, मगर अब ऐसे आवेदकों को चुनाव तथा नये बड़े साहब को समय नहीं मिलने की बात कह कर टरकाया जा रहा है।

सुना है हथियार लाइसेंस बनने के बाद उनमें मृतकों एवम बुजुर्गों के हथियार बिना किसी देरी के ट्रांसफर इंद्राज होने होते हैं जबकि कई आवेदों के 4 महीने बीत जाने के बाद भी लाइसेंसों में हथियारों का इंद्राज नहीं हो सका है। ये बात कुछ खास इशारे करती है।

बड़े साहब गौर फरमायेंगे तो शायद न्याय शाखा के कुछ लोगों को भी नोट बंदी के इस युग में कुछ बड़े हरे हरे नोट पांति आ जाए। 

पुरानी मुखिया की नई सरकार

जब से प्रदेश में राज बदला है, ग्रामीण प्रशासन के बड़े ऑफिस में बैठने वाली प्रमुख जी अधिक सक्रिय हो गई हैं।

उनके दरबार में मुख्य सेनापति के नियुक्त नहीं होने से प्रमुख महिला खुद ही सारे फैसले लेने का उतावली दिख रही हैं। कहने वाले कहते हैं कि कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा की तर्ज पर इस मुखिया ने

अपने मातहत कार्यालयों से अपनी पसंद के कथित अधिकारी कर्मचारी चुन चुन कर नियमों को धता बताते हुए अपने पास डेपुटेशन कर लिए हैं और मन मर्जी के काम करवाये जा रहे हैं।

पसन्द के कर्मचारियों से उल्टा सीधा करवाना अब मोहतरमा को जरूरी भी लग रहा है क्यों कि अब उनकी उल्टी गिनती भी शुरू हो गई है।

बताया जा रहा है कि मुखिया के श्रीमान भी उनके कार्यों में पूरा हाथ बंटाते हैं।

श्रीमानजी राजधानी तक में आला अधिकारियों तक मुखिया के नाम से काम सौंपने से नहीं चूक रहे हैं।

इधर, ध्यान दो सरकार

नई सरकार किसानों के कल्याण के कितने ही वादे करें मगर अफसर किसानों को परेशान करने से कभी नहीं चूकते। कृषि विभाग द्वारा कृषको को खेतों में डिग्गियां स्वीकृत करने के बावजूद राशि उपलब्ध नहीं करवाई है।  

तीन चौथाई रकम नहरी किसानों को दे दी, लेकिन बाद में राशि जारी नहीं की। किसान दो तीन साल से घर से भारी पैसा लगा कर डिग्गियां बना कर बैठे हैं मगर विभाग बकाया राशि नहीं दे रहा है।

गरीब काश्तकार ब्याज तले दबे जा रहे हैं। सुना है पुराने अफसरों ने बारानी इलाकों में डिग्गियां स्वीकृत कर दी और अनुदान राशि भी रिलीज कर दी लेकिन बाद के अफसरों ने खुरचन पाने के चक्करों में बेचारे किसानों की रकम रोक रोके बैठे हैं।

खुरचन के इंतजार में किसानों के ब्याज लगता जा रहा है। सुन रहे हैं ना प्रदेश सेवक जी।