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पॉक्सो एक्ट के तहत होने वाली घटनाओं के दोषियों को दया याचिका के अधिकार से वंचित किया जाए: राष्ट्रपति

President Ramnath Kovind -1

राष्ट्रपति ने शांतिवन आबूरोड में किया महिला सम्मेलन का उद्घाटन

आबू रोड (समाचार सेवा)। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि दया याचिका के अधिकार को ऐसे केस में जो पॉक्सो एक्ट में घटनाएं होती हैं उनको ऐसे दया याचिका के अधिकार से वंचित कर दिया जाए। उन्हें ऐसे किसी भी प्रकार के अधिकार की जरूरत नहीं है। श्री कोविन्‍द शुक्रवार को ब्रह्माकुमारीज संस्थान में महिला सम्मेलन का उद्घाटन अवसर को संबोधित कर रहे थे। इस दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र, संस्थान की मुख्य प्रशासिका दादी जानकी और राजस्‍थान के केबिनेट मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला ने दीप प्रज्जवलित कर किया।

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समारोह में राष्‍ट्रपति ने कहा कि इस प्रकार के जो दोषी होते हैं उनको संविधान में दया याचिका का अधिकार दिया गया है। उन्‍होंने कहा कि इस पर पुन: विचार की आवश्‍यकता है। राष्‍ट्रपति ने कहा कि अब ये सब संसद पर निर्भर करता है कि संविधान संशोधन हो।

राष्‍ट्रपति ने कहा कि बेटियों पर होने वाले आसुरी प्रहारों की वारदातें देश की अंतर आत्मा को अंदर तक झकझोर कर रख देती हैं। उन्‍होंने कहा कि लड़कों में महिलाओं के प्रति सम्मान की भावना को मजबूत बनाने की जिम्मेदारी हर माता-पिता की है, हर नागरिक की है।  ब्रह्माकुमारीज संस्थान के अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय आबू रोड स्थित शांतिवन परिसर में महिला सशक्तीकरण द्वारा सामाजिक परिवर्तन विषय पर राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है।

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राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि महिला सुरक्षा बहुत ही गंभीर विषय है जिसका सम्मेलन में उल्लेख भी किया गया है। इस विषय पर बहुत काम हुआ है लेकिन अभी बहुत काम करना बाकी है।

विश्व पटल पर प्रभावी भूमिका निभा रहा है संस्थान

राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि लगभग विश्व के 140 देशों में आठ हजार से अधिक सेवाकेंद्र के माध्यम से ब्रह्माकुमारीज संस्थान विश्व पटल पर अपनी प्रभावी भूमिका निभा रहा है। पूरे विश्व में ये सबसे बड़ी आध्यात्मिक संस्था है।  संस्थान ने पूरे विश्व में भारत का गौरव बढ़ाया है। महिलाओं के सशक्तीकरण, पर्यावरण संरक्षण, जल संरक्षण, ऊर्जा संरक्षण, स्वच्छता के क्षेत्र में संस्थान सामाजिक परिवर्तन लाने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन कर रहा है। राष्ट्रपति ने ब्रह्माकुमारीज के शांतिवन में सहभोज की व्यवस्था की सराहना करते हुए कहा कि यहां सभी वर्गों, जाति-धर्म को लोगों को लिए एकसमान सहभोज की व्यवस्था सराहनीय है।

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बेटियों का हो रहा सशक्तीकरण, बांसवाड़ा बेहतर उदाहरण राष्ट्रपति ने कहा कि देश में चाइल्ड सेक्स रेशियों में सुधार हो रहा है। महिलाओं का सशक्तीकरण हो रहा है। आज देश में दस लाख से अधिक महिलाएं पंचायती राज में जिम्मेदारी संभाल रही हैं। देश में पहली बार 78 महिला सांसद निर्वाचित होकर संसद पहुंची हैं। जनधन योजना के तहत खोले गए खातों में 52 फीसदी खाते महिलाओं के हैं।

राजस्थान के बांसवाड़ा जिले में प्रति हजार बेटों पर 1005  बेटियां पैदा होना ये सब बातें नारी सशक्तीकरण को बढ़ावा देती हैं। महिलाओं के विकास से ही समाज का विकास संभव राष्ट्रपति कोविंद ने जोर दिया कि महिलाओं को आगे बढ़ाने और उनके विकास में ही राष्ट्र का विकास संभव है। शिक्षा सशक्तीकरण का आधार होता है। आज बालिकाओं की शिक्षा को सुविधाजनक बनाया जा रहा है। स्कूलों में शौचालय से लेकर अन्य व्यवस्थाएं होने से छात्राओं को सुविधा मिली है।

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एक बालिका शिक्षित होती है तो दो परिवारों को लाभ मिलता है। शिक्षित महिला के बच्चे कभी अशिक्षित नहीं होंगे। बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर ने सदा महिलाओं के विकास के लिए कार्य किया है। आज उनका परिनिर्माण दिवस भी है, उन्हें सुबह संसद में श्रद्धांजलि देकर सीधे यहां आया हूं।

हम सभी एक ईश्वर की संतान हैं:

राष्ट्रपति राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि जब हमें शांति नहीं मिलती है तो भटकते हैं और लगता है कि उपासना पद्धति में शांति मिलेगी। यदि हम हिंदू परंपरा को मानने वाले हैं तो मंदिर जाएंगे, सिख परंपरा को मानने वाले हैं तो गुरुद्वारा जाएंगे, मुस्लिम परंपरा को मानने वाले हैं तो हम मस्जिद जाएंगे और ईसाई परंपरा को मानने वाले हैं तो चर्च में जाएंगे। लेकिन इन सब चीजों के बाद भी हमें शांति नहीं मिलती है, लेकिन ब्रह्माकुमारीज ने आध्यात्म का जो मार्ग खोजा है, उसमें ये उपासना, पूजा पद्धति पहला चरण है। यदि आप इसमें सफल हुए हैं तो इसकी निशानी है नैतिक और मोरल वैल्यूज की धारणा होगी।

यदि नैतिकता का अभाव रहता है तो समझ लेना चाहिए कि हमारी पूजा पद्धति में हम कहीं सफल नहीं हैं। अंत में आता है आध्यात्म। आध्यात्म के मार्ग पर चलने की सच्ची कसौटी  दादी जानकी ने बताई कि हम सब एक ईश्वर की संतान हैं। जिस दिन ये भाव हम सबमें आ जाएगा, उस दिन समझना चाहिए कि हमने आध्यात्म के रास्ते पर चलना प्रारंभ कर दिया है। ब्रह्माकुमारियों को राष्ट्रपति ने दी महिला रत्न की उपाधि राष्ट्रपति ने कहा कि राजयोगिनी महिलाओं का ये समूह विश्व के लिए एक मिसाल है।

लगभग 80 वर्ष पूर्व इस ईश्वरीय संस्था को आरंभ करने वाले दादा लेखराज जो ब्रह्मा बाबा के नाम से प्रसिद्ध हैं। कहा जाता है कि वो हीरे-जवाहरात के व्यापारी थे। एक जौहरी हीरों का सच्चे मायनों में पारखी होता है। बाबा ने अनगढ़ पत्थरों को तराशकर चमकदार हीरों का रूप दिया है। ब्रह्मा बाबा ने आजीवन हीरों को तराशने का काम किया है। आज यहां ब्रह्माकुमारियों के रूप में बाबा की सोच से तराशे हुए हजारों महिला रत्न उपस्थित हैं। मैं आपको महिला रत्न की उपाधि देता हूं।

जानकीजी के उद्बोधन को लेकर कहा कि जीवन में सच्चाई, सफाई और साधारणता होना जरूरी है। वास्तव में दादी के उद्बोधन से हम सभी को यह सीख लेना चाहिए। मैं यहां दादी से मिलने, उनके आशीर्वचन सुनने और उनसे आशीर्वाद लेने आया हूं। दादी का पूरा जीवन ईश्वरीय सेवा के लिए समर्पित है। भारत का हर नागरिक प्रथम नागरिक प्रथम नागरिक से अभिप्राय बताते हुए राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि यदि एक गोलाकार वृत्त बनाया जाए और उसके बीच में मुझे खड़ा किया जाए तो भी 130 करोड़ लोगों में जिस पर आप अंगुली रखेंगे तो वह भी प्रथम नागरिक होगा।

आज पूरा विश्व शांति की खोज में है। वास्तव में शांति हमारे अंदर ही है। आज लोगों के पास अच्छे रिश्ते, परिवार, पैसा, नौकरी होने के बाद भी सुखी नहीं हैं क्योंकि शांति बाहर खोज रहे हैं। जब भी समय मिलता है तो टीवी पर ब्रह्माकुमारी शिवानी बहन का अवेकनिंग विथ ब्रह्माकुमारीज कार्यक्रम देखता हूं। मैंने देखा है कि इंसान के सामान्य व्यवहार के दौरान जो मनोभाव पैदा होता है उसका विश्लेषण करने की योग्यता इस बेटी में है।

 हम सबका पिता परमात्मा एक है:

दादी जानकी ब्रह्माकुमारीज की मुखिया 103 वर्षीय दादी जानकी ने कहा कि मैं कौन (आत्मा) और मेरा कौन (परमात्मा) ये दो बातें मैं सदा याद रखती हूं। हम सब एक पिता की संतान हैं। ईश्वर एक है,  हम सबका पिता एक है। मैंने अपने जीवन में हर कार्य सच्चाई, सफाई के साथ किया। दिल में सच्चाई-सफाई और कारोबार में सादगी है तो हम कार्य में सफलता मिलना ही है। विश्व में आज शांति, खुशी और शक्ति की जरूरत है। हिम्मत हमारी, मदद भगवान की।

मैं सबसे पहले 1974 में लंदन गई तो वहां पूछा कि आपके पति हैं तो मैंने कहा कि मेरा दिलबर परमात्मा है। उन्होंने आह्नान कि जो भी यहां बैठे हैं सभी में विश्व कल्याण की भावना रहे तो कभी लड़ाई-झगड़ा नहीं होगा। ब्रह्माकुमारीज संस्थान के महासचिव बीके निर्वैर ने स्वागत भाषण देते हुए देश में महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों पर चिंता जाहिर की।  

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