दूध दूहने के काम से दूर रहें सर्दी ज़ुकाम के रोगी – डॉ. राजकुमार बेरवाल

Patients of cold and flu should stay away from the work of milking - Dr. Rajkumar Berwal
Patients of cold and flu should stay away from the work of milking - Dr. Rajkumar Berwal

भारत डेयरी-प्रोसेसिंग में बहुत संभावनाएं: डॉ ऋचा पंत

बीकानेर, (समाचारसेवा)दूध दूहने के काम से दूर रहें सर्दी ज़ुकाम के रोगी – डॉ. राजकुमार बेरवाल, पशु विज्ञान केंद्र सूरतगढ़ के प्रभारी अधिकारी डॉ. राज कुमार बेरवाल ने कहा कि स्‍वच्‍छ व रोगमुक्‍त दूध के लिये सर्दी ज़ुकाम जैसे लक्षण वाले व्‍यक्ति को दूध दोहन नहीं करना चाहिए, नहीं तो पशुओं में थनैला रोग होने की सम्भावना बढ़ जाती है।

डॉ. बेरवाल मंगलवार को विश्व दुग्ध दिवस के पर मंगलवार को कृषि विज्ञान केंद्र लूणकरनसर पर आयोजित “कृषक-वैज्ञानिक संवाद” कार्यक्रम को मुख्‍य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे। उन्‍होंने कहा कि यदि कोई पशु थनैला रोग से ग्रसित हो तो हमें उसका शुरुआती दूध प्रयोग नहीं करना चाहिए। डॉ. बेरवाल के अनुसार स्वच्छ दूध दोहन के लिए पशु के थनों को पीने योग्य पानी से साफ करना चाहिए।

दूध दुहने वाले व्यक्ति के हाथ और कपडे भी साफ़ होने चाहिए उन्‍होंने कहा कि दूध निकालते समय व्यक्ति का मुंह व सिर ढका हुआ और नाखून कटे हुए होने चाहिए। डॉ. बेरवाल के अनुसार दिन भर जहा पशु बंधे रहते हैं वहां मल-मूत्र जैसी गन्दगी के कारण वहां दोहन किए गए दूध में रोगों का खतरा होता है। डॉ. बेरवाल ने बताया कि दूध दोहन के लिए काम लेने वाला बर्तन गोल पेंदे का होना चाहिए व उसका मुंह ऊपर से कम चौड़ा होना चाहिए जिससे बाहरी संक्रमण का खतरा कम रहे।

कृषि विज्ञान केंद्र लूणकरनसर के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ. आर. के. शिवरान ने बताया कि वर्ष 2001 में संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन यूएनएफओ ने आमजन में दुग्ध उत्पादन और पोषण के विषय में जागरूकता बढ़ाने हेतु विश्व दुग्ध दिवस की स्थापना की। केंद्र के कीट वैज्ञानिक डॉ. केशव मेहरा ने दुग्ध-उत्पादन के क्षेत्र में भारत की विश्वभर में अग्रणी भूमिका और दुग्ध व्यवसाय की संभावनाओं के बारे में बताया।

केंद्र की खाद्य एवं पोषण विशेषज्ञ डॉ. ऋचा पंत ने “मानव आहार में दूध की महत्ता” तथा “भारत में डेरी व्यवसाय की संभावनाएं विषय पर जानकारी दी।  उन्होंने बताया कि सभी पोषक तत्वों की उचित मात्रा होने से दूध एक संपूर्ण भोजन है। यह ऊर्जा, प्रोटीन, वसा, खनिज और विटामिनों का भरपूर स्त्रोत है तथा दूध में पाया जाने वाला प्रोटीन सर्वोच्च गुणवत्ता एवं पूर्ण प्रोटीन होता है। साथ ही, डॉ. ऋचा पंत ने कृषकों को बताया कि भारत विश्व का सर्वाधिक दुग्ध-उत्पादन करने वाला देश है, किन्तु उसके बाद भी हमें कुछ दुग्ध उत्पाद आयत करने पड़ते हैं।

इसके लिए उन्होंने डेरी व्यवसाय को संगठित रूप से करने पर बल दिया और दूध से बनने वाले विभिन्न उत्पादों के बारे में जानकारी दी।

डॉ. ऋचा ने बताया कि भारत में उत्तर प्रदेश के बाद राजस्थान ही सर्वाधिक दूध-उत्पादन क्षमता वाला राज्य है, जहाँ देश का 11% उत्पादन हो रहा है।  इस अवसर पर डॉ. नवल किशोर ने भी किसानों से कृषक उत्पादक संघठनों के माध्यम से दुग्ध व्यवसाय को बढ़ावा देने का आह्वाहन किया। केंद्र के मृदा वैज्ञानिक भगवत सिंह खेरावत ने आभार जताया।