हार कर जीतने वाला बाजीगर
पंचनामा : उषा जोशी
हार कर जीतने वाला बाजीगर
हार कर जीतने वाला बाजीगर, अब बीकानेर के खादीधारी डॉ. बुलाकीदास कल्ला को हार कर जीतने वाला बाजीगर नहीं कहें तो क्या कहें, नौंवी बार कांग्रेस से टिकट, पांच बार जीत, तीन बार हार, नौंवी बार में मिला टिकट क्या गुल खिलाता है यह तो भविष्य के गर्भ में हैं।
इस गुरुवार-शुक्रवार की मध्यरात्रि को कांग्रेस पार्टी ने जब उम्मीदवारों की सूची जारी की और उसमे डॉ. कल्ला का टिकट काट दिया गया तो कल्ला समर्थकों का दिल बैठ गया।
जांगळ देश व छोटी काशी कहे जाने वाले शहर में कल्ला के समर्थकों ने गुरुवार आधीरात के बाद रविवार की दोपहर तक जो हुड़दंग मचाया, मंदिरों में धोक लगाई, रैलियां निकाली, रास्ते रोके, रेल रोकी, यज्ञ किया।
इसका ही परिणाम रहा कि आलाकमान तक बात पहुंच गई कि बीकानेर में डॉ. कल्ला के टिकट काटने का परिणाम ना केवल कल्ला समर्थकों को नाराज करना है बल्कि पुष्करणा बाहुल्य इस सीट से किसी अन्य जाति के उम्मीदवार को उतार कर ब्राह्मणों से सीधे-सीधे बैर मोल लेना है।
वापस टिकट पाने के लिये डॉ. कल्ला को खुद अधिक मशक्कत नहीं करनी पड़ी, समर्थकों ने खुद ही सारा जिम्मा सम्हाल लिया था।
इस शहर में हर शख्स परेशान सा क्यूं है..
जब से टिकटों का वितरण हुआ है शहर का हर शख्स परेशान सा नजर आ रहा है, किसी के सीने में जलन हो रही है, किसी की आंखों में तुफान सा उठने लगा है।
बीकानेर शहर से पहले वरिष्ठ कांग्रेसी नेता को टिकट नहीं मिला तो उनके समर्थक व परिजन परेशान हो गए। अब कल्ला को टिकट मिला तो उनके विरोधी परेशान हो गए।
बीकानेर पूर्व सीट से कन्हैयालाल झंवर को टिकट मिला तो कांग्रेसी नेता गोपाल गहलोत, वल्लभ कोचर, सलीम सोढा, कौशल दुग्गड़, गोपाल पुरोहित के समर्थक परेशान हो गए।
फिर कांग्रेस ने रविवार दोपहर को बीकानेर पूर्व से कन्हैयालाल झंवर का टिकट काटा तो नोखा से कांग्रेस के उम्मीदवार रामेश्वर डूडी व उनके समर्थक परेशान हो गए।
श्रीडूंगरगढ़ में भाजपा ने ताराचंद सारस्वत को उम्मीदवार बनाया तो भाजपा के ही यहां से विधायकी कर रहे किशनाराम नाई नाराज व परेशान हो गए।
गांधीजी, लक्ष्मीजी ने दिलाई टिकट
जिन उम्मीदवारों को राष्ट्रीय पार्टियों ने टिकट नहीं दिया ऐसे उम्मीदवार अब टिकट पाये उम्मीदवारों पर आरोप लगा रहे हैं कि उनको तो टिकट गांधीजी व लक्ष्मीजी ने टिकट दिलाया है।
अब आप भी समझते हो कि गांधी जी तो इस देश की करंसी पर छपे हुए हैं और लक्ष्मीजी तो धन की ही देवी है।
इन दोनों की कृपा से तो हर काम हो सकता है तो एक अदना सा टिकट क्यों नहीं पाया जा सकता है। वैसे ये हम नहीं कह रहे हैं,
ये कहना है उन उम्मीदवारों का जिनको टिकट नहीं मिला है। कोई अपने को टिकाउ कहता है, कोई जिताउ तो विरोधी को बिकाउ कहकर संबोधित कर रहा है।
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