जो हनुमान की तरह उछल सकता है वह है साहित्यकार – विमर्शानंद गिरि
NEERAJ JOSHI बीकानेर, (समाचार सेवा)। जो हनुमान की तरह उछल सकता है वह है साहित्यकार – विमर्शानंद गिरि, लालेश्वर महादेव मंदिर शिवबाडी के मठ महंत विमर्शानंद गिरि महाराज ने कहा कि जो हनुमान की तरह उछल सकता है वह साहित्यकार है।
महाराज रविवार को वेटरनरी कॉलेज सभागार में अखिल भारतीय साहित्य परिषद राजस्थान बीकानेर इकाई की ओर से भारत का स्वाधीनता आंदोलन एवं साहित्य विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के शुभारंभ समारोह में आशीर्वचन दे रहे थे।
आज़ादी के अमृत महोत्सव के तहत आयोजित कार्यक्रम में महाराज ने साहित्य को समाज की आत्मा बताया और कहा कि साहित्यकार की तीसरी आंख खुली होनी चाहिए।
कार्यक्रम में दिल्ली, नोएडा, इंदौर, भोपाल, जोधपुर, उदयपुर, कोटा के साहित्यकार शामिल हुए हैं।
मुख्य अतिथि डा.नंदकिशोर पाण्डेय ने स्वावलंबन, स्वधर्म, स्वदेश, स्वभाषा, अछूतोद्धार को भी स्वाधीनता आंदोलन का उद्देश्य बताया।
महापौर सुशीला कंवर ने ऐसे आयोजनों को समय की आवश्यकता बताया। विशिष्ट अतिथि दिल्ली विश्वविद्यालय की डॉ.नीलम राठी ने स्वाधीनता आंदोलन में पत्रकारिता की भूमिका व विशेष रूप से चांद पत्रिका के फांसी अंक की चर्चा की।
कार्यक्रम में बीज वक्तव्य देते हुए डा. नरेंद्र मिश्र ने कहा कि साहित्य और पत्रकारिता एक दूसरे के पूरक हैं।
परिषद के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अन्नाराम शर्मा ने उदघाटन सत्र में अतिथियों व प्रतिभागियों का स्वागत किया।
संचालन मोनिका गौड़ ने किया। कार्यक्रम में डॉ. अन्नाराम शर्मा द्वारा सम्पादित पुस्तक ‘भारत का स्वाधीनता आंदोलन और साहित्य’ का लोकार्पण मंच द्वारा किया गया।
तीन तकनीकी सत्रों में सुरेंद्र राव, राजेन्द्र सिंघवी, योगिराज योगी, शिवराज भारतीय,अखिलानंद पाठक, सुधा आचार्य, कामिनी ओझा डॉ. सुरेंदर डी सोनी,
विजय सिंह, संगीता सक्सेना, कुसुम शर्मा, दिलीप पुरी, रमेश शर्मा, राजेन्द्र प्रसाद शर्मा ने चर्चा की, अतिथियों का उपरणा, स्मृति चिन्ह देकर सम्मान किया गया।
वंदना गीत मनीषा आर्य सोनी व परिषद गीत इंजी.आशा शर्मा ने प्रस्तुत किया।
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