स्कूली बच्चों ने नेताओं व मीडियाकर्मियों को बताई अपनी समस्याएं
आगामी विधानसभा चुनाव के लिए बच्चों एवं किशोर-किशोरियों का विजन-2023
NEERAJ JOSHI बीकानेर (समाचार सेवा)। बच्चों ने नेताओं व मीडियाकर्मियों को बताई अपनी समस्याएं, राजस्थान बाल अधिकार संरक्षण साझा अभियान के तहत 2023 में राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए बच्चों की मागों को राजनितिक दलों के चुनाव घोषणा में शामिल कराने के उद्देश्य से दो दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई।
इस कार्यशाला के दूसरे दिन शनिवार को रोडवेज बस स्टैंड के पास होटल सगुन पैलेसे में लोकतंत्र में बच्चों एव किशोर-किशोरियों की भागीदारी विषयक संभाग स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। दशम-2023 की इस कार्यशाला में श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़ जिलो से 110 बच्चों ने भाग लिया। दशम-2023 के कार्यक्रम समन्वयक मांगीलाल शेखर ने बताया कि कार्यशाला में 20 से अधिक डीफ एण्ड डंप श्रेणी बच्चों ने भाग लिया।
क्षेत्र की स्थानीय समस्याओं को किया चिन्हित
कार्यशाला में बच्चों द्वारा अपने-अपने क्षेत्र की स्थानीय समस्याओं को चिन्हित कर कार्यशाला में आए जनप्रतिनिधियों व मीडिया संगठन से जुड़े लोगों को अपनी समस्याएं बताई। बच्चों ने राजनीतिक दलों से बच्चों की समस्याओं के समाधान के लिए आगामी विधानसभा चुनावों में अपने घोषणा पत्र में इन समस्याओं का उल्लेख करते हुए उनके समाधान में उठाया जा सकने वाले कदमों का विवरण शामिल करने का आग्रह किया।
कार्यक्रम के संभागीय समन्वयक चेनाराम बिश्नोई ने बताया कि शनिवार को बच्चों की कार्यशाला में कांग्रेस पार्टी से छतरगढ़ के पूर्व ब्लाक अध्यक्ष सत्तू खां, पंचायत समिति बीकानेर के उप प्रधान व भारतीय जनता पार्टी से जुड़े राजकुमार कस्वा, पंचायत समिति सदस्य किशन दहिया ने बच्चों की मांगों को पार्टी पदाधिकारियों तक पहुंचाने का आश्वासन दिया। पत्रकार नीरज जोशी व मुजीर्बुरहमान ने बच्चों को जागरूक होकर अपनी समस्याओं को जनता के सामने लाने का आव्हान किया।
बच्चों को मोबाइल के दुरुपयोग से बचने की दी सलाह
किशोर न्याय बोर्ड बीकानेर के सदस्य अरविन्द सेंगर ने बच्चों को मोबाइल के दुरुपयोग से बचने की सलाह दी। कार्यशाला में शनिवार को उरमूल ट्रस्ट से सुशीला ओझा, रमेश सारण, उरमूल ज्योति से चेतन राम गोदारा, उरमूल सेतु से मुखराम सारण, उरमूल सीमान्त समिति से राम प्रसाद हर्ष, बीकानेर प्रौढशिक्षण समिति से महेश उपाध्याय सहित 40 से अधिक संस्था प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
ये हैं बच्चों की प्रमुख मांगे
सरकार विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता पर ध्यान दें। स्कूलों में पर्याप्त व प्रत्येक विषय के शिक्षक हों। खेल के मैदान, खेल सामग्री, शौचालय, पुस्तकालय, कक्षा कक्ष में सीसीटीवी हो। विशेष बच्चों के लिए सांकेतिक भाषा के शिक्षक, शारीरिक शिक्षक, एवं परामर्शदाता की उपलब्धता अनिवार्य रूप से होनी चाहिए। विद्यालय एवं सार्वजनिक स्थानों पर सेनेटरी नेपकिन निष्पादन मशीन होनी चाहिए।
बच्चों की सुरक्षा के लिए बने निगरानी कमेटी
यौन एवं प्रजनन शिक्षा से संबंधित सभी पाठों को नियमित अध्ययन विषय में प्रशिक्षित अध्यापकों द्वारा कराया जाये। विद्यालय स्तर पर बच्चों की सुरक्षा के लिए अलग से निगरानी कमेटी बनाई जानी चाहिए। विद्यालयों के बाहर व अन्दर सीसीटीवी केमरे लगने चाहिए, ताकि शिक्षा की गुणवत्ता के साथ सुरक्षा के पुख्ता इन्तजाम हो सके। जीवन कौशल शिक्षाका अध्ययन नियमित विषय के रूप में होना चाहिए।
नियमित हो स्वास्थ्य जांच
विद्यालयों में बच्चों की मासिक स्तर पर स्वास्थ्य जांच को नियमित किया जाये। नो बेग डे को नियमानुसार संचालित किया। एच.आई बच्चों के लिए प्रत्येक स्तर पर सांकेतिक भाषा का उपयोग हो तथा साइन भाषा बोलने व समझने वाले प्रतिनिधि की व्यवस्था होनी चाहिए।
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