भेड़-बकरियों में पी.पी.आर. रोग आर्थिक नुकसान का एक बड़ा कारण
बीकानेर, (समाचार सेवा)। भेड़-बकरियों में पी.पी.आर. रोग आर्थिक नुकसान का एक बड़ा कारण , वेटरनरी विश्वविद्यालय बीकानेर के पूर्व निदेशक क्लिनिक्स प्रो. आर.के. तंवर ने कहा कि भेड़-बकरियों में पी.पी.आर. रोग भी आर्थिक नुकसान का एक बड़ा कारण है।
डॉ. तंवर बुधवार को वेटरनरी विश्वविद्यालय के प्रसार शिक्षा निदेशालय द्वारा आयोजित राज्यस्तरीय ई-पशुपालक चौपाल में आंमत्रित विशेषज्ञ के रूप में पशुपालको से संवाद कर रहे थे। उन्होंने कहा कि पी.पी.आर. रोग भेड़ एवं बकरियों में फैलने वाला विषाणु जनित संक्रामक रोग है।
यह एक पशु से दूसरे पशु के सीधे संपर्क में आने या उसके स्त्राव के संपर्क आने से फैलता है। उन्होंने बताया कि भेड़ों की तुलना में बकरियों में इस रोग की तीव्रता अधिक मिलती है। प्रायः गर्मी के महिने में इस रोग का प्रकोप अधिक रहता है।
डॉ. तंवर ने कहा कि इस रोग से बचाव हेतु पशुपालकों को ग्रसित पशुओं को स्वस्थ पशुओं से अलग रखना चाहिए।
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सतीश के. गर्ग ने कहा कि विश्वविद्यालय का हमेशा से ही प्रयास रहा है कि विश्वविद्यालय के शोध कार्यों एवं वैज्ञानिक तकनीकों का पशुपालकों को सीधा-सीधा लाभ मिल सके।
आयोजन सचिव एवं निदेशक प्रसार शिक्षा प्रो. राजेश कुमार धूड़िया ने बताया कि पी.पी.आर. रोग को भेड़ एवं बकरी प्लेग भी कहते है। इस रोग से ग्रसित पशुओं में मृत्युदर 50 से 80 प्रतिशत रहती है।
PPR in sheep and goats disease is a major cause of economic loss
Bikaner, (Samachar Seva). Former Director Clinics of Veterinary University Bikaner Prof. RK Tanwar said that PPR in sheep and goats. Disease is also a major cause of economic loss.
Dr. Tanwar was interacting with animal husbandry as an invited expert in the state level e-Pashupalak Choupal organized by the Directorate of Extension Education of Veterinary University on Wednesday.
He said that P.P.R. The disease is a viral infectious disease spread in sheep and goats. It spreads through direct contact from one animal to another or through contact with its secretions. He told that the intensity of this disease is more in goats than in sheep.
Usually, the outbreak of this disease is more during the summer months. Dr. Tanwar said that to prevent this disease, animal owners should keep the affected animals separate from healthy animals.
University Vice Chancellor Prof. Satish K. Garg said that it has always been the endeavor of the university that the animal owners can get direct benefit of the research work and scientific techniques of the university.
Organizing Secretary and Director Extension Education Prof. Rajesh Kumar Dhudia told that P.P.R. The disease is also called sheep and goat plague. The mortality rate in animals affected by this disease is 50 to 80 percent.
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