×

प्रदेश में पाँच सरकारी बी.एड. कॉलेज की मान्यता हुई प्रत्याहारित

There are five government B.Ed. Recognition of college withdrawn

बीकानेर, (समाचारसेवा)। प्रदेश में पाँच सरकारी बी.एड. कॉलेज की मान्यता हुई प्रत्याहारित, प्रदेश में जहां एक ओर हर तहसील मुख्यालय पर राजकीय डिग्री कॉलेज खोलने के प्रति सरकार गम्भीर है वहीं शिक्षक शिक्षा से जुड़े राजकीय बी.एड. कॉलेज के प्रति सरकार उदासीन नजऱ आ रही है।

यही कारण है कि राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद् नई दिल्ली द्वारा पाँच बी.एड. कॉलेज की मान्यता प्रत्याहारित किये जाने के कारण आयुक्तालय कॉलेज शिक्षा जयपुर ने कॉलेज को अन्नापत्ति प्रमाण पत्र नहीं दिया हैं तथा सम्बन्धित विश्वविद्यालय ने सम्बद्धता पत्र जारी नहीं किया है।

इससे नवीन सत्र 2021-22 में इन महाविद्यालयों को विद्यार्थी नहीं मिल पायेंगे। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद ने पिछले साल जिन पाँच सरकारी बी.एड. कॉलेज की मान्यता प्रत्याहारित की है उनमें नसीराबाद (अजमेर), शाहपुरा (जयपुर), चौमु (जयपुर), भोपालगढ़ (जोधपुर), खैरवाड़ा (उदयपुर) जिले से जुड़े बी.एड. कॉलेज शामिल है।

राज्य सरकार ने वर्ष 2015 में अद्र्धसरकारी अनुदानित बी.एड. कॉलेज के स्टाफ को स्थायी करने के दौरान पाँच नये सरकारी बी.एड. कॉलेज खोलकर 65 व्याख्याताओं को लगाया था इस दौरान एक-एक करके व्याख्याता सेवानिवृत होते गये एवं कॉलेज में पद रिक्त होते गए।

वर्तमान में केवल 18 व्याख्याता ही उपलब्ध होने के कारण राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद को इन कॉलेजों की मान्यता प्रत्याहारित करनी पड़ी।

कॉलेजों की मान्यता प्रत्याहारित होने के कारण

आजादी के 75 साल बाद भी शिक्षक शिक्षा के सेवा नियम नहीं बनना।

विद्यालय व्याख्याता (शिक्षा विषय) के पद सृजित न होना।

महाविद्यालय व्याख्याता (शिक्षा विषय) के पद सृजित न होना।

प्रदेश में शिक्षा विश्वविद्यालय का स्थापित न होना।

सेवानिवृति के पश्चात शिक्षक शिक्षा में भर्ती का प्रावधान न होना।

यह है समाधान

शिक्षक शिक्षा के सेवा नियम बनाये जाये।

विद्यालय एवं महाविद्यालय स्तर पर व्याख्याता शिक्षा के पद सृजित किया जाये।

प्रदेश में शिक्षा विश्वविद्यालय स्थापित किया जाये।

शिक्षक शिक्षा महाविद्यालय (सी.टी.ई.) से जुड़े शिक्षकों को समायोजित किया जाए।

डाईट में एन.सी.टी.ई. मापदण्ड अनुसार स्टाफ नियुक्त किया जाये।

आई.ए.एस.ई. बीकानेर एवं अजमेर को उच्च शिक्षा में शामिल किया जाये।

इनका कहना है

प्रदेश में 1400 से अधिक निजी शिक्षक शिक्षा महाविद्यालय स्थापित हैं जबकि राजकीय शिक्षक शिक्षा महाविद्यालय केवल दो ही है। वे भी विद्यालय शिक्षा से जुड़े हुए है।

अत: सरकार को चाहिए कि शीघ्रातिशीघ्र सेवा नियम बनाकर राजस्थान लोक सेवा आयोग के माध्यम से व्याख्याता शिक्षा के पद सृजित किए जाये एवं हर जिले में राजकीय शिक्षक शिक्षा महाविद्यालय स्थापित किए जाए।

राजकीय डिग्री कॉलेज में शिक्षक शिक्षा का एकीकृत पाठ्यक्रम प्रारम्भ किया जाये।

डॉ. राजेन्द्र श्रीमाली

शिक्षक शिक्षा से जुड़े शिक्षाविद

Share this content:

You May Have Missed

error: Content is protected by SITInovations!!