इतिहास जानने प्रामाणिक माध्यम हैं राजस्थानी ख्यातें : प्रो. कल्याण सिंह शेखावत
NEERAJ JOSHI बीकानेर, (समाचार सेवा)। जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर के पूर्व डीन व राजस्थानी विभागाध्यक्ष प्रो. कल्याण सिंह शेखावत ने कहा कि राजस्थानी ख्यातें इतिहास जानने की सबसे प्रामाणिक माध्यम हैं।
प्रो. शेखावत बुधवार को महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय (एमजीएसयू) बीकानेर के सेंटर फॉर म्यूज़ीयम एन्ड डॉक्युमेंटेशन द्वारा राजस्थानी ख्यातें : इतिहास जानने के एक महत्वपूर्ण स्रोत के रूप में विषयक एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला के प्रथम सत्र को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कार्यशाला में मौजूद विद्यार्थियों को बताया कि ख्यातें विश्व की सबसे प्रामाणिक स्रोत हैं जिसपर अपेक्षित कार्य नहीं हुआ है।
ख्यातों ने सदा की सत्य की रक्षा
प्रो. शेखावत ने कहा कि ख्यातों ने सदा सत्य की रक्षा की है और इन्हीं ने प्रताप को महान बताया। उन्होंने कहा कि वीर रचनाकार युद्ध भी लड़ते थे और कलम भी चलाते थे। कार्यशाला के द्वितीय तकनीकी सत्र में मुख्य वक्ता अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के इतिहास विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. भंवर भादाणी ने कहा कि पीढ़ीयावलियां वंशावलियां ख्यातों का एक बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। पांडुलिपियाँ पढ़ने से मौलिक शोध की ओर विद्यार्थी अग्रसर हो सकते हैं।
भारतीय परंपरा ही शोध परंपरा
समारोह की अध्यक्षता करते हुये एमजीएसयू के कुलपति प्रो. मनोज दीक्षित ने कहा कि अब तक लिखा गया इतिहास विजेताओं द्वारा लिखा गया इसीलिये राजस्थानी ख्यातों के आलोक में इतिहास का पुनर्लेखन आवश्यक है। उन्होंने कहा कि मूलतः भारतीय परंपरा ही शोध परंपरा है। आयोजन सचिव तथा सेंटर फॉर म्यूज़ीयम एन्ड डॉक्युमेंटेशन की डायरेक्टर डॉ. मेघना शर्मा ने कहा कि राजस्थान के इतिहास को यदि सूक्ष्मता से जानना है तो हम ख्यातों के महत्व को कमतर नहीं आंक सकते, ये इतिहास जानने की सर्वथा मौलिक स्रोत मानी जाती हैं।
खुली चर्चा में मिले सवालों के जवाब
आयोजन सचिव डॉ. मेघना शर्मा ने बताया कि कार्यशाला विद्यार्थियों ने दो तकनीकी सत्रों में राजस्थानी ख्यातों के ऐतिहासिक महत्व के बारे में विषय विशेषज्ञों से जानकारी प्राप्त की। डॉ. मेघना ने बताया कि तकनीकी सत्रों के बाद विषय पर एक खुली चर्चा भी रखी गई। इसमें विषय विशेषज्ञों ने विद्यार्थियों की जिज्ञासाओं पर जवाब दिये। कुलसचिव अरुण प्रकाश शर्मा ने आभार जताया।
माँ सरस्वती की पूजा से किया शुभारंभ
कार्यशाला का संचालन डॉ. मुकेश हर्ष ने किया आयोजन में अतिरिक्त कुलसचिव डॉ. बिट्ठल बिस्सा, डॉ. नमामीशंकर आचार्य, रामोवतार उपाध्याय, जसप्रीत सिंह, डॉ. रितेश व्यास, डॉ. पवन रांकावत, डॉ. गोपाल व्यास, रिंकू जोशी व तुल्छाराम का विशेष सहयोग रहा। इससे पूर्व सर्वप्रथम माँ सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन के साथ कार्यशाला का शुभारंभ किया गया।
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