गौशालाओं में लागू हो पचमेड़ा मॉडल : डॉ. कल्ला
बीकानेर, (समाचार सेवा)। ऊर्जा, जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी, कला एवं संस्कृति मंत्री डॉ. कल्ला ने कहा कि पचमेड़ा मॉडल को गौशालाओं में लागू किया जाना चाहिए।
यहां गौ मूत्र को चिकित्सा क्षेत्र में काम में लिया जा रहा है।
डॉ. कल्ला रविवार को जिला उद्योग संघ कार्यालय के सभागार में राजस्थान गौ सेवा परिषद की ओर से आयोजित प्रदेश स्तरीय समारोह में बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक तरीके से गौ मूत्र को चिकित्सा पद्धति में सम्मलित करके आय का जरिया बनाया गया है।
इस संबंध में स्वयं सेवी संस्थाएं आगे आकर हमारी गौशालाओं को पचमेड़ा की तरह चलाकर बहुत बड़ा काम कर सकती है।
डॉ. कल्ला ने कहा कि पशुपालक और गोपालक को आत्मनिर्भन बनाने के लिए सामूहिक प्रयास किये जाने की जरूरत है।
उन्होंने राजस्थान गौ सेवा परिषद को आश्वस्त किया कि उनकी ओर से दिए गए सुझावों को राज्य सरकार की नीति बनाने के लिए संबंधित मंत्रालय को लिखेंगे।
केन्द्रीय जल संसाधन राज्यमंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने कहा कि केन्द्र सरकार की ओर से स्टार्टअप एस्पो के माध्यम से गाय के उत्पादों (गौबर-गौमूत्र) से कई चीजे बनाने का काम बीकानेर में शुरू करवाने का प्रयास किया जायेगा।
संत रघुनाथ दास भारती ने कहा कि कृषि को गाय से अलग करके कृषि व गौपालन को कमजोर किया गया है।
राजस्थान गौ सेवा परिषद के अध्यक्ष हेम शर्मा ने कहा कि राज्य की अनुदानित गौशालाओं में राज्य सरकार जैविक खाद का उत्पादन अनिवार्य करवाना चाहिए।
समारोह में पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. ए.के. गहलोत, वेटरनरी विश्वविद्यालय के डीन त्रिभुवन सिंह, एडवोकेट अजय पुरोहित, मेघराज सेठिया व डीपी पचीसिया अतिथि के रूप में उपस्थित थे।
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