इतिहास की सीख को नजरअंदाज कर औरंगजेब, नेपोलियन व नीरो ने खोया शक्तिशाली साम्राज्य
डॉ. मेघना शर्मा ने इतिहास विषयक अंतर्राष्ट्रीय वेबीनार में की सहभागिता
बीकानेर, (समाचार सेवा)। इतिहास की सीख को नजरअंदाज कर औरंगजेब, नेपोलियन व नीरोने खोया शक्तिशाली साम्राज्य, इतिहासविद व महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय बीकानेर की सहायक आचार्य डॉ. मेघना शर्मा ने “इतिहास दर्शन व इतिहास लेखन के आयाम”, विषय पर हुई ऑनलाइन अंतर्राष्ट्रीय वेबीनार में सहभागिता की।
Dr. Meghna Sharma of Bikaner participated in the International Webinar on History.
इस अंतर्राष्ट्रीय वेबीनार शिवरती विद्यापीठ संस्थान एवम् तक्षशिला विद्यापीठ संस्थान उदयपुर के संयुक्त तत्वाधान में हुई इस वेबीनार में शामिल इतिहासविदों ने कहा कि इतिहास से सीख नहीं लेने की अपनी जिद के कारण ही भारत में मुगल बादशाह औरंगजेब, रोम के सम्राट नीरो तथा फ्रांस के नेपोलियन बोनापार्ट के अपने-अपने शक्तिशाली साम्राज्यों का पतन हुआ।
आज भी यदि मानव जाति ने विनाशकारी परमाणु युद्ध एवम् वर्तमान समय में कोरोना महामारी के समय इतिहास से प्रेरणा नहीं ली तो आइस्टीन की शब्दो में अगर भविष्य में तृतीय विश्व युद्ध होगा तो इस स्वर्गरूपी धरती को मिटा देगा। इसमें मानव यदि जीवित रहा तो पुनः नई सभ्यता विकसित होती है तो नव मानव को आगामी युद्ध पत्थरो व ढेलो से लड़ना होगा।
वेबीनार संयोजक डॉ. अजात शत्रु सिंह शिवरती ने बताया कि वेबीनार मे इतिहास लेखन की विधाओं पर चर्चा हुई। वेबीनार में नॉर्वे के इतिहासविद टोर गुलब्रांडसेंन, पाकिस्तान से तनवीर, अमरीका से मारिया स्वीडन से अंजना सिंह सहित इतिहासकार प्रो. के. एस. गुप्त, पुरातत्ववेता डॉ. ललित पांडे, डॉ. कन्हैयालाल नायक, संजय स्वर्णकार, डॉ. शारदा देवी डॉ. भानु कपिल, डॉ. जी. एल मेनारिया,
अरविंदर सिंह, डॉ. अल्पना दुभासे, डॉ रिंकू पुवाईया, डॉ. बी. पी. भटनागर, संजय स्वर्णकार, डॉ. गिरीश नाथ माथुर, डॉ सीमा यादव, डॉ. राजेंद्रनाथ पुरोहित, डॉ नाज़नीन, डॉ. अजय मोची, डॉ. खिमारम काक, डॉ अरविंदर जोशी, डॉ पूर्णिमा त्रिवेदी, डॉ. सूरजमल राव, डॉ विक्रमभाई, डॉ सुशीला शक्तावत, डॉ. अभी पराई, डॉ. एस. वी. सिंह, डॉ. नरेंद्र राठौड़, डॉ. पूर्णिमा त्रिवेदी आदि ने भाग लिया।
इतिहासविदों ने कहा कि अब जब सारे विश्व में प्रजातांत्रिक व लोकतांत्रिक व्यवस्था है, तो ऐतिहासिक तथ्यो को पारदर्शिता और विश्वसनीयता के साथ हमारे अतीत का इतिहास लिखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इतिहास निष्पक्षता से लिखा जाना चाहिए। सूचना-तकनीकी युग में इतिहास लेखन के आयाम बदलते जा रहे है।
सहभागियों ने कहा कि इक्कीसवीं सदी मे अब हमें पूरे विश्व को एक संयुक्त परिवार मानकर इतिहास लिखना होगा। वेबीनार के समापन पर सहभागियों का औपचारिक आभार डॉ. मेघना शर्मा ने जताया।
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