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झटपट होगी पुरुष नसबंदी, आधे घंटे में जा सकेंगे घर

nasbandi

बीकानेर, (समाचार सेवा)। अस्‍पतालों में अब झटपट होगी पुरुष नसबंदी, आधे घंटे में ही नसबंदी कराने वाला पुरुष अपने घर जा सकेगा और अपने काम पर भी जल्‍द लौट सकेगा। आमजन में पुरूष बंदीवार दिवस के प्रभावी प्रचार-प्रसार गतिविधियां भी आयोजित की जायेगी।

आईईसी समन्वयक मालकोश आचार्य ने बताया कि नयी पद्धति के चलते अब पुरुष झटपट नसबंदी कराके आधे घंटे में घर जा सकते है और जल्‍द काम पर लौट सकते हैं। एनएसवी को आम जुबान में नसबंदी की बिना चीरा, बिना टांका पद्धति कहा जाता है।

जानकारी के अनुसार राज्‍य सरकार ने परिवार नियोजन के स्थायी साधनों को अपनाने में पुरूषों की भागीदारी बढ़ाने के लिए प्रत्येक माह के तीसरे बुधवार को पुरूष नसबंदी दिवस आयोजित करने का निर्णय लिया है।

राज्‍य के स्वास्थ्य सचिव एवं मिशन निदेशक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन नवीन जैन ने सभी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों को नियत दिवस नसंबदी सेवा कार्ययोजना के तहत प्रत्येक माह के तीसरे बुधवार को पुरूष नसबंदीवार आयोजित करने को कहा है।

सभी उप मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों को जिले में उपलब्ध एनएसवी प्रशिक्षित सेवा प्रदाताओं की टीम की संख्या के अनुरूप कार्ययोजना बनाने को कहा गया है। जिन जिलों में एनएसवी प्रशिक्षितसेवा प्रदाताओंकी कमी है, उन्हें नामांकन भेजने को कहा गया है।

बीकानेर के डिप्टी सीएमएचओ डॉ. राधेश्याम वर्मा ने बताया कि इस कार्यक्रम के सफल क्रियान्वयन के लिए प्रत्येक ब्‍लॉक मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा तीसरे बुधवार से कम से कम 10 दिन पहले तैयारी बैठक आयोजित कर प्रभावी रणनीति बनायी जायेगी।

उन्होंने इस कार्यक्रम में जिला स्तर, ब्लाक स्तर, प्रत्येक चिकित्सा अधिकारी, एलएचवी, एएनएम ब्लाक ध्पीएचसी आशा सुपरवाईजर एवं आशा सहयोगिनियों द्वारा एक टीम के रूप में कार्य करने की आवश्यकता पर बल दिया।

मिशन निदेशक द्वारा कार्यक्रम की प्रभावी माॅनिटरिंग हेतु संभागवार राज्य स्तर की टीमें गठित कर दी गयी है। जिला एवं ब्लाॅक स्तर पर भी पुरूषबंदीवार दिवस की सघन मॉनिटरिंग सुनिश्चित करने को कहा गया है।

एनएसवी में है समझदारी

वर्तमान में पुरुष नसबंदी करवाने पर क्षतिपूर्ति राशि स्वरुप 2000 रूपए सरकार द्वारा दिए जाते हैं जबकि महिला नसबंदी पर 1400 रूपए। एनएसवी (नो स्कैल्पल वसेक्टमी) के रूप में नसबंदी की नयी पद्धति का प्रयोग शुरू होने के बाद परिवार कल्याण कार्यक्रम के परिदृश्य में बदलाव की जमीन तैयार होने लगी है।

 

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