मेरा दिल ये पुकारे आजा.., शहर के पश्चिमी इलाके के एक नेताजी ने तो एक प्रमुख राजनैतिक पार्टी जिसके सत्ता में आने का चांस अधिक दिखाई दे रहा है उस पार्टी का टिकट ही अपने घर में रखा होने की घोषणा करके कईयों को होश उड़ा दिये हैं।
जबकि राष्ट्रीय पार्टियों के टिकट पर चुनाव लड़ने की इच्छा रखने वाले खादीधारियों को टिकट के इंतजार का एक-एक सैकंड बिताना मुश्किल हो रहा है।
जब से राष्ट्रीय पार्टियों के टिकट बांटने वाले नेताओं में अपने अपने पैनल के तीन-तीन नामों से एक-एक नाम ही आलाकमान को भेजने का फैसला लिया है, कईयों की नींद उड़ चुकी है।
जांगळ प्रदेश की सात सीटों पर चुनाव लड़ने वाले सैकड़ों उम्मीदवारों की उम्मीदों पर पानी फिर गया है।
जब तक सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा नहीं हो जाती, सभी को अपने-अपने टिकट का बेसब्री से इंतजार है।
चुनावी बुखार के मारे ऐसे उम्मीदवारों का पहला बुखार टिकटों के वितरण के बाद तथा अंतिम बुखार चुनाव परिणाम आने के बाद ही उतरने की संभावना जताई जा रही है।
कोई जब तुम्हारा हृदय तोड़ दे…
विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीयपार्टियों के टिकट पाने से वंचित रहने वाले खादीधारियों के टूटे हृदय तथा अपनो द्वारा दिये गए घाव पर मल्हम लगाने के लिये इन दिनों कई लोग बोतल व बासुंरी लिये घूमते दिख रहे हैं।
क्षेत्रीय पार्टियों ने ऐसे खादीधारियों चुनाव लड़ने की खुजली को तुरंत मिटाने के लिये वर्तमान में राष्ट्रीय पार्टियों के गुलाबीनगर सहित राजधानी स्थित मुख्यालयों के सामने अपने अपने काउंटर लगा लिये हैं।
राष्ट्रीय राजधानी में सत्ताधारी एक पार्टी ने दूसरी पार्टियों के सफाये के लिये टूटे दिल वालों को झाड़ू थमाने का भी प्रयास शुरू कर दिया है।
कुछ लोगों ने टार्च लेकर ऐसे प्रत्याशियों को भी ढूंढने का प्रयास किया है जिनका इलाज देर सबेर करते हुए उन्हें अपने दल से उम्मीदवार बना सकें।
मिले ना फूल तो कांटो से दोस्ती कर ली
सुना है, जांगळ देश के अनोखे इलाके के एक प्रमुख खादीधारीजी ने अपना चुनाव क्षेत्र बदलने की बड़ी कोशिश के कामयाब नहीं होने के बाद अपने पुराने क्षेत्र से ही वोटों की जंग में उतरने का फैसला कर लिया है।
अपने क्षेत्र में ऐसे चुनाव में पहली बार मात खाने के बाद दूसरी बार बाजी मारने वाले ये नेताजी तीसरी बार जीतने को लेकर बहुत आशंकित है। इसका कारण भी है
भाई को उसके अपने ही बंदों ने चारों और से घेर लिया है। जबकि नेताजी को तो चुनाव जीतने के बाद नंबर एक की दौड़ में शामिल होना है मगर यदि चुनाव ही नहीं जितेंगे तो नंबर गेम में कैसे शामिल होंगे,
यही तो चिंता है। वैसे नेताजी ने अब, ऐ मेरे दिल कहीं और चल..का राग गाना बंद कर दिया है। पार्टी के निर्णय का इंतजार है।
मैं नहीं हूं सीएम की दौड़ में
जांगळ देश के एक नेताजी जहां चुनाव जीतने के बाद नंबर एक की दौड़ में शामिल होने को बेकरार हैं वहीं इसी पार्टी के एक नेताजी नींद में भी सीएम बनने का सपना देखना नहीं चाहते हैं।
एक खबरनवीश ने जब नेताजी को उनकी पार्टी में आगामी सीएम के चेहरे के रूप में नाम गिनाने शुरू किए और उनका भी नाम उस सूची में डाल दिया तो
नेताजी ने तुरंत ही खबरनवीश को टोका और साफ कहा कि में सीएम की रेस में नहीं हूं।