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Neeraj Joshi
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आधी रात को भी आ रहे कॉल, मिल रही तुरंत सहायता
बीकानेर, (samacharseva.in)। आधी रात के 2 बजे कॉल आता है कि ‘‘हमारी गर्भवती बहू को लेबर पेन हो रहा है और एम्बुलेंस सेवा के लिए कॉल नहीं लग रहा, लॉकडाउन में कोई प्राइवेट गाड़ी वाला भी नहीं है, हम क्या करें ?’’ जवाब मिलता है कि ‘‘अतिशीघ्र एम्बुलेंस आपके घर पहुँचा दी जाएगी, संपर्क न हो पाया तो हम अपनी गाड़ी से गर्भवती को अस्पताल पहुंचाएंगे।’’ 2 बजकर 20 मिनट पर 108 एम्बुलेंस गर्भवती के घर पहुँच चुकी थी। रामपुरा की गली न. 5 की गीता और घर का नया मेहमान, दोनों स्वस्थ हैं और परिवार में बधाईयों का सिलसिला जारी है।
गीता की कहानी जैसी कई कहानियाँ कोरोना संक्रमण काल में बीकानेर में दर्ज हो रही हैं, 1-2 नहीं बीसियों। बता दें, कि स्वास्थ्य विभाग बीकानेर ने गर्भवतियों-प्रसूताओं को किसी प्रकार की परेशानी ना हो, इसे ध्यान में रखते हुए टोल फ्री न. 104 व 108 के बावजूद 4 अधिकारीयों के विशेषज्ञ पैनल की हेल्पलाइन स्थानीय स्तर पर शुरू की है और प्रतिदिन 50 से ज्यादा लोग इससे लाभान्वित हो रहे हैं। प्रतिदिन कई जच्चा-बच्चा को जोखिम से निकाला जा रहा है। बीकानेर के नवाचार से प्रेरित होकर जोधपुर, बाड़मेर, सिरोही और अलवर में भी उक्त व्यवस्था को अपनाया जा चुका है।
सीएमएचओ डॉ बी.एल. मीणा ने आरसीएचओ डॉ रमेश गुप्ता को इस बाबत कार्य सौंपा तो उन्होंने स्वयं सहित 4 अधिकारीयों के आदेश कर दिए। तब किसी ने नहीं सोचा कि ये हेल्पलाइन इतनी काम आएगी। डॉ मीणा ने बताया कि टोल फ्री 104 व 108 पर कोरोना संक्रमण काल में सलाह, सहायता व जानकारी के लिए अत्यधिक कार्यभार है। ऐसे में स्थानीय स्तर पर हेल्पलाइन की जरूरत महसूस हुई तो कण्ट्रोल रूम न. 0151-2204989 जारी किए गए।
फिर डॉ रमेश गुप्ता (मो. 9828317894), जपाईगो के कार्यक्रम अधिकारी डॉ महेंद्र कोल्हे (मो. 9886271103), दक्षता मेंटर डॉ आशुतोष उपाध्याय (मो. 9169089515) व यूएनडीपी के संभागीय अधिकारी योगेश शर्मा (मो. 9897129767) को जोड़कर व्यवस्था को और पुख्ता किया गया है। प्रसव संबंधी किसी भी सहायता के लिए इन अधिकारियों से सीधा संपर्क किया जा सकता है। साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में नजदीकी सरकारी अस्पताल से भी सहायता प्राप्त की जा सकती है। बतौर डॉ आशुतोष उपाध्याय अधिकाँश कॉल प्रसव सम्बन्धी सहायता के लिए आते हैं कि कहाँ दिखाएं ? किसे दिखाएं ? अस्पताल कैसे पहुंचें ?
साथ ही गर्भावस्था में होने वाली सामान्य तकलीफों के सम्बन्ध में सलाह व ममता कार्ड बनवाने के लिए भी सहायता दी जा रही है। अधिकाँश कॉल कर्फ्यूग्रस्त व बीकानेर शहरी क्षेत्र से आ रहे हैं। डॉ कोल्हे बताते हैं कि सुरक्षित प्रसव हो जाने के बाद कई लाभार्थी पुनः कॉल कर जब धन्यवाद देते हैं तो सच में कोरोना वारियर वाली संतुष्टि मिलती है।
केस 2
लूणकरणसर निवासी गर्भवती ममता देवी (25) को पेट में दर्द व दस्त की शिकायत थी। हेल्पलाइन पर कॉल आने पर तुरंत सीएचसी स्टाफ से समन्वय स्थापित किया गया और घर पर दवाई सहित भिजवाया गया।
केस 3
भीनासर की सोनू भाटी को 8 माह की गर्भवस्था के दौरान पैर दर्द की समस्या थी। साथ ही नियमित ली जाने वाली आयरन-फोलिक एसिड व कैल्सियम की गोलियां भी समाप्त हो गई थी। हेल्पलाइन पर कॉल आने पर नजदीकी अस्पताल से दवाई सहित स्टाफ को भेजा गया।
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