राजस्थानी भाषा को जीवन का अंग बनाने जरूरत – डॉ. दिव्या चौधरी
बीकानेर, (समाचार सेवा)। राजस्थानी भाषा को जीवन का अंग बनाने जरूरत – डॉ. दिव्या चौधरी, श्रीडूंगरगढ की उपखण्ड अधिकारी डॉ. दिव्या चौधरी ने कहा कि आज राजस्थानी भाषा को जीवन का अंग बनाने की जरूरत है।
डॉ. दिव्या रविवार को श्रीडूंगरगढ़ के रविवार को आड़सर बास स्थित माहेश्वरी सेवा सदन में राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति द्वारा प्रकाशित राजस्थानी पत्रिका “राजस्थली” के प्रकाशन के 45वां वर्ष पूर्ण होने पर आयोजित राजस्थानी भाषा लेखिकाओं के राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित कर रही थीं।
उन्होने कहा कि भाषा हमारी पहचान है। हमारी बोलचाल में मातृ भाषा का होना जरूरी है। राजस्थानी भाषा को महत्व देने के लिए बोलना व लिखना सभी की जिम्मेदारी है। समारोह की अध्यक्षता करते हुए डॉ. शारदा कृष्ण ने कहा कि राजस्थानी महिला लेखन ने समय के साथ अपना शिल्प, शोन्दर्य और विषय बदला है।
मुख्य अतिथि भारत स्काउट गाइड नई दिल्ली की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रो. विमला डूकवाल ने कहा कि मातृ भाषा को बचाने के लिए सबल पैरोकार महिला ही हो सकती है। बीज भाषण करते हुए जोधपुर निवासी डॉ. प्रकाश अमरावत ने कहा कि आधी दुनियां द्वारा सृजित साहित्य समूचे लोक की यात्रा करवाता है।
समारोह में देशभर की लेखिकाएं शामिल हुई। इस अवसर पर पुस्तक के महिला लेखन विशेषांक का लोकार्पण भी किया गया। समारोह में पंचायत समिति श्रीडूंगरगढ की प्रधान सावित्री देवी गोदारा, किरण राजपुरोहित नीतिला, उदयपुर की विजयलक्ष्मी देथा, बीकानेर की मोनिका गौड़, श्याम महर्षि, रवि पुरोहित, सत्यदीप,
मधु झाबक, बसन्ती पंवार, प्रगति महर्षि, सरस्वती देवी राठी, कांता शर्मा, अलका शर्मा, मुकांक्षी, मधु माली, विजलक्ष्मी आदि उपस्थित रहे। मंच संचालन बीकानेर निवासी मनीषा आर्य सोनी ने किया।
कविता पाठ में महिलाओं की गूंज
समारोह के दौरान हुए कवि सम्मेलन की अध्यक्षता डॉ. धनंजया अमरावत ने की। मुख्य अतिथि संकुतला शर्मा, विशिष्ट अतिथि डॉ. जेबा रशीद, चांदकौर जोशी, डॉ. रानी तंवर, विमला महरिया, हरप्यारी देवी बिहानी थी।
कार्यक्रम में कवयित्री अर्चना राठौड़, आशारानी जैन, इंद्रासिंह, डॉ. कृष्णा आचार्य, जयश्री कंवर, तारा प्रजापत, दीपा परिहार, नगेन्द्रबाला बारेठ, नलिनी पुरोहित, प्रितमा पुलक, मधु वैष्णव, मान कंवर, मंजू शर्मा जांगिड़, मंजू सारस्वत, सुनीता बिश्नोलिया, संजू श्रीमाली, डॉ. सन्तोष बिश्नोई, ज्योत्सना राजपुरोहित, सुधा सारस्वत आदि ने कविता पाठ किया।
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