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रम्मत महोत्सव का दिया निमंत्रण, एमजीएसयू में रम्मत महोत्सव 12 से

 बीकानेर, (समाचार सेवा)। महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय के तत्वावधान में 12 से 14 मार्च तक होने वाले रम्मत महोत्सव को लेकर  सोमवार को विश्वविद्यालय की ओर से रम्मतों के मुख्य उस्तादों को महोत्सव का निमंत्रण पत्र दिया गया। विश्वविद्यालय के उप कुलपति बिट्ठल बिस्सा व रम्मत महोत्सव प्रबंधक गोपाल बिस्सा के सान्निध्य में रम्मतों का मंचन करने वाली संस्थाओं को विधिवत रूप से निमंत्रण पत्र दिया गया। साथ ही उन्हें महोत्सव में भागीदारी निभाने के लिए आग्रह किया गया। इनको दिए निमंत्रण पत्रविश्वविद्यालय की ओर से जुगलकिशोर ओझा(पुजारी बाबा), मदन व्यास(मदन मास्टरजी), दीनदयाल आचार्य, कृष्ण कुमार बिस्सा, भैरुंरतन पुरोहित, अजय देरासरी, एडवोकेट मदन गोपाल व्यास, बंशीधर ओझा, भंवरलाल जोशी, उमेश सैन, मम्मू महाराज व्यास, केशरी सोनी सहित रम्मत की संस्थानों  जुड़े पदाधिकारियों और  सदस्यों को निमंत्रण दिया गया है। 

गागर में सागर…गंगासिंह विश्वविद्यालय लोक नाट्य विधा रम्मतों को जीवित रखने और उनके संरक्षण के लिए एक सकारात्मक पहल करने जा रही है। विश्वविद्यालय के रम्मत पार्क में इस बार 12 से 14 मार्च तक रम्मत महोत्सव के माध्यम से गागर में सागर भरने का प्रयास किया जा रहा है। एक ही छत के नीचे रोजना चार रम्मतों का मंचन होगा। इसमें निर्धारित समय में रम्मत का प्रदर्शन किया जाएगा। 
आयोजित होने वाले महोत्सव में फक्कड़दाता,भक्त पूरनमल,वीर अमरसिंह राठौड़,नौटंकी शहजादी हडाऊ मेहरी, स्वांग मेहरी रम्मतों का मंचन होगा।  
शहर में यहां से आगाज… होलाष्टक के साथ ही शहर में सबसे पहले नत्थूसर गेट के अंदर ख्याल-चोमासा गीतों पर आधारित फक्कड़दाता की रम्मत का मंचन होता है। इसी दिन से शहर में रम्मतों का आगाज होता है। यह रम्मतें होली के दिन तक चलती है। इसके अलावा दर्जियों और सुनारों की गुवाड़ में होली के बाद शीतला अष्टमी के दिन भी रम्मतों का मंचन किया जाता है। दर्जियों की गुवाड़ में जहां वीर रस अधारित अमरसिंह राठौड़ रम्मत का मंचन किया जाता है, वहीं सुनारों की गुवाड़ में शृंगार रस आधारित रम्मत स्वांग मेहरी का मंचन होता है।  होली के मौके पर यंू तो अलग-अलग चौक में अलग-अलग रम्मतें होती है। लेकिन कुछ रम्मत ऐसी है जो एक से दूसरे चौक में भी मंचित होती है। इसमें मुख्य रूप से हडाऊ मेहरी, स्वांग मेहरी रम्मतें ऐसी है, जो अलग-अलग दिन अलग-अलग चौकों में आयोजित होती है,  इनके कलाकारों की गायन शैली भिन्न-भिन्न होती है। इसी तरह बिस्सा चौक में एक साल भक्त पूरनमल रम्मत, तो एक साल नौटंकी शहजादी रम्मत का मंचन होता है।  बारहगुवाड़ में नौटंकी शहजादी रम्मत का मंचन होली के मौके पर होता है। इसी तरह आचार्यों के चौक में वीर रस की अमरसिंह राठौड़ का मंचन अर्से होता आ रहा है, लेकिन शीतला अष्टमी को इस रम्मत का मंचन दर्जियों की गुवाड़ में भी होता है। रम्मतों का मंचन करने के लिए कई संस्थाएं है, जो वसंत पंचमी से ही अपने अभ्यास में जुट जाती है।
यह संस्थाएं सक्रिय…
रम्मतों के संरक्षण के लिए आज भी कई संस्थाएं सक्रियता से जुटी है। इसमें आशापुरा कला नाट्य संस्थान, मरुनायक कल केन्द्र, जबरेश्वर कला केन्द्र, कोडाणा नाट्य कला संस्थान सहित कई संस्थाएं है, जिनके तत्वावधान में लोक नाट्य विधा पर आधारित इन रम्मतों का मंचन होगा।

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