बीकानेर संभाग में बैंकों की कार्यप्रणाली से बेरोजगार परेशान
बीकानेर, (samacharseva.in)। बीकानेर संभाग में बैंकों की कार्यप्रणाली से बेरोजगार परेशान, प्रधानमंत्री एम्प्लॉयमेंट जेनरेशन प्रोग्राम (पीएमईजीपी) की मदद से अपने उधोग धंधे स्थापित करने वाले बीकानेर संभाग के युवा बेरोजगार संभागभर की बैंकों की रिण आवेदन अस्वीकत करने की कार्यप्रणली से परेशान है।
हकीकत यह है कि खादी एन्ड विलेज इंडस्ट्री बोर्ड राजस्थान एवम खादी एन्ड विलेज इंडस्ट्री कमीशन भारत सरकार द्वारा प्रधानमंत्री एम्प्लॉयमेंट जेनरेशन प्रोग्राम (पीएमईजीपी) के तहत संभाग के 4 जिलों से कुल 590.26 लाख रुपये के 192 आवेदन पत्र स्वीकृत कर विभिन्न बैंकों को भेजे।विभिन्न बैंकों ने इनमें से 97.37 लाख के सिर्फ 34 आवेदन ही स्वीकृत किये और 259.27 लाख के 102 आवेदन पत्र अस्वीकृत कर दिए जबकि 237.74 लाख के 61 आवेदन अभी भी बकाया पड़े हैं। भारतीय स्टेट बैंक को संभाग में कुल 58 आवेदन भेजे गए जिनमें से 37 आवेदनों को बैंकों ने अस्वीकृत कर दिया।
अस्वीकार करने के कारण भी स्पष्ट खुलासा अंकित नहीं किये गए। इनमें से बीकानेर जिले में एसबीआई को 18 आवेदन भेजे गए जिनमें से 11 अस्वीकृत किये गए। संभाग में पीएनबी को 28 आवेदन भेजे गए जिनमें से 15 आवेदन अस्वीकृत कर दिए गए, इनमें बीकानेर पीएनबी को 10 आवेदन भेजे जिनमें से 4 अस्वीकार कर दिए गए।इसी प्रकार बीआरजीबी ने 26 में से 13 आवेदन अस्वीकृत किये, आरमजीबी ने 12 में से 8 आवेदन अस्वीकार किये। इसी प्रकार लगभग सभी बैंकों ने बड़ी संख्या में आवेदन अस्वीकार कर देश में आत्मनिर्भरता की और बढ़ते कदमों को रोकने में अपनी भूमिका तय कर दी है।
पीएमईजीपी योजना के लिए तीन कार्यकारी एजेंसियां कार्य करती है
पीएमईजीपी योजना के लिए तीन कार्यकारी एजेंसियां कार्य करती है जिनमें खादी ग्रामोद्योग आयोग,खादी ग्रामोद्योग बोर्ड एवम जिला उद्योग केंद्र शामिल है।ये तीनों एजेंसियां योग्य आवेदकों से ऑनलाइन आवेदन प्राप्त कर विभिन्न बैंकों को ऋण स्वीकृति के लिए प्रेषित करती है और अनुदान राशि बैंकों को उपलब्ध करवाती है। हालांकि सरकार तथा बैंकों के मध्य समन्वय बनाये रखने के लिए प्रत्येक बैंक में नोडल बैंक बनाये हुए हैं वहीं जिला स्तर पर कलेक्टर की अध्यक्षता में भी जिला स्तरीय कोर्डिनेशन कमेटी बनी हुई है जो नियमित समीक्षा करती है इसके बावजूद बैंक अपने एकाधिकार से बाज नहीं आते।
बैंकों के चक्कर निकालने वाले युवा बेरोजगारों का कहना है कि कहने को जिला स्तर पर अग्रणी बैंक अधिकारी ये समन्वय करते हैं लेकिब वास्तव में यह कोर्डिनेशन कहीं दिखाई नहीं देता। राष्ट्रीयकृत बैंकों में सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक के अधिकारियों की बेरुखी के कारण यह महत्वाकांक्षी कार्यक्रम खराब हो रहा है और बेरोजगारी में राहत नहीं मिल पा रही है।
ऐसे कैसे होंगे युवा आत्म निर्भर
आत्मनिर्भर भारत की दिशा में स्थानीय उद्योग एवम संयंत्र स्थापित करने के देश के प्रधानमंत्री के प्रयासों को बैंक किस कदर अनदेखा कर रहे हैं। इसकी बानगी बीकानेर संभाग के परिदृश्य से मिलती है। बैंकों द्वारा इन महत्वकांक्षी परियोजनाओं के आवेदनों को अस्वीकृत करने के आंकड़े न केवल चौंकाने वाले हैं बल्कि यह साबित करते हैं कि सरकारी अनुदान वाले आवेदनों को बैंक रिजेक्ट करने में रुचि रखते हैं
इनका कहना है
निर्माण क्षेत्र में योग्य आवेदकों को 25 लाख तथा सेवा क्षेत्र में 10 लाख रुपये की ऋण स्वीकृति अनुदान के साथ की जाती है तथा संबंधित बैंकों को आवेदन स्वीकृत कर ऑनलाइन भेज दिए जाते हैं। आगे बैंकों पर निर्भर करता है किसका लोन स्वीकत करे।
शिशुपाल सिंह
संभाग खादी अधिकारी, बीकानेर
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