रेमडेसिविर इंजेक्शन घोटाले में कई सफेदपोशों के चेहरे से हटेगा नकाब
एक महीने में किया 510 रेमडेसिविर इंजेक्शन का घोटाला
बीकानेर, (समाचार सेवा)। रेमडेसिविर इंजेक्शन घोटाले में कई सफेदपोशों के चेहरे से हटेगा नकाब, रेमडेसिविर इंजेक्शन घोटाला प्रकरण में अब तक डॉ. अजय गुप्ता, डॉ. विजय शांति बांठिया, मित्तल फार्मा के संचालक विनय मित्तल, मित्तल ड्रग सेंटर के अनुज अग्रवाल, प्रदीप, जिंदल मेडिकोज के आनंद जिंदल, वरदान हॉस्पीटल, एमएन अस्पताल, जीवन रक्षा अस्पताल, मारवाड़ अस्पताल, श्रीराम अस्पताल, पीटी कृष्णा अस्पताल, तंवर मेडिकोज, मित्तल ड्रग एजेन्सी आदि से जुड़े लोगों के नाम सार्वजनिक हुए हैं।
दर्जनभर से अधिक मुख्य नाम अभी और सामने आने बाकी हैं। रेमेडसिविर इंजेक्शन घोटालाबाजों की पोलपट्टी इसलिये खुली कि दवा सप्लाई करने वाले स्टॉकिस्ट, औषधि नियंत्रण अधिकारी का रिकार्ड तथा निजी अस्पताल के रिकार्ड में काफी अन्तर मिला है। राज्य के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप एसओजी ने मामले की जांच के तहत सोमवार को अजमेर में तथा मंगलवार को बीकानेर में घोटाले से जुड़े लोगों से पूछताछ की है।
मोटी कमाई के लिये सरकारी नियमों व नैतिकता को ताक पर रखकर काम करने वाले निजी अस्पताल, निजी चिकित्सक, ड्रग स्टॉकिस्ट व सरकारी एजेन्सियां जांच के घेरे में हैं। पता चला है कि लगभग दो दर्जन चिकित्सकों को नियम विरुद्ध इंजेक्शन दे दिये गए। दर्जन भर से अधिक ऐसे अस्पतालों व मेडिकल स्टोर को भी इंजेक्शन सप्लाई किए गए जो कोविड-19 के लिये अधिकृत ही नहीं है।
इन अस्पतालों ने मरीजों के नाम पर इंजेक्शन लेने और उन्हे लगाने में घपला किया है। प्रकरण की जांच के तहत मंगलवार को एसओजी की छह सदस्यों की टीम एएसपी दिव्या मित्तल के नेतृत्व में बीकानेर में दवा स्टॉकिस्ट व अन्य से लगभग 9 घंटे पूछताछ की। जांच में रेमडेसिविर इंजेक्शन के लिये मांग पत्र, दवा का रिकार्ड मिलान नहीं हुआ। इससे पहले सोमवार को जिंदल मेडिकोज बीकानेर के आनंद जिंदल को अजमेर बुलाकर पूछताछ की।
पता चला कि बीकानेर के स्टॉकिस्टों ने अनाधिकृत रूप से निजी अस्पतालों व चिकित्सकों तथा दूसरे जिले व कोलकाता व हरियाणा के भिवानी इलाके तक में रेमडेसिविर इंजेक्शन सप्लाई कर दिये। एसओजी इस मामले में दो स्टॉकिस्टों के अलावा पांच निजी अस्पतालों वरदान हॉस्पीटल, एमएन अस्पताल, जीवन रक्षा अस्पताल, मारवाड़ अस्पताल, श्रीराम अस्पताल, पीटी कृष्णा अस्पताल, तंवर मेडिकोज, मित्तल ड्रग एजेन्सी व 12 चिकित्सकों को पूछताद के दायरे में लिया हुआ है।
जानकारी में रहे कि बीकानेर पुलिस ने गत दिनों रविन्द्र रंगमंच के पास रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करते चार लोगों को पकड़ा था। उसके बाद 11 मई से इस मामले की जांच एसओजी कर रही है। एसओजी की ओर से सहायक औषधि नियंत्रक से किये गए स्टॉक में 890 रेमडेसिविर इंजेक्शन बेचना पाया गया जबकि 1400 इंजेक्शन बेच दिये गए। 510 इंजेक्शनों की गड़बड़ी सामने आई।
ये इंजेक्शन भारी दाम लेकर बेचे गए। आशंका है कि स्टॉकिस्ट, निजी अस्पताल व कुछ चिकित्सकों ने मिलीभगत कर 510 इंजेक्शनों का घोटाला किया है। दाम से कई गुना अधिक राशि में ये इंजेक्शन बेचे गए। एसओजी ने सभी छह स्टॉकिस्टों को पूछताछ के के दायरे में लिया हुआ है। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि निमोनिया वाले उन मरीजों को भी रेमडेसिविर इंजेक्शन लगा दिये गए जिनको इसकी आवश्यकता नहीं थी। जबकि रेमडेसिविर इंजेक्शन कोविड मरीजों के लिये जरूरी है।
एसओजी ऐसे मरीजों की भी पहचान कर रही है। एसओजी ने अस्पतालों व स्टॉकिस्टों का रिकार्ड बरामद किया है। तीन स्टॉकिस्टों से पूछताछ की जा चुकी है। स्टॉकिस्टों ने एक अप्रैल से तीन मई तक 1400 इंजेक्शन सप्लाई किए। जबकि एडीसी के रिकार्ड में 890 इंजेक्शन दर्ज है। एक माह में 510 इंजेक्शन का घोटाला है। दवा सप्लाई करने वाले स्टॉकिस्ट, औषधि नियंत्रण अधिकारी के रिकार्ड व एक निजी अस्पताल के रिकार्ड में काफी अन्तर है।
प्रारंभिक जांच के अनुसार मित्तल ड्रग एजेन्सी ने डॉ. अजय गुप्ता को 48 रेमडेसिविर तथा मित्तल फार्मा ने 06 रेमडेसिविर इंजेक्शन दिये। डॉ. विजय शांति बांठिया को 61 इंजेक्शन दिये गए। लगभग दो दर्जन और चिकित्सकों को भी नियम विरुद्ध इंजेक्शन दे दिये गए। इनके अलावा 10-15 ऐसे अस्पतालों व मेडिकल स्टोर को भी इंजेक्शन सप्लाई किए गए जो कोविड-19 के लिये अधिकृत ही नहीं है।
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