ऊँटनी के दूध की औषधीय उपयोगिता के आधार पर हो बिक्री – डॉ.साहू
बीकानेर, (समाचार सेवा)। ऊँटनी के दूध की औषधीय उपयोगिता के आधार पर हो बिक्री – डॉ.साहू, राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र में ‘ऊँट पालकों का ऊँटों से भरण-पोषण‘ विषयक परिचर्चा का आयोजन हुआ।
परिचर्चा में करीब 40 से अधिक ऊँट पालकों, उद्यमियों, विषय-विशेषज्ञों, वैज्ञानिकों एवं अधिकारियों ने सक्रिय सहभागिता निभाई।
केन्द्र के निदेशक डॉ. आर्तबन्धु साहू ने कहा कि ऊँटनी के दूध के औषधीय महत्व के प्रति आमजन में जागरूकता एक अत्यंत जरूरी पहलू है तथा उपयोगिता के आधार पर इसकी बिक्री-मूल्य का भी निर्धारण किया जाए ताकि उष्ट्र दुग्ध व्यवसाय एक सही दिशा की ओर अग्रसर हो सके।
केन्द्र निदेशक डॉ.साहू ने ऊँट पालकों से कहा कि अनुसंधान के आधार पर ऊँटनी का दूध मधुमेह, क्षय रोग, आॅटि’म आदि के प्रबंधन में उपयोगी साबित हुआ है। ऊँटनी के दूध की दिल्ली, हैदराबाद, चौन्नई, लुधियाना, चंडीगढ़ आदि में बढ़ती मांग को देखते हुए उष्ट्र बाहुल्य राजस्थान राज्य के ऊँट पालकों को ही इस दूध को व्यापारिक दृष्टिकोण से अपनाने हेतु आगे आना होगा।
वर्चुअल परिचर्चा में उरमूल ट्रस्ट बीकानेर के रामप्रसाद हर्ष, लोकहित पशुपालक संस्थान सादड़ी के निदेशक हनुवंत सिंह राठौड़, गृह महाविद्यालय,रा.कृ.वि. बीकानेर की डॉ. ममता सिंह, समन्वयक डॉ.आर.के.सावल ने विचार रखे।
Share this content: