खादी पर खाकी का एमएन प्रभाव
पंचनामा : उषा जोशी
* खादी पर खाकी का एमएन प्रभाव
सीएम को देखते ही काले झंडे दिखाने वाले बीकानेर के विपक्षी खादीधारी इस बार सीएम के जांगळ देश में 24 घंटे लगातार घूमते रहने के बावजूद काला-काला खेल नहीं खेल पाये।
कहने वाले कह रहे हैं कि इस बार विपक्षी खादी वालों पर एमएन लॉयन प्रभाव का अधिक असर दिखाई दिया।
कहने वाले तो यह भी कह रहे हैं कि सीमए की बीकानेर यात्रा से ठीक एक माह पहले रेंज सम्हाल चुके नये लॉयन ने जेड प्लस सिक्यूरिटी वाली सीएम की यात्रा के दौरान ऐसी फिल्डिंग जमाई की काला परिंदा तो क्या काली चींटी तक सीएम के सामने नहीं आ सकी।
रेंज में जहां किसी ने काला दिखाया वहां सबक भी दिया। हालांकि पूर्व में सीएम के दौरे में खादीधारियों ने बीकानेर में काला झंडा दिखाकर अपनी पीठ ठोकी थी।
यही कारण है कि इस बार खाकीधारी अधिक सचेत थे। लॉयन, टाइगर सहित, इंटेलीजेन्सी का पूरा महकमा, सादी वर्दीधारी सब हर हरकत पर नजर रखे हुए थे।
सीएम का दौरा पूरा होने पर स्थानीय खाकीधारियों ने राहत की सांस ली। चैन की सांस ली। सभी रिलेक्स नजर आये।
* फटा पोस्टर निकला जीरो
जांगळ देश पूरी तरह चुनावी रंगत में क्या आया खाकी की परेशानियां बढ़ गई। पोस्टर फाड़ प्रतियोगिता ने मगरा क्षेत्र के खाकीधारी साहब के पसीने छुड़वा दिये।
जिन्होंने थाना दिलवाया उन्होंने आदेश दिया कि हमारी पार्टी के पोस्टर फाड़ने वालों को पकड़ो। पकड़ भी लिया। तब विपक्षी पार्टी के बड़े नेता ने थाने फोन लगाया तो पकड़े गए पोस्टर फाडू व्यक्ति की जमानत करवाई गई।
सत्ता वाले फिर नाराज हुए तो जमानत रदद् करवाई। फिर आंदोलन की चेतावनी मिली तो देर रात को आरोपी की जमानत करवाई गई। यहां नये आये खाकीधारी जी सोच में पड़ गए दो शेरों वाले इस क्षेत्र में चुनाव तक कैसे निभ सकेगी।
अब सीएम, एक्स सीएम के लगातार दौरों के बाद से पस्त खाकीधारियों को अपने राजनीतिक आकाओं को खुश करने के लिये काफी मशक्कत करनी पड़ रही है।
दो भाटियों के इलाके में सीएम व एक्स सीएम का दौरा जब तय हुआ था तब से ही वहां के खाकीधारी फूंक फूंक कर कदम रख रहे थे मगर पोस्टर फाड़ प्रतियोगिता ने माहोल गर्मा दिया।
* डूबी जब दिल की नैया, सामने थे किनारे
एक सीआई साहब अपने लोगों के पावर में होने से खुशफहमी में थे कि इस बार उनको वह थाना फिर मिल जाएगा जिसमें पहले कभी उन्होंने जमकर राज किया था।
सीआई साहब ने सारी गोटिया फिट कर ली थी। खादी वालों को भी अपना हुनर याद दिलाते हुए फिर बुलाने की गुहार लगा दी थी।
वहां से लगभग यस भी हो चुकी थी मगर पता नहीं क्यों मां भवानी की कृपा किसी ओर पर हो गई। जोड़ तोड़ काम नहीं आई।
सीआई साहब का एक दुख यह भी है कि उन्होंने थाना पाने के लिये जिनको जरिया बनाया था वे खुद ही वहां थानेदार तैनात हो गए। ऐसे में यह कहना कहां गलत है, हम थे जिनके सहारे, वो हुए ना हमारे..।
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