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इन्दिरा गांधी थी भारत की अंतिम विक्रमादित्य : डॉ. शर्मा

Indira Gandhi was the last Vikramaditya of India: Dr. Sharma

बीकानेर, (samacharseva.in)। इन्दिरा गांधी थी भारत की अंतिम विक्रमादित्य : डॉ. शर्मा, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर राघव सरण शर्मा ने कहा कि इंदिरा गांधी भारत की अंतिम विक्रमादित्य थी। प्रो. शर्मा राजीव गांधी स्टडी सर्किल बीकानेर इकाई द्वारा बुधवार को विजय दिवस पर आयोजित ऑनलाइन राष्‍ट्रीय वेबीनार को मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि 16 दिसम्बर 1971 को भारत की पाकिस्तान पर निर्णायक जीत हुई।

इस युद्ध के समय देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कार्य योजना बनाकर जिस उत्साह का परिचय दिया और भारत को निर्णायक जीत दिलायी। प्रो. शर्मा ने कहा कि इंदिरा गांधी ने न केवल इतिहास बल्कि भूगोल बदलकर पाकिस्तान के टुकडेÞ कर बांग्लादेश के रूप में एक नये राष्‍ट्र का प्रादुर्भाव किया।उन्होंने बताया कि तात्कालिक समय में इंदिरा गांधी ऐसी परिस्थितीयों से घीरी हुई थी कि उस समय कांग्रेस का विभाजन दबाव डालने वाली राजनीती अस्थिर जनमत आदि समस्याओं के बावजूद एक आयरन लेडी के रूप में उन्होंने जो निर्णय लिये वे काबिले तारीफ थी। वेबिनार के प्रारंभ  में राजीव गांधी स्टडी सर्किल के राज्य सह समन्वयक डॉ बिठ्ठल बिस्सा ने विषय प्रवर्तन किया।

इतिहास और भूगोल दोनों बदल डाला था

स्टडी सर्किल के राज्य समन्वयक डॉ बन्ने सिंह ने बताया कि आज के ही दिन भारत ने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद दुनिया की सबसे बडी सामरिक जीत इतिहास में दर्ज करते हुए इतिहास और भूगोल दोनों बदल डाला था। ढाका में लगभग एक लाख पाकिस्तानी सैनिकों का आत्मसमर्पण कराकर आज के दिन ही भारत ने 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध को निर्णायक मुकाम पर पहुचाया, विश्व मानचित्र पर बंगलादेश का अभ्‍युदय कराया।ले. जनरल अरोडा के समक्ष 93 हजार पाक सैनिको के साथ ले. जन. नियाजी के आत्मसमपर्ण की इंदिरा जी की सूचना पर भारतीय संसद झूम उठी थी। कार्यक्रम में राजस्थान लोक सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. बी एम शर्मा एवं उदयपुर विश्वविद्यालय के प्रो पी आर व्यास ने भी अपने विचार रखे। रामपुरिया विधि महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ अनन्त जोशी ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

सक्रिय भागीदारी निभाई

वेबिनार में रूक्टा के महामंत्री वी.के. ऐरी, डॉ प्रमोद पांडे, प्रो. विक्रम मेहरा, डॉ बाल मुकन्द व्यास, प्रो, बी.एम शर्मा, डॉ एच. एस. कालसी, डॉ. शैलेन्द्र गहलोत, डॉ अम्बालाल काटरा, वसीम उमर खान, अजय गर्ग, डॉ लता अग्रवाल, डॉ. पंकज जैन, कमलेश माथुर, डॉ गौतम कुमार मेघवंषी, डॉ बी.एम. खत्री, भरत कुमार जाजरा,राजेश कुमार सिंह, डॉ धर्मेन्द्र सिंह, डॉ   महेश गोटवाल, डॉ विनोद चंद्रा, वासुदेव गुप्ता, डॉ अनुज विलयम्स विभिन्न राज्य की ईकाईयों के प्रतिनिधी, विभिन्‍न शिक्षण संस्थाओं के शिक्षक साथीयों ने अपनी सक्रिय भागीदारी निभाई।

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