किसी के लिये भी इकतरफा नहीं है पश्चिम की जंग
NEERAJ JOSHI बीकानेर, (समाचार सेवा)। किसी के लिये भी इकतरफा नहीं है पश्चिम की जंग, बीकानेर पश्चिम विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस और भाजपा के उम्मीदवारों के बीच होने वाली सीधी जंग दोनों ही उम्मीदवारों के लिये इतनी सीधी नहीं है जितनी वे सोच कर चल रहे हैं।
एक तरफ कांग्रेस के पास लोकतंत्र के हर पैंतरों को जानने-समझने वाले, विधानसभा के लगभग सभी गलियारों तक पहुंच रखने वाले अनुभवी प्रत्याशी डॉ. बुलाकी दास कल्ला हैं तो दूसरी और भाजपा ने जमीन से जुड़े ऐसे कार्यकर्ता जेठानंद व्यास को मैदान में उतारा है जो पश्चिम के इलाकों को कई बार पैदल नाप चुका है।
ऐसे उम्मीदवारों को लेकर जनता का मन क्या होगा यह मतदान के दिन पड़ने वाले अंतिम वोट तक कोई पता नहीं कर सकेगा। हालांकि डॉ. कल्ला दावा कर रहे हैं कि उनके प्रतिद्वंदी के पास वार्ड मेंबर तक का अनुभव नहीं है मगर लोग इस बात को भी जानते हैं कि डॉ. कल्ला के प्रतिद्वंदी का आका इस देश का प्रधानमंत्री है और अपने प्रत्याशियों के पक्ष में माहोल बनाने में नमो किसी भी हद तक जा सकते हैं जाते रहे हैं।
अभी तो खेल शुरू हुआ है
हालांकि अभी तो खेल शुरू हुआ है। कांग्रेस के पास विकास का कार्ड है तो भाजपा के पास भी केन्द्र के विकास व हिन्दुत्व, बहुसंख्यकों की राजनीति करने का कार्ड है। आने वाले दिनों में इन दलों के प्रत्येक कार्ड से बाजी कभी इधर-कभी उधर पलटती हुई दिखेगी, मतदाताओं को सोचने के लिये काफी मशक्कत करनी होगी। एक तरफ राम और दूसरी ओर सुराज का मामला भी होगा। चुनाव के अंतिम दिनों में लोग किस लहर पर सवार हो जाएं अभी कुछ कहा नहीं जा सकता।
विकास और विश्वास की जंग
कांग्रेस के प्रत्याशी डॉ. कल्ला भी विकास कार्यों के नाम पर अपनी जीत का दावा ठोक रहे हैं तो भाजपा प्रत्याशी व्यास लोंगों के विश्वास को अपना आधार बता रहे हैं। व्यास अपने प्रतिद्वंदी डॉ. कल्ला के परिवार जनों पर सरकार के कार्यों में हस्तक्षेप को भी मुददा बना रहे हैं। डॉ. कल्ला के साथ दिक्कत यह है कि कांग्रेस में भी उनका विरोध करने वाले कम ही नहीं इतने मुखर है विरोधी विरोध का हर दांव खेलने पर उतारु हो जाते हैं।
व्यास के टिकट से बाकी उम्मीदवार सकते में
जबकि भाजपा प्रत्याशी जेठानंद व्यास को टिकट मिलने के बाद से भाजपा के अनेक परंपरागत चुनाव लड़ने वाले बड़े परिवार सकते में हैं। यदि व्यास बीकानेर पश्चिम से जीत जाते हैं तो भाजपा के पुराने परिवारों को सदा के लिये इस सीट अपनी उम्मीदवारी छोड़ देने की नौबत आ सकती है।
व्यास को बाहरी बताकर भी अंदर ही अंदर भाजपा में भी सुगबुगाहट है, अब यह सुगबुगाहट कोई धमाका साबित होगी या नहीं, अभी कुछ कहा नहीं जा सकता।
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